मायावती की चेतावनी: सत्ता के लोभ में संविधान से खिलवाड़ न हो
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 21अगस्त –जब संसद का सदन लोकतंत्र की गूंज से भरने की बजाय हंगामे की आवाज़ों में गुम हो जाये, तो यह देश की संवैधानिक सेहत के लिए चिंता का विषय बन जाता है. हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा संसद में पेश किया गया 130वां संविधान संशोधन विधेयक कुछ ऐसा ही माहौल लेकर आया है. इस बिल को लेकर देश की राजनीति में हलचल मच गया है और कई विपक्षी नेताओं ने इसे लोकतंत्र को कमजोर करने वाला कदम बताया है.

इन्हीं आवाज़ों में सबसे मुखर स्वर BSP प्रमुख मायावती का रहा है, जिन्होंने इस संशोधन को न केवल खतरनाक बताया है.बल्कि इसके खिलाफ अपनी पार्टी की साफ नाराज़गी भी जाहिर किया है.
आइए, आगे जानते हैं कि इस संविधान संशोधन विधेयक पर आखिर विवाद क्या है. मायावती ने क्या कहा और इसका राजनीतिक असर क्या हो सकता है – विस्तार से समझते है…..
मायावती का बड़ा हमला
बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो और पूर्व उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री मायावती ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने संसद में पेश किए गए 130वें संविधान संशोधन विधेयक को लोकतंत्र के लिए ख़तरा करार दिया है.अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल से किए गए बयान में उन्होंने इस बिल पर खुलकर नाराज़गी जताई और केंद्र सरकार से इसके पुनर्विचार की मांग किया है.
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संसद में हंगामे के बीच पेश हुआ विवादास्पद संशोधन बिल
130वां संविधान संशोधन विधेयक संसद में भारी हंगामे के बीच पेश किया गया है. जहां सत्तारूढ़ दल इसे देशहित में बता रहा है. वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र पर सीधा हमला मान रहा है.मायावती ने इस मुद्दे पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि, इसका इस्तेमाल सत्ताधारी पार्टियाँ अपने स्वार्थ और द्वेष की पूर्ति के लिए करेंगी.
मायावती का स्पष्ट विरोध: लोकतंत्र कमजोर करने वाला कदम
मायावती का कहना है कि यह संशोधन संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर कर सकता है. उन्होंने अपने बयान में यह भी कहा कि,जनता को भी इस बात की आशंका है कि इस बिल का दुरुपयोग किया जायेगा.BSP प्रमुख ने इसे पूरी तरह अस्वीकार करते हुए सरकार से अपील किया है कि वह इस पर गहन मंथन करे.
संविधान में बदलाव या राजनीतिक चाल? विपक्ष में गहराया अविश्वास
यह संशोधन ऐसे समय पर आया है जब देश में कई राज्यों में चुनावी हलचल तेज है. विपक्ष का मानना है कि यह बिल लोकतंत्र को नियंत्रित करने का एक राजनीतिक औज़ार बन सकता है. अब बसपा के साथ अन्य पार्टियाँ भी इसके खिलाफ लामबंद होती नजर आ रहा हैं
BSP का कड़ा संदेश: सत्ता के लोभ में संविधान से न खेलें
मायावती के इस बयान से साफ है कि BSP इस बिल के खिलाफ सख्त रूप से स्टैंड लेगी. उन्होंने कहा कि सत्ता के लिए संविधान से छेड़छाड़ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जायेगा.उन्होंने केंद्र से अपील किया है,कि देश के लोकतांत्रिक भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए इस विधेयक पर पुनर्विचार अनिवार्य है.
निष्कर्ष
130वें संविधान संशोधन बिल को लेकर देश की राजनीति में भूचाल आ गया है.एक तरफ केंद्र सरकार इसे महत्वपूर्ण कदम बता रही है. वहीं विपक्ष इसे लोकतंत्र के खिलाफ साज़िश मान रहा है. मायावती का यह विरोध आने वाले दिनों में इस मुद्दे को और गरमा सकता है.
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