सदाकत आश्रम पर हमला: क्या लोकतंत्र अब सत्ता की कठपुतली बन गया है?

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Ajit Kumar

बिहार
सदाकत आश्रम पर हमला: क्या लोकतंत्र अब सत्ता की कठपुतली बन गया है?

मंत्रियों की मौजूदगी में तोड़फोड़, क्या यही है “नया भारत” का लोकतंत्र?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 29 अगस्त 2025 — बिहार की राजनीति में आज जो हुआ, वह न केवल शर्मनाक है बल्कि लोकतंत्र की जड़ों पर सीधा हमला है.कांग्रेस के ऐतिहासिक मुख्यालय सदाकत आश्रम में भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं द्वारा की गई तोड़फोड़ और मारपीट की घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है.

राजद के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि,भाजपा अब बौखलाहट में मर्यादाएं लांघने लगी है. मंत्रियों की मौजूदगी में कांग्रेस के मुख्यालय में घुसकर जिस तरह की गुंडागर्दी की गई है.वह लोकतंत्र की आत्मा को तार-तार करने वाली है.

65 लाख वोटरों के नाम काटे, अब सत्ता के बल पर लोकतंत्र को कुचल रही भाजपा

एजाज अहमद ने इस पूरे घटनाक्रम को भाजपा की एक गहरी साजिश बताया है. उन्होंने कहा कि भाजपा जानती है कि वोटर अधिकार यात्रा को बिहार की जनता का जबरदस्त समर्थन मिल रहा है. तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जहां-जहां जा रहे हैं. वहां जनता का अपार विश्वास दिख रहा है.

भाजपा इस जनसमर्थन से डर गई है. इसलिए अब लोकतांत्रिक संघर्ष का जवाब हिंसा से दिया जा रहा है.
65 लाख वोटरों को उनके अधिकार से वंचित कर दिया गया है.ये सिर्फ आंकड़ा नहीं, लोकतंत्र के खिलाफ साजिश है — एजाज अहमद

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एक की गिरफ्तारी से भाजपा बैचैन, क्या डर रही है सत्ता की सच्चाई से?

जिस घटना को लेकर भाजपा खुद को पीड़ित बता रही है. उसमें एक व्यक्ति की गिरफ्तारी हो चुकी है. पुलिस जांच जारी है और सच्चाई सामने आएगी.

राजद प्रवक्ता ने साफ कहा कि भाजपा हर मुद्दे पर राजनीतिक नौटंकी करती है.तथ्य सामने आने से पहले ही बवाल मचाना भाजपा की रणनीति है. लेकिन अब जनता सब जानती है.

लोकतंत्र को कमजोर करने की सुनियोजित कोशिश

एजाज अहमद ने कहा कि सत्ता के इशारे पर विपक्ष की आवाज दबाने की ये कोशिशें अब आम होती जा रही हैं.

आज सदाकत आश्रम में जो हुआ, वह सिर्फ एक पार्टी पर हमला नहीं था, वह संविधान पर हमला था. यह लोकतंत्र को कमजोर करने की एक कायराना और सुनियोजित साजिश है.

जनता अब चुप नहीं रहेगी, लोकतंत्र की लड़ाई और तेज़ होगी

अहमद ने अंत में कहा कि अब वक़्त आ गया है कि जनता खुद लोकतंत्र के हक में खड़ी हो.
हम लड़ेंगे, हम पूछेंगे, और हम सत्ता को उसका चेहरा दिखाएंगे. लोकतंत्र को बचाना सिर्फ पार्टियों का नहीं, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है.

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