कांग्रेस ने SCO में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना

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Kumar Ranjit

तीसरा पक्ष आलेखभारत
कांग्रेस ने SCO में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर मोदी सरकार पर साधा निशाना

पाकिस्तान को RATS की अध्यक्षता, कांग्रेस का आरोप – विदेश नीति चौपट

तीसरा पक्ष डेस्क,12 सितंबर 2025— भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर तीखा हमला बोलते हुए शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में पाकिस्तान की भूमिका को भारत के लिए एक गंभीर झटका करार दिया है.पार्टी का कहना है कि SCO के क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचे (RATS) की अध्यक्षता पाकिस्तान को सौंपे जाने से भारत के हितों को नुकसान पहुंचा है.

SCO सम्मेलन और मोदी की मौजूदगी

1 सितंबर 2025 को चीन के तियानजिन में आयोजित 25वें SCO शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने हिस्सा लिया.यह तीन साल बाद उनकी इस मंच पर वापसी थी. सम्मेलन में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत अन्य नेताओं ने भाग लिया. इस दौरान नेताओं के बीच हुई हल्की-फुल्की बातचीत और तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल भी हुईं.

कांग्रेस ने इन्हीं तस्वीरों को निशाना बनाते हुए कहा कि, हंसी-ठिठोली तो खूब हुई, लेकिन भारत के हित से जुड़ी कोई ठोस उपलब्धि सामने नहीं आई.पार्टी ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा है कि,
पाकिस्तान को SCO के आतंक-विरोधी ढांचे का अध्यक्ष बना दिया गया है. यही वह SCO है जहां मोदी गए थे.सवाल है कि मोदी की गले मिलने वाली कूटनीति से आखिर भारत को क्या मिला?

RATS की अहमियत और पाकिस्तान को नेतृत्व

SCO का क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी ढांचा (RATS) 2004 में स्थापित हुआ था. और इसका मुख्यालय ताशकंद (उज्बेकिस्तान) में है. इसका मकसद आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच खुफिया जानकारी और रणनीतियों का आदान-प्रदान करना है.

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2025-26 के लिए इस ढांचे की अध्यक्षता पाकिस्तान को दी गई है. इस पर कांग्रेस ने कड़ा एतराज जताया है, और कहा कि, जिस देश पर भारत लंबे समय से आतंकवाद को शह देने का आरोप लगाता रहा है, उसे इस पद पर बिठाना SCO की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है.

भारत-पाक रिश्तों का संदर्भ

भारत लगातार पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों को पनाह देने का आरोप लगाता रहा है. 2008 के मुंबई हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे मामलों में भी भारत ने पाकिस्तान की भूमिका पर उंगली उठाई थी. ऐसे में SCO में पाकिस्तान की बढ़ती भूमिका भारतीय हितों के विपरीत मानी जा रही है.

सरकार बनाम विपक्ष का रुख

कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार की विदेश नीति, दिखावे की कूटनीति, तक सीमित रह गई है. पार्टी के मुताबिक, मोदी की अंतरराष्ट्रीय बैठकों में गले मिलने और व्यक्तिगत इशारों की शैली भले ही सौहार्द दिखाती हो, लेकिन वह भारत की सुरक्षा चिंताओं को हल करने में नाकाम है.

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वहीं, सरकारी सूत्रों का कहना है कि मोदी की SCO मौजूदगी भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाती है. शिखर सम्मेलन में मोदी ने शांति, विकास और सहयोग को बढ़ावा देने की अपील की. समर्थकों का तर्क है कि यह भारत की, संतुलित कूटनीति का हिस्सा है, जहां वह पश्चिमी देशों के साथ-साथ यूरेशियाई ताकतों से भी जुड़ाव बनाए रखता है.

राजनीतिक मायने

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब देश में चुनावी माहौल बनने लगा है. कांग्रेस का हमला विदेश नीति को लेकर राजनीतिक विमर्श को और तेज कर सकता है. विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान को RATS की कमान सौंपे जाने से भारत की सुरक्षा चिंताओं की अनदेखी हो सकती है और खुफिया सहयोग में भारत के प्रयास कमजोर पड़ सकते हैं.

कुल मिलाकर, SCO सम्मेलन और पाकिस्तान की भूमिका को लेकर उठी यह बहस एक बार फिर भारत की विदेश नीति और उसकी प्रभावशीलता पर बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गई है.

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