भाजपा विधि प्रकोष्ठ बिहार का प्रबुद्ध संवाद: राजनीतिक शुचिता और संविधान संशोधन पर गहन विमर्श

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Ajit Kumar

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भाजपा विधि प्रकोष्ठ का संकल्प: समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुँचाने का प्रयास

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,19 सितंबर–भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधि प्रकोष्ठ बिहार ने आज पटना स्थित बिहार बार काउंसिल भवन के ब्रजकिशोर मेमोरियल सभागार में, राजनीतिक सुचिता एवं प्रस्तावित संविधान संशोधन, विषय पर एक प्रबुद्ध संवाद का आयोजन किया.इस संवाद में न्यायिक जगत के दिग्गजों और अधिवक्ताओं ने लोकतंत्र की मजबूती, राजनीतिक पारदर्शिता और संविधान संशोधन की आवश्यकता पर अपने विचार साझा किए.

पारदर्शिता और नैतिकता पर जोर

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक विंध्याचल राय ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक लोकतंत्र में पारदर्शिता और नैतिकता स्थापित करने का महत्वपूर्ण प्रयास है.उन्होंने स्पष्ट किया कि अधिवक्ताओं का कर्तव्य केवल न्यायालय तक सीमित नहीं है. बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा और समाज को न्याय दिलाने में भी उनकी अहम भूमिका है.

जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र का अपमान: के.एन. सिंह

भारत सरकार के असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल के.एन. सिंह ने कहा कि किसी प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री का जेल से सरकार चलाना लोकतंत्र के लिए घोर अपमानजनक है.उन्होंने बताया कि 130वें संविधान संशोधन के तहत यह प्रावधान किया गया है कि यदि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री किसी गंभीर आरोप में गिरफ्तार होते हैं और 30 दिनों तक जमानत नहीं मिलती, तो उन्हें पद छोड़ना अनिवार्य होगा.यह कदम शासन व्यवस्था में जवाबदेही और सुचिता को सुनिश्चित करेगा.

सकारात्मक विमर्श की आवश्यकता

बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी विधेयक का विरोध करना हर सदस्य का अधिकार है. लेकिन संसद या विधानसभा को बाधित करना लोकतंत्र के लिए हानिकारक है.उन्होंने सकारात्मक विमर्श को लोकतंत्र की मजबूती का आधार बताया.

नैतिक मूल्यों को सर्वोच्च मानें

वरीय अधिवक्ता हरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि राजनीति में सुचिता और पारदर्शिता लोकतंत्र की आत्मा है.उन्होंने अधिवक्ताओं से आह्वान किया कि वे समाज में नैतिकता और न्याय की अलख जगाने में अग्रणी भूमिका निभाएँ.

130वाँ संविधान संशोधन: लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक पहल

संवाद में उपस्थित वक्ताओं का साझा मत था कि यह संशोधन राजनीति में आपराधिकरण पर रोक लगाने और जनप्रतिनिधियों की विश्वसनीयता बढ़ाने की दिशा में बड़ा कदम है.इससे लोकतंत्र की गरिमा और अधिक ऊँचाई पर पहुँचेगी तथा शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और जवाबदेही को मजबूती मिलेगी.

अधिवक्ताओं की सामाजिक जिम्मेदारी

संवाद के दौरान इस बात पर बल दिया गया कि अधिवक्ता केवल न्यायालयों तक ही अपनी भूमिका सीमित न रखें.उन्हें समाज में विधिक जागरूकता फैलाने, युवाओं को संविधान के प्रति संवेदनशील बनाने और लोकतांत्रिक मूल्यों को जन-जन तक पहुँचाने की जिम्मेदारी निभानी चाहिए.

अधिवक्ताओं का संकल्प

कार्यक्रम के अंत में अधिवक्ताओं ने संकल्प लिया कि वे भाजपा विधि प्रकोष्ठ के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुँचाने और संगठन को मजबूत बनाने में सक्रिय योगदान देंगे.

कार्यक्रम में विशेष उपस्थिति

कार्यक्रम का संचालन मनोज कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्रदेश संयोजक विंध्याचल राय, असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल के.एन. सिंह, बिहार स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष रमाकांत शर्मा, प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रभारी अवधेश पांडे, वरीय अधिवक्ता हरेंद्र प्रताप सिंह, सह संयोजक पूनम कुमारी सिंह, संजय कुमार राम, राकेश प्रताप, कौटिल्य कुमार, चुनाव आयोग एवं प्रबंधन विभाग के संयोजक राकेश कुमार, मीडिया प्रभारी विभूति कुमार सहित बड़ी संख्या में अधिवक्ता मौजूद रहे.

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