दिल्ली धमाकों पर सरकार की चुप्पी: सुप्रिया श्रीनेत का सवाल

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Ajit Kumar

भारतदुनिया
दिल्ली धमाकों पर सरकार की चुप्पी: सुप्रिया श्रीनेत का सवाल

क्या मोदी सरकार अपनी ही बयानबाज़ी में फंस गई है?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,13 नवंबर 2025 — दिल्ली में हाल ही में हुए बम धमाकों ने देश को झकझोर दिया है. इन धमाकों के 50 घंटे बाद जब केंद्र सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से आतंकी हमला स्वीकार किया, तब कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने सरकार की चुप्पी और देर से आई प्रतिक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किया है.उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को घेरते हुए कहा कि, देश सुरक्षित हाथों में नहीं है.

सरकार की देरी पर तीखा सवाल:

सुप्रिया श्रीनेत ने अपने X (Twitter) पोस्ट में लिखा है कि,

दिल्ली बम धमाकों के 50 घंटे बाद मोदी सरकार ने आख़िर स्वीकार किया कि यह एक आतंकवादी हमला’ था, लेकिन पाकिस्तान पर एक शब्द नहीं बोला.

उनका सवाल यह था कि जब शुरुआती रिपोर्टों में आतंकी कनेक्शन के संकेत मिल रहे थे, तो सरकार को इतनी देर क्यों लगी? क्या यह केवल राजनीतिक संवेदनशीलता थी या इंटेलिजेंस फेल्योर को छुपाने की कोशिश?

पाकिस्तान पर चुप्पी — रणनीतिक या मजबूरी?

श्रीनेत का सबसे बड़ा हमला इस बात पर था कि सरकार ने पाकिस्तान का नाम तक नहीं लिया.
उन्होंने लिखा,

क्या पाकिस्तान के बिना भारत में कोई आतंकवादी हमला हो सकता है?

यह सवाल न सिर्फ केंद्र सरकार की रणनीति पर वार करता है बल्कि उन तमाम पूर्व बयानों को भी कटघरे में खड़ा करता है, जिनमें सरकार ने हर आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई करार दिया था.

पहलगाम हमले की याद दिलाई:

सुप्रिया श्रीनेत ने मोदी सरकार को उसके पुराने बयानों की याद दिलाई.
पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार ने कहा था कि किसी भी आतंकी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा.
मगर दिल्ली धमाकों के मामले में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद के संभावित लिंक सामने आने के बावजूद सरकार ने अब तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया है.

उनका सीधा आरोप है कि प्रधानमंत्री ने छवि चमकाने और बड़बोलेपन के चलते उस समय जो बयान दिया था, वही अब सरकार पर उल्टा पड़ रहा है.

अज्ञानता और अहंकार भारत के लिए खतरनाक

कांग्रेस प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री पर बेहद तीखा प्रहार करते हुए लिखा,

मोदी की अज्ञानता और अहंकार भारत के लिए महंगा साबित हो रहा है.

यह बयान उस गहराई की ओर इशारा करता है जिसमें विपक्ष यह तर्क दे रहा है कि सरकार ने सुरक्षा से अधिक राजनीतिक इमेज बिल्डिंग पर ध्यान दिया.
राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर लगातार हो रहे हमलों के बावजूद केंद्र सरकार की नीति पर विपक्ष अब खुलकर सवाल उठा रहा है.

इंटेलिजेंस फेल्योर का मुद्दा:

सुप्रिया श्रीनेत ने पोस्ट में यह भी पूछा कि,

इस आतंकी हमले की कोई इंटेलिजेंस क्यों नहीं थी? IB, दिल्ली पुलिस, अमित शाह क्या कर रहे थे?

यह सवाल देश के खुफिया तंत्र की विश्वसनीयता पर गहरा प्रहार है.
अगर राजधानी में ही ऐसा हमला हो सकता है और किसी एजेंसी को इसकी भनक तक न लगे, तो आम नागरिकों के मन में यह भय स्वाभाविक है कि देश की सुरक्षा व्यवस्था कितनी कमजोर हो चुकी है.

राजनीतिक निहितार्थ:

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, श्रीनेत का यह ट्वीट सिर्फ एक हमला नहीं, बल्कि एक रणनीतिक संदेश भी है .
कि कांग्रेस अब सुरक्षा और राष्ट्रीय जिम्मेदारी के मुद्दे पर बीजेपी को उसकी ही भाषा में चुनौती देना चाहती है.
जहां पहले विपक्ष इस विषय पर बचाव में दिखता था, अब वह सत्ताधारी दल की कथनी और करनी के बीच के अंतर को उजागर करने में जुटा है.

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जनता का सवाल — क्या देश वाकई सुरक्षित है?

सुप्रिया श्रीनेत के ट्वीट के बाद सोशल मीडिया पर यह चर्चा जोर पकड़ चुकी है कि क्या देश वाकई सुरक्षित हाथों में है?
पिछले कुछ वर्षों में आतंकी घटनाओं और बॉर्डर घुसपैठ की घटनाओं ने लोगों के मन में असुरक्षा की भावना को और बढ़ा दिया है.

निष्कर्ष

सुप्रिया श्रीनेत के सवाल केवल विपक्ष की राजनीति नहीं, बल्कि एक नागरिक की चिंता भी हैं.
जब देश की राजधानी में बम धमाके होते हैं और सरकार 50 घंटे बाद उन्हें आतंकी हमला कहती है, तो यह न केवल सुरक्षा व्यवस्था बल्कि गवर्नेंस की जवाबदेही पर भी सवाल खड़ा करता है.

अब यह देखना बाकी है कि केंद्र सरकार इन आरोपों और सवालों का जवाब कैसे देती है.
क्या यह केवल राजनीतिक बयानबाज़ी बनकर रह जाएगी,
या वास्तव में सरकार आतंकी तंत्र और खुफिया नेटवर्क में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएगी?

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