कहा – 20% वोटरों से छीना जा रहा है अधिकार?
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 3 जुलाई :बिहार में मतदाता सूची को लेकर बड़ा राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है.चुनाव आयोग द्वारा अचानक शुरू की गई स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बिहार कांग्रेस ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला करार दिया है.
बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार ने एक्स पर जानकारी साझा करते हुए दावा किया कि चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया के पीछे गंभीर सवाल खड़े होते हैं.उन्होंने लिखा:
“चुनाव आयोग से मुलाकात के दौरान यह साफ़ महसूस हुआ कि यह सिर्फ बिहार की लड़ाई नहीं रह गई है. आयोग का एग्रेशन देखकर ऐसा लगा मानो उन्होंने ठान लिया है कि बिहार के 20% वोटरों से उनका अधिकार छीन लेना है.
सिर्फ 19 दिन में पूरी होगी प्रक्रिया?
कांग्रेस का आरोप है कि आयोग की अधिसूचना के अनुसार इस पूरी SIR प्रक्रिया को मात्र 19 दिनों में पूरा करना है, जोकि व्यवहारिक रूप से संभव नहीं है। राजेश कुमार ने यह भी सवाल किया कि:
इतनी बड़ी प्रक्रिया के लिए निर्णय इतनी जल्दी किसके कहने पर लिया गया?
क्या यह योजना पूर्व-निर्धारित थी ताकि कुछ वर्गों को वोटिंग प्रक्रिया से बाहर रखा जा सके?
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क्या है SIR प्रक्रिया?
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) चुनाव आयोग द्वारा चलाई जाने वाली एक विशेष प्रक्रिया है, जिसके तहत वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाता है — यानी पुराने नाम हटाए जाते हैं और नए नाम जोड़े जाते हैं. लेकिन इस बार कांग्रेस को शक है कि यह प्रक्रिया मतदाताओं के अधिकारों को सीमित करने के उद्देश्य से की जा रही है.
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विपक्ष की मांग
राजेश कुमार समेत कांग्रेस नेताओं ने मांग की है कि SIR प्रक्रिया को स्थगित या विस्तारित किया जाए और इसमें पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए.उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में हर वोटर का नाम लिस्ट में होना चाहिए, चाहे वह किसी भी वर्ग या क्षेत्र से हो.
निष्कर्ष:
बिहार में मतदाता सूची को लेकर छिड़ा यह विवाद आगे चलकर एक बड़ी राजनीतिक बहस का रूप ले सकता है.अगर आयोग ने सभी दलों को विश्वास में नहीं लिया, तो यह मामला कोर्ट और संसद दोनों में गूंज सकता है.

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