एनडीए शासन में सामंती ताकतों को संरक्षण!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 19 सितंबर 2025—बिहार की सियासत एक बार फिर दलितों और अतिपिछड़ों पर हो रहे हमलों को लेकर गरमाई हुई है. भाकपा-माले ने आज पटना में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में एनडीए सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में दलितों, अतिपिछड़ों और महिलाओं के खिलाफ हिंसा की बाढ़ आई हुई है. पहले थाने और पुलिस हिरासत में हत्या की घटनाएं होती थीं, लेकिन अब जेलों के भीतर भी विचाराधीन कैदियों की जान ली जा रही है. माले नेताओं ने साफ कहा कि यह शासन अपराधियों, दबंगों और सामंती ताकतों का संरक्षण करने वाला शासन बन चुका है, जिसे जनता आने वाले चुनाव में उखाड़ फेंकेगी.

तीन बड़ी घटनाओं पर माले की जांच रिपोर्ट
संवाददाता सम्मेलन में माले की तीन अलग-अलग जांच टीमों ने नवादा, सीतामढ़ी और जमुई की घटनाओं पर अपनी रिपोर्ट पेश की.
नवादा: कंपाउंडर संतोष मांझी की हत्या
नवादा जिले में मुसहर समुदाय के मेहनतकश युवक और क्लीनिक में कंपाउंडर का काम करने वाले संतोष मांझी की बेरहमी से हत्या कर दिया गया. जांच टीम का नेतृत्व करने वाले गोपाल रविदास ने बताया कि संतोष मांझी की पहले आंखें फोड़ दी गईं और फिर निर्ममता से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई.इस घटना ने राज्य में गुंडा राज और सरकार की लापरवाही को उजागर कर दिया है.
रविदास ने सवाल उठाया कि दलित राजनीति करने वाले नेता जीतन राम मांझी और चिराग पासवान इस मामले पर चुप क्यों हैं? क्या उनकी राजनीति सिर्फ चुनावी वोट तक सीमित है?
भाकपा-माले ने इस मामले में दोषी डॉक्टर की तत्काल गिरफ्तारी और पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा देने की मांग किया है. माले नेताओं ने कहा कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, लड़ाई जारी रहेगी.
सीतामढ़ी: मंत्री रामसूरत राय पर कब्जे का आरोप
दूसरी जांच टीम के प्रतिनिधि वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता ने दावा किया कि भाजपा मंत्री रामसूरत राय ने सीतामढ़ी जिले के रून्नी सैदपुर क्षेत्र में अतिपिछड़ी जाति के गरीब पप्पू ठाकुर की जमीन पर कब्जा कर लिया है.
यह जमीन 1962 से ठाकुर परिवार के कब्जे में थी और 1972 में पप्पू ठाकुर के दादा झपसी ठाकुर को इसका पट्टा भी मिला था. बावजूद इसके, 2017 में रामसूरत राय ने विवादित तरीके से इस जमीन को अपने नाम लिखवा लिया.
गुप्ता ने बताया कि पप्पू ठाकुर भाजपा के युवा मंडल से जुड़े रहे हैं और दो बार अध्यक्ष भी रहे, लेकिन उनकी जमीन छीनने से मंत्री बाज नहीं आए.यह घटना इस बात का सबूत है कि सत्ता के संरक्षण में भूमाफिया और दबंग गरीबों की जमीन हड़प रहे हैं.
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जमुई: जेल में डब्लू चौधरी की संदिग्ध मौत
तीसरी घटना जमुई जेल की है, जहां 22 अगस्त को विचाराधीन कैदी डब्लू चौधरी की मौत हो गई.परिवार वालों का आरोप है कि जेल प्रशासन ने 10 हजार रुपये की रिश्वत मांगी थी, ताकि चौधरी को जेल में सुरक्षित रखा जा सके. मजबूरी में परिवार ने 2 हजार रुपये दे भी दिए, लेकिन शेष 8 हजार रुपये न देने पर कैदी की हत्या कर दी गई.
परिजनों ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पोस्टमार्टम की प्रक्रिया जल्दबाजी में पूरी कर दी गई और उनकी आपत्तियों को नजरअंदाज किया गया है.उन्होंने कहा कि शव पर साफ चोट के निशान थे, जिससे यह स्पष्ट है कि हत्या की गई.परिवार की शिकायतों के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
जनता देगी करारा जवाब
भाकपा-माले ने आरोप लगाया कि इन सभी मामलों में अपराधियों को सरकार का संरक्षण मिला हुआ है.नेताओं ने कहा कि यह सिर्फ तीन घटनाओं का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे बिहार में फैले भय और अन्याय का प्रतीक है.
पार्टी ने मांग की है कि,
दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी हो,
पीड़ित परिवारों को उचित मुआवजा मिले,
और जेल प्रशासन की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच की जाए.
भाकपा-माले नेताओं ने कहा कि यह सरकार पूरी तरह असंवेदनशील और सामंती ताकतों के इशारे पर चल रही है.उन्होंने विश्वास जताया कि आने वाले चुनाव में जनता इस अन्यायी शासन को सत्ता से बेदखल करेगी.
निष्कर्ष
बिहार में हाल के दिनों में हुई ये घटनाएं राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं.दलितों और अतिपिछड़ों पर लगातार बढ़ते हमले न केवल सामाजिक न्याय की भावना को ठेस पहुंचा रहे हैं, बल्कि यह भी दिखा रहे हैं कि सत्ता की छत्रछाया में दबंगों को कितना संरक्षण प्राप्त है.अब देखना यह होगा कि जनता वास्तव में माले के आह्वान के अनुरूप इस सरकार को उखाड़ फेंकती है या नहीं.

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