2025 के चुनाव से पहले अपराध की आंधी: सत्ता बनाम विपक्ष की जंग तेज!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 17 जुलाई:बिहार की राजधानी पटना के बीचोबीच दिनदहाड़े हुई एक सनसनीखेज हत्या ने राज्य की कानून-व्यवस्था को लेकर पुरानी बहस को और गर्म कर दिया है.घटना स्थल और पीड़ित की स्थिति ने इस वारदात को और भी भयावह बना दिया है.यह अपराध एक निजी अस्पताल के अंदर हुआ. जहां आमतौर पर सुरक्षा और चिकित्सा को सर्वोच्च प्राथमिकता दिया जाता है.
अस्पताल में ऑपरेशन हत्या: अपराधियों ने कैदी को मारा गोली
पटना के हाई-प्रोफाइल पारस अस्पताल में बुधवार की दोपहर एक दर्दनाक दृश्य सामने आया, जब पांच हथियारबंद अपराधियों ने अस्पताल के वार्ड में घुसकर चंदन मिश्रा नामक मरीज को गोली मारकर हत्या कर दिया. चंदन मिश्रा ब्योर जेल का बंदी था. जो इलाज के लिए पेरोल पर अस्पताल में भर्ती हुआ था.
हत्या इतनी बेरहमी से किया गया है कि सीसीटीवी फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि अपराधियों को किसी सुरक्षा का भय नहीं था.अस्पताल जैसे सार्वजनिक और संरक्षित स्थल पर की गई यह हत्या न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़ा करता है. बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का पोल भी खोलता है.
चौंकाने वाली बात यह है कि इस अस्पताल की दूरी मुख्यमंत्री आवास से महज कुछ किलोमीटर है.बावजूद इसके वहां कोई प्रभावी सुरक्षा इंतज़ाम मौजूद नहीं था.
तेजस्वी यादव का हमला: गुंडे सम्राट, अफसर रंक!
राज्य की विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने इस घटना पर गहरी नाराज़गी जताई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर सरकार पर करारा हमला बोलते हुये उन्होंने लिखा है कि :
पुलिस का इकबाल क्षय, अधिकारी बने रंक, गुंडे बने विजय व अपराधी बने सम्राट
अस्पताल में घुसकर बेख़ौफ़ अपराधियों में गोली मारी.कल प्रधानमंत्री इसी जंगलराज पर प्रवचन देने बिहार आ रहे है. जबकि गुंडे और अपराधी सम्राट की तरह राज कर रहे हैं.
उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार को नाकाम बताते हुए सवाल उठाया कि क्या अब अपराधी अस्पतालों में घुसकर कानून की धज्जियाँ उड़ाएंगे और पुलिस मूकदर्शक बनी रहेगी? तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बिहार यात्रा का भी उल्लेख किया और व्यंग्यात्मक लहज़े में पूछा कि क्या प्रधानमंत्री अब इस जंगलराज पर भी प्रवचन देंगे?”
बढ़ता अपराध, घटता भरोसा
यह घटना कोई अपवाद नहीं है.पिछले कुछ सप्ताहों में बिहार में कई आपराधिक घटनाएं घटी हैं:
- पटना में एक वकील की गोली मारकर हत्या
- दानापुर में एक किराना व्यापारी की हत्या
- जदयू नेता के पिता की हत्या
इन घटनाओं ने न केवल आम जनता में दहशत फैलाया है.बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में अपराधियों के हौसले किस कदर बुलंद हैं.
राजनीतिक विश्लेषक के अनुसार बिहार में अपराध अब केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं रह गया है. बल्कि यह समाज में भय का स्थायी कारण बन चुका है. प्रशासनिक निष्क्रियता ने अपराधियों को और बेखौफ बना दिया है.
जांच और राजनीति: दोनों समानांतर रास्ते पर
पुलिस विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दिया है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अपराधियों की पहचान करने की कोशिश किया जा रहा है. विशेष छापेमारी दस्ते को भी लगाया गया है.
लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह कार्रवाई हर घटना के बाद शुरू होता है. और कुछ दिन बाद ठंडा पड़ जाता है.
वहीं, सत्ताधारी एनडीए सरकार ने अभी तक इस मुद्दे पर कोई विस्तृत प्रेस बयान नहीं दिया है.लेकिन पीएम मोदी की आगामी बिहार यात्रा को देखते हुए उम्मीद है कि इस विषय पर भी चर्चा होगा.
2025 चुनाव की आहट और कानून-व्यवस्था की चिंता
जैसे-जैसे बिहार में 2025 के विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं. कानून-व्यवस्था की स्थिति एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है. विपक्ष इसे जंगलराज की वापसी करार दे रहा है.जबकि जनता में भी प्रशासन के प्रति अविश्वास और असुरक्षा की भावना बढ़ती दिखाई दे रहा है.
निष्कर्ष: क्या बिहार फिर उसी मोड़ पर खड़ा है?
पटना के पारस अस्पताल में चंदन मिश्रा की हत्या न केवल एक व्यक्ति की जान का नुकसान है. बल्कि यह राज्य की व्यवस्था की असफलता का प्रतीक भी बन गई है.
क्या यह एक चेतावनी है कि अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हो चुके हैं कि उन्हें अस्पताल, अदालत या पुलिस थाने की भी परवाह नहीं रही?
क्या सरकार आने वाले चुनाव से पहले लोगों के भरोसे को फिर से जीत पाएगी?
या फिर यह घटना केवल एक लंबी श्रृंखला की अगली कड़ी है?
इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों और सरकार की प्रतिक्रिया में छिपा है. फिलहाल बिहार में अपराध और राजनीति की यह खतरनाक जुगलबंदी चर्चा का विषय बना हुआ है.

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