66 लाख मतदाताओं के नाम हटाए जाने पर भड़की माले
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 11 अगस्त:बिहार में मतदाता सूची से 66 लाख नामों की कथित तौर पर की गई बेदखली के खिलाफ भाकपा-माले ने सोमवार को राजधानी पटना में जोरदार विरोध मार्च का आयोजन किया.बुद्ध स्मृति पार्क से सतमूर्ति गोलंबर तक निकाले गए इस मार्च का नेतृत्व पार्टी महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने किया.

इस ऐतिहासिक दिन—11 अगस्त, जब 1942 में सात युवा स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजों की गोली के शिकार हुए थे.माले कार्यकर्ताओं ने सतमूर्ति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की और लोकतंत्र की रक्षा करने का संकल्प लिया.
यह संविधान पर सीधा हमला है: दीपंकर भट्टाचार्य
सभा को संबोधित करते हुए का. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि,
आज़ादी के बाद पहली बार संविधान, मताधिकार और लोकतंत्र पर इतना बड़ा हमला हुआ है. देश का हर नागरिक वोट देने का हकदार है. लेकिन अब उस अधिकार को चुपचाप छीना जा रहा है.
उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में SIR,के नाम पर एक महीने में ही 66 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया. जिनमें बड़ी संख्या में दलित, अल्पसंख्यक, महिलाएं, प्रवासी मजदूर और ग़रीब शामिल हैं.
चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल
भट्टाचार्य ने बताया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से नाम हटाने के आधार और पूरी सूची की मांग किया तो आयोग ने उसे साझा करने से इनकार कर दिया है.उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई जिंदा लोगों को मृत घोषित कर दिया गया है. और लाखों प्रवासी मजदूरों को बाहरी बताकर लिस्ट से बाहर कर दिया गया है.उन्होंने सवाल उठाया कि,
जब आम लोग डुप्लीकेट कहकर हटाया जाता हैं. तो सत्ता के खास नेता जैसे बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा का नाम कैसे बना रहता है?

मतदाता सूची की निष्पक्षता पर संदेह
वाल्मीकिनगर जैसे क्षेत्रों में उत्तर प्रदेश के हजारों मतदाताओं के नाम अब भी सूची में बना हुआ है. जबकि बिहार के लोगों को हटाया जा रहा है. इससे माले नेताओं ने पूरी प्रक्रिया को ,पक्षपातपूर्ण और राजनीतिक उद्देश्य से प्रेरित बताया है.
अब जिनका नाम हटा हैं. उनसे दस्तावेज़ मांगा जा रहा हैं. लेकिन सवाल यह है कि जिनके पास यह दस्तावेज नहीं हैं—वे क्या करेंगे? सभा में यह आशंका भी जताया गया कि अगस्त महीने के अंत तक और लाखों लोगो का नाम हटाया जा सकता हैं.
कर्नाटक का उदाहरण और राष्ट्रव्यापी फर्जीवाड़ा
भट्टाचार्य ने राहुल गांधी के हालिया बयान का हवाला देते हुए कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक के एक विधानसभा सीट पर एक लाख फर्जी वोट मिला जिससे कांग्रेस 32 हजार वोटों से हार गया.
सोचिए, फर्जीवाड़ा कहां तक पहुंच चुका है.
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11 अगस्त सिर्फ़ श्रद्धांजलि नहीं, संकल्प का दिन
माले नेताओं ने इसे केवल शहीदों को श्रद्धांजलि देने का दिन नहीं, बल्कि संविधान और लोकतंत्र की रक्षा का दिन बताया है.
तिरंगे की रक्षा के लिए जिन्होंने जान दिया.आज वही तिरंगा और वोट खतरे में है.बिहार का अगला चुनाव सिर्फ़ विधानसभा चुनाव नहीं, संविधान बचाने की लड़ाई है.
नेताओं और कार्यकर्ताओं की भारी मौजूदगी
सभा में माले के पोलित ब्यूरो सदस्य का. धीरेन्द्र झा, का. अमर, ऐपवा महासचिव मीना तिवारी, एमएलसी शशि यादव, विधायक गोपाल रविदास, एक्टू नेता वी. शंकर, रसोइया संघ की सरोज चौबे, और कई अन्य वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया है.
सभा का संचालन एक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने किया.
आजादी बचाओ’ अभियान की अगली कड़ी
भाकपा-माले का यह मार्च एक बड़े राष्ट्रव्यापी अभियान का हिस्सा है.जिसमें 9-11 अगस्त के बीच देशभर में विरोध मार्च आयोजित किया गया.आने वाले 15 अगस्त को,आजादी बचाओ, संविधान बचाओ, लोकतंत्र बचाओ मार्च का आयोजन किया जयेगा.
निष्कर्ष: लोकतंत्र की लड़ाई एक-एक वोट से
पटना की सड़कों पर गूंजते नारे—वोट चोर, गद्दी छोड़—यह साफ संदेश दे रहा हैं कि लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है.माले ने 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव को सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि संविधान की रक्षा का जनसंघर्ष बताया है.
जिसका नाम लिस्ट में बचा है वो वोट ज़रूर दे—क्योंकि अब हर वोट, लोकतंत्र को बचाने की एक आवाज़ है.

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