बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर सैकड़ों समर्थकों के साथ हुई घरवापसी
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 14 अगस्त 2025:बिहार की राजनीति में इस स्वतंत्रता दिवस से एक दिन पहले ही बड़ा राजनीतिक धमाका हुआ है.बिहार की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक देवनारायण रजक ने सैकड़ों समर्थकों के साथ भाजपा को अलविदा कहकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया है. पटना स्थित राजद के प्रदेश कार्यालय में आयोजित इस आयोजन ने सभी राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दिया है.

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राजनीतिक जानकारों के अनुसार देवनारायण रजक का यह कदम केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि वैचारिक बदलाव को भी दर्शाता है. रजक ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व, लालू यादव की सामाजिक न्याय की विचारधारा और राजद की नौकरी और न्याय ,नीति से प्रभावित होकर भाजपा से अलग होने का निर्णय लिया है.
देवनारायण रजक ने स्पष्ट कहा कि,
भाजपा अब आम आदमी की नहीं, कुछ गिने-चुने लोगों की पार्टी बनकर रह गया है.तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही बिहार को एक नई दिशा मिल सकता है.
सैकड़ों समर्थकों के साथ हुई घरवापसी
राजद में शामिल होने वाले अकेले देवनारायण रजक नहीं थे. उनके साथ मुकेश कुमार, नवल किशोर यादव, विपीन कुमार, मनोज भूषण, अशोक कुमार, धीरेन्द्र प्रसाद यादव, रामचंद्र यादव, मो. नज़ीर, मो. अली, हरिशंकर गोस्वामी समेत सैकड़ों कार्यकर्ता भी राजद की सदस्यता लेने पहुंचे।कार्यक्रम का आयोजन बेहद संगठित और उत्साहपूर्ण माहौल में हुआ.
राजद की ओर से सभी नए सदस्यों को पार्टी का लालटेन प्रतीक, पारंपरिक गमछा और लालू प्रसाद यादव की जीवनी ‘गोपालगंज टू रायसीना’ भेंट स्वरुप दिया गया है.
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रणविजय साहू का बड़ा बयान: यह सिर्फ शुरुआत है..
राजद के प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने कहा कि,लालू जी के विचार और तेजस्वी जी की विकास नीति से प्रभावित होकर भाजपा समेत कई दलों के नेता अब राजद का रुख कर रहे हैं. देवनारायण रजक जैसे वरिष्ठ नेता का आना इस बदलाव का बड़ा शुरुआत है.
उन्होंने दावा किया कि आने वाले समय में और भी बड़े नाम राजद में शामिल होंगे जिससे पार्टी को आने वाले चुनावों में बड़ा लाभ होगा.
क्या यह बदलाव 2025 के विधानसभा समीकरण बदल सकता है?
देवनारायण रजक का राजद में आना केवल एक नेता का शामिल होना नहीं बल्कि यह संकेत है कि भाजपा के भीतर असंतोष बढ़ रहा है.ऐसे में यह बदलाव 2025 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़े राजनीतिक समीकरण को प्रभावित कर सकता है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि तेजस्वी यादव इस लहर को सही रणनीति से आगे बढ़ाते हैं.तो राजद को बड़ा जनाधार मिल सकता है और भाजपा को अंदर से झटका लग सकता हैं.
निष्कर्ष
देवनारायण रजक की घरवापसी और उनके समर्थकों की राजद में एंट्री ने बिहार की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है. सामाजिक न्याय, रोजगार और समावेशी विकास की राजनीति अब फिर से केंद्र में आता दिखाई दे रहा है.देखना यह होगा कि इस नई राजनीतिक लहर को तेजस्वी यादव कितनी मजबूती से दिशा दे पाता हैं.

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