चंद्रशेखर आजाद ने नाहल गांव घटना पर की सीबीआई जांच की मांग

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Ajit Kumar

भारत
चंद्रशेखर आजाद ने नाहल गांव घटना पर की सीबीआई जांच की मांग

क्या यूपी पुलिस के खिलाफ उठती आवाजें दबाई जा रही हैं?

तीसरा पक्ष ब्यूरो :उत्तर प्रदेश, 25 मई को गाजियाबाद के मसूरी थाना क्षेत्र के नाहल गांव में हुई एक दुखद घटना ने राज्य की पुलिस व्यवस्था और मानवाधिकारों पर बड़े सवाल खड़े कर दिया हैं. सिपाही सौरभ कुमार की गोली लगने से हुई मौत के बाद पुलिस की कथित कार्रवाई ने पूरे गांव में डर और अविश्वास का माहौल पैदा कर दिया है. अब इस मामले में भीम आर्मी प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आजाद ने खुलकर मोर्चा संभालते हुए घटना की सीबीआई या सीबीसीआईडी से स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है.

उत्पीड़न अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा – चंद्रशेखर आजाद

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने नाहल गांव का दौरा किया और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि पुलिस की यह कार्रवाई अलोकतांत्रिक, अवैध और मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है. उनका दावा है कि पुलिस ने गांव में एकतरफा दबिश दी, निर्दोष लोगों को प्रताड़ित किया और समुदाय विशेष को निशाना बनाया.

उत्पीड़न अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा – चंद्रशेखर आजाद

चंद्रशेखर आजाद ने X पर लिखा:
“सिपाही सौरभ की मृत्यु एक दुखद और गंभीर घटना है.लेकिन उसके बहाने पूरे गांव को सजा देना, निर्दोषों को प्रताड़ित करना, और संविधान की धज्जियां उड़ाना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है. इस मामले में निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच होनी चाहिए.

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घटना क्या थी?

नोएडा पुलिस की एक टीम चोरी के एक मामले में वांछित संदिग्ध कादिर को पकड़ने नाहल गांव पहुंची थी.आरोप है कि यह टीम बिना वर्दी और स्थानीय पुलिस को सूचना दिए बिना पहुंची.इस छापेमारी के दौरान सिपाही सौरभ कुमार को गोली लगी और उनकी मृत्यु हो गई. इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच टकराव हुआ, जिससे गांव का माहौल हिंसक और तनावपूर्ण बन गया.

गांव में भय का माहौल
करीब 15,000-20,000 की आबादी वाले नाहल गांव में अधिकांश लोग मुस्लिम समुदाय से हैं. घटना के बाद से गांव में डर और दहशत का माहौल है. कई परिवार घर छोड़कर जा चुके हैं, दुकानें बंद हैं, और लोग प्रशासन से सुरक्षा की मांग कर रहे हैं.

आजाद की मांगें क्या हैं?

आजाद की मांगें क्या हैं?

  • सीबीआई या सीबीसीआईडी द्वारा स्वतंत्र जांच.
  • निर्दोष ग्रामीणों के खिलाफ की गई कार्रवाई को वापस लिया जाए.
  • घटना में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए.
  • उत्तर प्रदेश सरकार संवेदनशील रवैया अपनाए और मानवाधिकारों की रक्षा करे.

क्यों अहम है यह मामला?

यह मामला केवल एक पुलिस मुठभेड़ या कार्रवाई का नहीं है—यह राज्य के भीतर संवैधानिक अधिकारों, पुलिस जवाबदेही और समुदाय विशेष के साथ व्यवहार को लेकर उठते सवालों का प्रतीक बन गया है.चंद्रशेखर आजाद पहले भी दलित उत्पीड़न, हिरासत में मौत और मानवाधिकार उल्लंघनों के मामलों में सीबीआई जांच की मांग करते रहे हैं. इस बार उनका फोकस अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करने पर है.

सरकार की प्रतिक्रिया?
अब तक उत्तर प्रदेश सरकार या पुलिस प्रशासन की ओर से चंद्रशेखर आजाद की मांगों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.हालांकि, गांव में पुलिस बल की भारी तैनाती की गई है और हालात पर नजर रखी जा रही है.

निष्कर्ष:

नाहल गांव घटना,चंद्रशेखर आजाद की मांग,यूपी पुलिस उत्पीड़न, और “सीबीआई जांच नाहल गांव इस तरह की बाते यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश में पुलिस व्यवस्था पर जनता का विश्वास कितना डगमगाया हुआ है.इस मामले में अगर निष्पक्ष और पारदर्शी जांच नहीं होती, तो यह सिर्फ एक गांव की नहीं, पूरे लोकतंत्र की हार होगी.

लेखक की टिप्पणी:
इस खबर को लिखने का उद्देश्य किसी पक्ष विशेष का समर्थन नहीं, बल्कि तथ्यों के आधार पर एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करना है. इस घटना की गहराई में जाकर, हम सबको यह समझना होगा कि न्याय केवल दोषियों को सजा देना नहीं होता, बल्कि निर्दोषों को सुरक्षा देना भी होता है.

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