चंद्रशेखर आजाद का बस्ती में प्रबुद्ध जनसम्मेलन

| BY

Ajit Kumar

भारत
चंद्रशेखर आजाद का बस्ती में प्रबुद्ध जनसम्मेलन

उठाए सामाजिक न्याय के अहम मुद्दे

तीसरा पक्ष ब्यूरो :उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में आयोजित “अस्तित्व बचाओ – भाईचारा बनाओ” प्रबुद्ध जनसम्मेलन में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आज़ाद ने विभिन्न ज्वलंत सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपना पक्ष मजबूती से रखा. उन्होंने कहा कि देश में सामाजिक न्याय की अवधारणा पर योजनाबद्ध तरीके से हमला हो रहा है, और इसके खिलाफ संगठित प्रतिरोध की आवश्यकता है.

ओबीसी जातिवार जनगणना की मांग:
चंद्रशेखर आज़ाद ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर ओबीसी समुदाय की जातिगत जनगणना नहीं करवा रही है.उन्होंने कहा कि यह बहुजन समाज की वास्तविक स्थिति को छुपाने और उनके संवैधानिक अधिकारों को कमज़ोर करने का प्रयास है.

आरक्षण और संविधान पर संकट:

आरक्षण और संविधान पर संकट:
उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार आरक्षण को निष्क्रिय बनाने और संविधान की मूल आत्मा को कमजोर करने की दिशा में काम कर रही है.बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा दिए गए अधिकारों की रक्षा के लिए जनता को जागरूक और संगठित रहना होगा.

EVM प्रणाली पर सवाल:
चुनावी प्रणाली में पारदर्शिता की कमी को उजागर करते हुए उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए. उनका कहना था कि यह व्यवस्था लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है और सत्ता पक्ष के नियंत्रण का माध्यम बन चुकी है.

वंचित वर्गों पर बढ़ते अत्याचार:
चंद्रशेखर आज़ाद ने अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग और मुस्लिम समुदाय पर बढ़ रहे हमलों को गंभीर चिंता का विषय बताया.उन्होंने कहा कि यह न सिर्फ संवैधानिक मूल्यों पर हमला है, बल्कि देश की सामाजिक एकता के लिए भी खतरा है.

निजी क्षेत्र में आरक्षण की मांग:
सरकारी नौकरियों के तेजी से निजीकरण पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि इससे आरक्षण प्राप्त वर्गों के अवसर घटते जा रहे हैं. उन्होंने मांग की कि निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था की जाए ताकि समावेशी विकास सुनिश्चित हो सके.

मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने की मांग:
आज़ाद ने जोर देते हुए कहा कि मंडल कमीशन की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू किया जाना चाहिए. यह सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम होगा.

इस सम्मेलन के माध्यम से चंद्रशेखर आज़ाद ने स्पष्ट किया कि बहुजन समाज के हक़ और अधिकारों की लड़ाई को अब और अधिक व्यापक स्तर पर लड़ा जाएगा.

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