चिराग पासवान का पत्र या राजनीतिक मजबूरी की चिट्ठी?

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kmSudha

बिहार
चिराग पासवान का पत्र या राजनीतिक मजबूरी की चिट्ठी?

चिराग पासवान की ‘देर से आई चिट्ठी’ पर उठे सवाल: पीएमसीएच कांड पर चिराग पासवान की चुप्पी सवालों के घेरे में !

तीसरा पक्ष डेस्क,पटना | विशेष रिपोर्ट-मुजफ्फरपुर की एक दलित नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना के बाद पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (PMCH) की लापरवाही ने राज्य को झकझोर कर रख दिया है. लेकिन चिराग पासवान का इस भयावह घटना पर पत्र और राजनीतिक प्रतिक्रिया जितनी देर से आई, उससे जुड़ी उनकी संवेदनशीलता और ईमानदारी को लेकर सोशल मीडिया पर यूजर्स ने कई गंभीर सवाल खड़े किये हैं. दलित बच्ची से दुष्कर्म पर चिराग पासवान के पत्र पर लोगों ने पूछा , क्या यह संवेदना है या भाजपा गठबंधन की राजनीतिक मजबूरी?

स्वास्थ्य मंत्री पर कार्रवाई की मांग से बचते चिराग, क्यों?

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स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को घेराव करते कांग्रेस कार्यकर्ता

केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने घटना के तीन दिन बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखते हुए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की. उन्होंने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की भी निंदा की. हालांकि, यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर तब और ज्यादा आलोचना का शिकार हुई, जब यह सामने आया कि पत्र में उन्होंने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को जिम्मेदार ठहराने से परहेज किया.

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चिराग पासवान की ‘देर से आई चिट्ठी’ में क्या है ?

चिराग पासवान ने नीतीश कुमार को एक चिठ्ठी लेखा है जिसमे मुजफ्फरपुर की एक मंगल पांडेय के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की घटना के दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की है. यह चिठ्ठी जैसी हीं सोशल मीडिया X पर पोस्ट हुई , यूजर्स इस चिठ्ठी को लेकर चिराग पासवान को ट्रोल करने लगे. हालाँकि,कुछ यूजर्स उनके समर्थन में भी आये.

सोशल मीडिया पर फूटा गुस्सा

चिराग पासवान की इस चिट्ठी को लेकर X पर दलित और पिछड़े वर्ग के कई यूज़र्स ने तीखी प्रतिक्रियाएं दीं: सोशल मीडिया पर किसी ने कहा कि चिराग पासवान मोदी के हनुमान और पासवान समाज के विभीषण हैं.” तो दूसरे ने कहा कि चिराग के लिए परिवार फर्स्ट है और आपका रिश्तेदार मस्त है .

  • @bhimarmyitcellb (Ramesh Paswan) ने तंज कसते हुए लिखा:”पासवान समाज की बेटी की घटना के 03 दिन बाद हनुमान जी ने नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखी पर साहस नहीं कर पाए कि असली दोषी स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय का इस्तीफा मांग सकें. आप होंगे भाजपा और मोदी के हनुमान, पर पासवान समाज के विभीषण हैं.”
  • @Abhishe66490120 (Abhishek Keshri) ने लिखा:”आज नींद टूटा ये पिछड़ा जाति के नेता को जो कि अपने दलित समाज का खयाल नहीं रख सकते है और बिहारी फर्स्ट बोलते हैं… आपका परिवार फर्स्ट है और आपका रिश्तेदार मस्त है. दम है तो अकेले चुनाव लड़ कर दिखाओ, मोदी लहर में जीत जाते हो ना.”
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दलित बच्ची के साथ अत्याचार पर सियासी संवेदना या दिखावा?

विश्लेषकों का मानना है कि चिराग पासवान की प्रतिक्रिया राजनीतिक मजबूरियों से प्रेरित अधिक और न्याय की पुकार से प्रेरित कम लगती है. चूंकि वे केंद्र में भाजपा सरकार के मंत्री हैं, ऐसे में वे सीधे तौर पर मंगल पांडेय जैसे भाजपा नेता पर हमला नहीं कर सकते, लेकिन यह चुप्पी ही उनकी आलोचना का कारण बन रही है.

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दलितों की सुरक्षा या वोट बैंक की राजनीति?

यह घटना केवल एक बच्ची की मौत का मामला नहीं है, बल्कि यह दलित समाज की सुरक्षा, गरिमा और न्यायिक प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है. यदि दलित वर्ग के कथित प्रतिनिधि भी ऐसी घटनाओं पर केवल राजनीतिक चिट्ठियों से काम चला रहे हैं, तो यह पूरे सामाजिक न्याय के विमर्श पर कुठाराघात है.

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आगे क्या?

PMCH में हुई यह भयावह घटना केवल एक संवेदनहीन प्रशासन और भ्रष्ट चिकित्सा प्रणाली का मामला नहीं है, बल्कि यह दर्शाती है कि दलितों की आवाज तब तक नहीं सुनी जाती, जब तक वह राजनीतिक रूप से उपयोगी न हो.
चिराग पासवान की यह चिट्ठी अगर तुरंत आती, और अगर वे स्वास्थ्य मंत्री की जवाबदेही तय करने की मांग करते, तो शायद जनता उन्हें गंभीरता से लेती. अब यह सवाल उठ रहा है – क्या ये नेता दलितों के वास्तविक प्रतिनिधि हैं, या केवल वोट बटोरने वाले ब्रांड?

(नोट: यह रिपोर्ट सोशल मीडिया टिप्पणियों, चिराग पासवान के सार्वजनिक पत्र और आम जन प्रतिक्रिया के आधार पर तैयार की गई है.)

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