यीशु मसीह प्रेम और बलिदान के प्रतीक हैं ? ईसाई धर्मावलंवियों में गुड फ्राइडे का क्या है महत्त्व ?
तीसरा पक्ष डेस्क : गुड फ्राइडे अर्थात 18 अप्रैल 2025 ईसाई समुदाय के लिए बहुत ही पवित्र दिन है, क्योकि यह दिन यीशु मसीह के क्रूस पर बलिदान और उनके जीवन दर्शन को याद कराता है. आगे इस आलेख में यहाँ हम जानेगें, यीशु के प्रमुख शिक्षाओं के बारे में, साथ ही साथ यह भी जानेगें कि ईसाई समुदाय में गुड फ्राइडे के क्या महत्व है ?
गुड फ्राइडे 2025 का महत्व
गुड फ्राइडे ईसाई धर्म में होली वीक (13-20 अप्रैल 2025) का सबसे पवित्र दिन है, जो यीशु की क्रूस पर मृत्यु को समर्पित है .यह दिन पापों के प्रायश्चित और मानवता के प्रति यीशु के प्रेम का प्रतीक है. ईसाई इसे प्रार्थना, उपवास और चर्च सेवाओं के माध्यम से मनाते हैं . भारत सहित कई देशों में यह एक सार्वजनिक अवकाश का दिन है .
- उपवास और प्रार्थना: कैथोलिक ईसाई इस दिन मांसाहार त्यागकर एक पूर्ण भोजन और दो छोटे भोजन करते हैं .
- क्रॉस की पूजा: चर्चों में क्रूस को चूमकर यीशु के बलिदान को याद किया जाता है .
- तीन घंटे की प्रार्थना: दोपहर 12 से 3 बजे तक (यीशु के क्रूस पर अंतिम घंटों के समय) विशेष प्रार्थना सभाएँ आयोजित की जाती हैं .

यीशु मसीह का जीवन दर्शन: 5 प्रमुख शिक्षाएँ
- दुनिया की स्वीकृति से ऊपर ईश्वर की प्रेम : यीशु ने सिखाया कि ईश्वर की स्वीकृति सांसारिक मान्यता से बढ़कर है (लूका 21:17). उनके अनुयायियों को विश्वास के लिए कठिनाइयाँ उठानी पड़ सकती हैं, लेकिन ईश्वर का प्रेम सर्वोपरि है.
- क्षमा का महत्व :“जैसे तुम क्षमा करोगे, वैसे ही तुम्हें क्षमा मिलेगी” (मत्ती 6:14-15). यीशु ने दूसरों को क्षमा करने को ईश्वर की कृपा पाने की शर्त बताया.
- शत्रुओं से प्रेम : यीशु ने अपने अनुयायियों को अपने दुश्मनों के लिए प्रार्थना करने और उन्हें आशीर्वाद देने का आदेश दिया (लूका 6:27-28). उन्होंने स्वयं क्रूस पर भी अपने सताने वालों को क्षमा किया.
- ईश्वर और धन में से एक को चुनें : यीशु ने स्पष्ट किया कि व्यक्ति एक साथ ईश्वर और धन की सेवा नहीं कर सकता (लूका 16:13). आध्यात्मिक मूल्यों को सांसारिक लालसा से ऊपर रखना चाहिए.
- दया और अहिंसा : “गाल पर चपत लगे तो दूसरा गाल आगे कर दो” (लूका 6:29). यीशु ने हिंसा के बदले प्रेम और धैर्य का मार्ग दिखाया.
यीशु का संदेश: प्रेम और बलिदान
गुड फ्राइडे यीशु के “सर्वोच्च प्रेम” का प्रतीक है, जिसमें उन्होंने मानवता के उद्धार के लिए अपना जीवन दिया. उनकी शिक्षाएँ आज भी माफी, सेवा और निस्वार्थ प्रेम के माध्यम से समाज को प्रेरित करती हैं . इस दिन ईसाई समुदाय यीशु के जीवन दर्शन को अपनाने और उनके मार्ग पर चलने का संकल्प लेता है.

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