संविधान और मतदाताओं का अपमान बर्दाश्त नहीं: तेजस्वी यादव
INDIA गठबंधन ने बताया ‘संवैधानिक हमला’
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 27 जून: बिहार की सियासत एक बार फिर गर्म हो गई है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शुक्रवार को पटना स्थित अपने आवास 01 पोलो रोड में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला. INDIA महागठबंधन के प्रमुख नेताओं की मौजूदगी में तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि बिहार में विशेष मतदाता गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया संविधान और लोकतंत्र के साथ खुला मजाक है.

उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर चुनाव आयोग महज 25 दिनों में राज्य के 8 करोड़ मतदाताओं की जांच क्यों कराना चाहता है, जबकि यही कार्य 22 साल पहले दो साल में पूरा हुआ था. तेजस्वी ने आरोप लगाया कि यह कवायद गरीब, शोषित, पिछड़े, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक मतदाताओं को सूची से बाहर करने की सुनियोजित साजिश है.
बाढ़ और पलायन के बीच दस्तावेज कैसे देंगे लोग?
तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के लगभग 73% हिस्से में बाढ़ का खतरा बना हुआ है. ऐसे में जब आम लोग अपने जीवन और संपत्ति को बचाने में लगे हैं, तो वो चुनाव आयोग द्वारा मांगे जा रहे दस्तावेज कैसे जमा करेंगे? उन्होंने दावा किया कि जिन कर्मचारियों को सूचीबद्ध कार्य दिया गया है, उन्हें 90% मतदाताओं की पूरी सूची नहीं मिली है.
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2024 की वोटर लिस्ट पर सवाल क्यों?
तेजस्वी ने यह भी पूछा कि जब 2024 के लोकसभा चुनाव इन्हीं मतदाता सूचियों के आधार पर कराए गए, तब वो वैध थीं, तो अब वही सूची अचानक अवैध कैसे हो गई? अगर सरकार को इनमें गड़बड़ी लगती है, तो वह 2024 का चुनाव ही अवैध घोषित करे.
नागरिकता साबित करने के लिए ‘डॉक्यूमेंट वार’
महागठबंधन नेताओं के अनुसार, इस पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत 18-40 वर्ष आयु वर्ग के लोगों को माता-पिता के जन्म प्रमाणपत्र और स्थायी निवास प्रमाणपत्र जैसे दस्तावेज पेश करने होंगे. जबकि 2001 से 2025 के बीच जन्मे बच्चों में सिर्फ 2.8% के पास ही जन्म प्रमाणपत्र हैं.
सिर्फ बिहार में क्यों?
तेजस्वी ने पूछा की आखिर सिर्फ बिहार में ही यह प्रक्रिया क्यों?” उन्होंने इसे भाजपा और नीतीश सरकार के पक्ष में चुनावी लाभ पहुंचाने की साजिश बताया. उन्होंने पलायन के आंकड़े रखते हुए कहा कि बिहार से अब तक लगभग साढ़े सात करोड़ लोग अन्य राज्यों में जा चुके हैं, फिर भी उन पर पुनरीक्षण के लिए दस्तावेज लाने का दबाव डाला जा रहा है.
विपक्ष का सरकार और चुनाव आयोग पर सीधा वार
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम ने कहा कि जिस तरह महाराष्ट्र में चुनावी हस्तक्षेप हुआ, अब वही बिहार में हो रहा है. कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि जब भी भाजपा संकट में आती है, चुनाव आयोग उसके साथ खड़ा दिखाई देता है. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार मतदाता सूची में सेंध लगाकर लोकतंत्र पर डाका डालने की कोशिश कर रही है.
भाकपा माले के दीपांकर भट्टाचार्य ने इसे “वोटबंदी” की साजिश बताया और कहा कि पहली बार मतदाता को प्रमाण देना होगा कि वह क्यों मतदाता है.उन्होंने चुनाव आयोग से पूछा कि जब दिल्ली में सभी दलों के साथ बैठक हुई थी, तब यह मुद्दा क्यों नहीं उठाया गया?
वीआईपी पार्टी के प्रवक्ता देव ज्योति ने इस प्रक्रिया को “बैकडोर से एनआरसी लागू करने की चाल” करार दिया, जबकि सीपीआई नेता रामबाबू कुमार ने इसे “आजाद भारत का सबसे बड़ा इलेक्टोरल फ्रॉड” बताया.
सीपीआई(एम) के अरुण कुमार ने केंद्र सरकार पर संवैधानिक संस्थाओं को हाइजैक करने का आरोप लगाया और कहा कि यह सब लोकतंत्र के विरुद्ध है.
निष्कर्ष
संवाददाता सम्मेलन में सभी विपक्षी दलों ने एकजुट होकर इस मुद्दे पर लड़ाई का ऐलान किया. तेजस्वी यादव ने चेतावनी दी कि अगर यह प्रक्रिया तुरंत रोकी नहीं गई, तो बिहार के लोग सड़कों पर उतरेंगे और अपने मताधिकार की रक्षा करेंगे.
INDIA महागठबंधन की स्पष्ट चेतावनी है – “बिहार में संविधान और लोकतंत्र से छेड़छाड़ बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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