भाकपा(माले) का उग्र प्रदर्शन, सरकार पर गंभीर आरोप
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,1 अगस्त :बिहार की राजधानी से सटे फुलवारीशरीफ प्रखंड के जानीपुर गांव में हुई एक अमानवीय घटना ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया है.नगवा नहर के पास दो मासूम भाई-बहन ,आठ वर्षीय अंजली गुप्ता और छह वर्षीय अंश गुप्ता, की जली हुई लाशें मिलने से सनसनी फैल गया है. स्थानीय लोगों और परिजनों ने इस हत्या को सुनियोजित अपराध करार देते हुए आरोप लगाया है कि अंजली के साथ पहले बलात्कार किया गया और फिर साक्ष्य मिटाने के लिए दोनों बच्चों को जला दिया गया है.
क्या है मामला?
घटना 31 जुलाई को दोपहर करीब 2 बजे की बताया जा रहा है. जब दोनों बच्चे अपने घर के पास खेल रहे थे.उनके माता-पिता मजदूरी के लिए बाहर गये हुये थे. इस बीच दोनों बच्चों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. बच्चों की जली हुई लाशें नगवा नहर के पास मिलीं.जिससे साफ है कि उन्हें आग के हवाले किया गया. बच्ची के शरीर पर यौन हिंसा के संकेत मिलने का भी बात सामने आ रही है. हालांकि पुलिस ने अब तक किसी भी पुष्टि से इनकार किया है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कोई सामान्य दुर्घटना नहीं है.बल्कि एक सुनियोजित वहशी कांड है. जिसमें बच्चों को शिकार बनाया गया.
सरकार और प्रशासन पर भाकपा(माले) का सीधा हमला
इस घटना के बाद राज्य की राजनीति गरमा गया है. भाकपा(माले) ने इसे सत्ता संरक्षित अपराध बताया है. पार्टी के राज्य सचिव कॉमरेड कुणाल ने नीतीश कुमार और भाजपा की गठबंधन सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि,
“यह सरकार गरीबों, दलितों और महिलाओं के खिलाफ एक हिंसक शासन में तब्दील हो चुका है. अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और प्रशासन पूरी तरह संवेदनहीन बन चुका है.”
कुणाल ने यह भी आरोप लगाया कि घटना के 20 घंटे बाद भी न तो किसी की गिरफ्तारी हुआ है.और न ही किसी अधिकारी ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया है.मौके पर फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड को जरूर बुलाया गया. लेकिन अब तक की सारी कार्रवाई ‘दिखावटी’ प्रतीत हो रही है.
जानीपुर बाजार में धरना: विधायक गोपाल रविदास की अगुवाई में उमड़ा जनसैलाब
घटना के विरोध में आज भाकपा(माले) विधायक कॉमरेड गोपाल रविदास की अगुवाई में सैकड़ों ग्रामीणों और पीड़ित बच्चों के परिजनों ने जानीपुर बाजार में जोरदार धरना प्रदर्शन किया.धरना स्थल पर महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों का भारी जमावड़ा देखा गया. लोगों का गुस्सा फूट पड़ा और सभी एक सुर में न्याय की माँग करते नजर आये.
धरना में उठाई गई मुख्य माँगें:
- जानीपुर थाना अध्यक्ष को तुरंत बर्खास्त किया जाए
- दोषियों की तत्काल गिरफ्तारी की जाए
- पीड़ित परिवार को ₹25 लाख मुआवजा दिया जाए
- मामले की न्यायिक जांच कराई जाए
- पीड़ित परिवार को स्थायी सुरक्षा प्रदान की जाए
- वरीय पुलिस अधिकारी खुद परिवार से मिलें और कार्रवाई का भरोसा दें
विधायक रविदास ने कहा कि,
“बिहार में सुशासन की बात करना अब सिर्फ मज़ाक बन गया है. बच्चियाँ असुरक्षित हैं. और गरीबों की कोई सुनवाई नहीं हो रहा है. यह जंगलराज की वापसी नहीं, बल्कि उसका विस्तार है.”
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सरकारी चुप्पी से नाराज़गी, आंदोलन तेज़ करने की चेतावनी
भाकपा(माले) ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि यदि राज्य सरकार ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं किया तो पार्टी राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करेगा.पार्टी ने चेताया कि वह सड़क से विधानसभा तक विरोध की लहर खड़ा करेगा.
कॉमरेड कुणाल ने सरकार से माँग किया कि,
- पीड़ित परिवार को अविलंब न्याय दिलाया जाए
- घटना की निष्पक्ष न्यायिक जांच हो
- दोषियों को फास्ट ट्रैक कोर्ट के माध्यम से सख्त सज़ा दी जाए
स्थानीय लोग डरे हुए, बच्चियों की सुरक्षा पर सवाल
घटना के बाद से पूरे क्षेत्र में भय और आक्रोश का माहौल है. स्थानीय निवासी बताते हैं कि इससे पहले भी क्षेत्र में बच्चों के साथ आपराधिक घटनाएं हो चुका हैं. लेकिन पुलिस की भूमिका हमेशा संदेह के घेरे में रहा है. इस मामले में थाना अध्यक्ष की निष्क्रियता ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है.
क्या कहते हैं मानवाधिकार और बाल सुरक्षा कार्यकर्ता?
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चाइल्ड प्रोटेक्शन एक्टिविस्ट्स का मानना है कि इस मामले में यदि प्रशासन ने तत्परता नहीं दिखाई तो यह आने वाले समय में राज्य के लिए एक गंभीर सामाजिक संकट का कारण बन सकता है.उनका कहना है कि न्याय में देरी का अर्थ न्याय से इनकार है. और ऐसी घटनाएं केवल कानून के खोखलेपन को उजागर करता हैं.
निष्कर्ष: क्या मिलेगा न्याय या दबा दी जाएगी आवाज?
जानीपुर की यह घटना बिहार की राजनीति पुलिस व्यवस्था और सामाजिक सुरक्षा तंत्र पर गहरा प्रश्नचिह्न खड़ा करता है. जहां एक तरफ सरकार ‘सुशासन’ का दावा करता है.वहीं दूसरी ओर जमीनी सच्चाई बेहद डरावना है.
अब सवाल यह है कि क्या पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा.या यह मामला भी सैकड़ों अन्य मामलों की तरह सरकारी फाइलों और नेताओं के भाषणों में दब जाएगा?

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