संघर्षों की मिट्टी से निकला एक जननेता
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 1 नवम्बर 2025 — भोजपुर की धरती ने हमेशा संघर्ष और साहस की कहानियाँ गढ़ी हैं.इसी धरती से एक और जनयोद्धा निकलकर सामने आए हैं, का. मदन सिंह चंद्रवंशी, जिन्हें इंडिया गठबंधन की ओर से भाकपा–माले ने तरारी विधानसभा से अपना प्रत्याशी घोषित किया है.
वे किसी राजनीतिक वंश के नहीं, बल्कि जनसंघर्षों की भट्ठी में तपे हुए, निर्भीक और सच्चे जननेता हैं.
अन्याय के खिलाफ संघर्ष से राजनीति तक
1958 में जन्मे का. मदन सिंह चंद्रवंशी का बचपन गरीबी और संघर्ष में बीता है उनके पिता, स्व. कुम्भी सिंह — एक शिक्षित और आत्मसम्मानी व्यक्ति थे, जिन्होंने सरकारी नौकरी से इस्तीफ़ा देकर भेदभाव के खिलाफ अपनी लड़ाई शुरू की.
इसी विरासत ने मदन सिंह को बचपन से ही अन्याय के खिलाफ खड़ा होना सिखाया.
सिर्फ नौवीं तक पढ़ाई कर पाने के बावजूद, उन्होंने समाज के लिए अपना जीवन समर्पित करने का संकल्प लिया.
1987 में भाकपा-माले से जुड़कर वे पूर्णकालिक कार्यकर्ता बने और सहार क्षेत्र में सामंतवाद के खिलाफ कई आंदोलनों का नेतृत्व किया.
जनहित की राह पर संघर्ष की मिसालें
1989 में उन्होंने खैरा से अंधारी तक सड़क निर्माण आंदोलन का नेतृत्व किया — जहाँ जनता के हक़ की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने में वे अग्रणी रहे.
1998 में जब जनमुद्दों पर 7 दिन का अनशन हुआ, तो उन्हें जेल भेज दिया गया.लेकिन जेल की दीवारें भी उनकी आवाज़ नहीं रोक सकीं — उन्होंने वहाँ राशन चोरी और जेल भ्रष्टाचार के खिलाफ भी आंदोलन छेड़ दिया.
लगभग 30 फर्जी मुकदमे, तीन बार घर का तोड़ा जाना, और 9 साल की जेल यात्रा — इन सबके बावजूद उनका हौसला नहीं टूटा.
बल्कि हर बार उन्होंने संघर्ष को और मज़बूत किया.
जनता के भरोसे से बनी सच्ची पहचान
संघर्ष की इस लंबी यात्रा के बाद 2016 में जनता ने उन्हें अंधारी पंचायत समिति सदस्य के रूप में चुना, और वे आगे चलकर सहार प्रखंड प्रमुख बने.
आज वे भाकपा–माले की आरा जिला कमिटी के सदस्य हैं और अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मज़दूर सभा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं.
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तरारी की आवाज़, जनता की उम्मीद
भाकपा–माले ने तरारी से इस सच्चे जननायक को मैदान में उतारकर एक संदेश दिया है,
यह चुनाव सिर्फ व्यक्ति का नहीं, बल्कि जनसंघर्षों की विचारधारा का चुनाव है.
का. मदन सिंह चंद्रवंशी की उम्मीदवारी उस राजनीति का प्रतीक है जो सत्ता के लिए नहीं, जनता के अधिकार और सम्मान के लिए लड़ी जाती है.
निष्कर्ष
अब वक्त है तरारी की जनता के उस बेटे को आगे लाने का जिसने जीवनभर उनके हक़ की लड़ाई लड़ी.
मदन सिंह चंद्रवंशी की जीत, जनता के संघर्ष और सम्मान की जीत होगी!

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