गायब वोटर, फर्जी विलोपन और जन अधिकारों के हनन के खिलाफ जनजागरूकता की मुहिम
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 30 जुलाई:राजनीतिक तापमान के बीच बिहार में एक नई लोकतांत्रिक पहल की शुरुआत होने जा रहा है.भाकपा (माले) ने राज्य में मतदाता सूची में पारदर्शिता और जनाधिकारों की सुरक्षा को लेकर मोर्चा खोल दिया है.पार्टी ने 1 अगस्त से पूरे राज्य में ‘बूथ चलो अभियान’ चलाने का ऐलान किया है. जिसका उद्देश्य मतदाता सूची की गड़बड़ियों को उजागर करना और चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है.
चुनाव आयोग को पत्र, विस्तृत सूची की मांग
माले के राज्य सचिव कामरेड कुणाल ने बिहार के मुख्य चुनाव पदाधिकारी (सीईओ) को एक आधिकारिक पत्र भेजते हुए मांग किया है कि 26 जुलाई 2025 के बाद मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया के तहत तैयार किया गया मृत, स्थायी रूप से पलायन कर चुके, और लापता मतदाताओं की बूथवार सूची – पूर्ण पते समेत – पार्टी को तत्काल उपलब्ध कराया जाये.
कामरेड कुणाल का कहना है कि कुछ जिलों में प्रशासन द्वारा सूचियां भेजी जा रहा हैं.लेकिन उनमें केवल संख्या दिया गया है. जिससे यह जान पाना मुश्किल हो रहा है कि किन मतदाताओं को सूची से हटाया गया है और किन कारणों से. उन्होंने मांग किया है कि राज्य स्तर पर एक समेकित और स्पष्ट सूची जारी किया जाये ताकि गड़बड़ियों का निष्पक्ष आकलन किया जा सके.
“सिर्फ आंकड़े देकर प्रशासन ने ज़िम्मेदारी पूरी कर दिया है यह सोच ठीक नहीं है.हम चाहते हैं कि हर नाम, पता और कारण स्पष्ट रूप से सामने आए ताकि जन अधिकारों की रक्षा की जा सके: कामरेड कुणाल, राज्य सचिव, माले
बूथ स्तर पर जन-जांच: क्या है ‘बूथ चलो अभियान’?
माले द्वारा शुरू किया जा रहा ‘बूथ चलो अभियान’ केवल एक राजनीतिक आयोजन नहीं बल्कि चुनाव सुधार और मतदाता अधिकारों की रक्षा के लिए एक जन-आंदोलन का रूप ले रहा है. 1 अगस्त से शुरू होकर यह अभियान सात दिनों तक चलेगा और इसका मुख्य फोकस उन विधानसभा क्षेत्रों पर रहेगा.जहां माले आगामी चुनावों में सक्रिय भूमिका निभाने जा रहा है.
इस अभियान के तहत
- पार्टी के विधायक, वरिष्ठ नेता, कार्यकर्ता और समर्थक हर बूथ पर जाएंगे.
- वहां मतदाता सूची का स्थानीय स्तर पर विश्लेषण किया जाएगा.
- यह देखा जाएगा कि किस आधार पर मतदाताओं को सूची से हटाया गया है.
- ग़लत तरीके से हटाए गए नामों को चिन्हित कर चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा.
“हम बूथों पर जाकर खुद जांच करेंगे कि कहां-कहां लोगों के वोट कटा हैं. चुनाव आयोग को बताना चाहते हैं कि लोकतंत्र में किसी का नाम बिना वजह हटाना बहुत बड़ा अपराध है”:कामरेड कुणाल
लोकतंत्र की रक्षा की पुकार
माले ने अपने पत्र में यह भी अपील किया है कि चुनाव आयोग सभी दलों को समय पर जरूरी सूचना उपलब्ध कराए और यह सुनिश्चित करे कि मतदाता पुनरीक्षण प्रक्रिया में पारदर्शिता बना रहे.
पार्टी ने इस मुद्दे को लोकतांत्रिक गरिमा से जोड़ते हुए चेताया है कि यदि पारदर्शिता और निष्पक्षता नहीं बरती गई तो यह न केवल जनविश्वास को ठेस पहुंचायेगा बल्कि आगामी चुनावों की वैधता भी सवालों के घेरे में आ जायेगा.
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राजनीतिक दृष्टि से क्यों महत्वपूर्ण है यह अभियान?
2025 में बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोर पकड़ रहा हैं और ऐसे समय में माले का यह कदम एक सशक्त विपक्षी भूमिका के संकेत देता है.
मतदाता सूची की शुद्धता पर सवाल उठाकर माले एक ऐसे मुद्दे को सामने ला रहा है जो आम जनता से सीधे जुड़ा है – वोट देने का अधिकार.
बूथ चलो अभियान’ जहां पार्टी के कैडर को जमीनी स्तर पर सक्रिय करेगा वहीं यह अभियान चुनाव आयोग पर भी दबाव बनाएगा कि वह सूची में हो रही गड़बड़ियों को गंभीरता से ले.
निष्कर्ष: चुनावी चेतना की नयी लहर
माले का यह अभियान साबित करता है कि लोकतंत्र केवल वोट डालने का दिन नहीं होता बल्कि हर दिन अपने अधिकारों के लिए सतर्क रहने की जरूरत होता है. मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल उठाना केवल एक राजनीतिक मांग नहीं है बल्कि हर नागरिक के हक की रक्षा की पहल है.
1 अगस्त से शुरू हो रहे इस अभियान पर बिहार की राजनीतिक निगाहें टिकी रहेंगी.देखना यह होगा कि क्या चुनाव आयोग माले की मांगों को गंभीरता से लेता है और क्या यह अभियान मतदाता जागरूकता की एक नई लहर पैदा कर पाता है.

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