मतदाता सूची या रहस्य दस्तावेज? – श्रेणीवार डेटा छिपा रहा चुनाव आयोग!

| BY

Ajit Kumar

बिहार
मतदाता सूची या रहस्य दस्तावेज? – श्रेणीवार डेटा छिपा रहा चुनाव आयोग!

राजद का बड़ा सवाल – कौन मरा, कौन विस्थापित, कौन डुप्लीकेट? जवाब देने से क्यों बच रहा आयोग?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 6 अगस्त:बिहार में मतदाता सूची को लेकर सियासी माहौल गर्म होता जा रहा है. राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने आज चुनाव आयोग की कार्यशैली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाया हैं. उनका कहना है कि आयोग से बार-बार अनुरोध किये जाने के बावजूद यह बताने को तैयार नहीं है कि 1 अगस्त को प्रकाशित प्रारूप निर्वाचक सूची से हटाये गए करीब 65 लाख मतदाताओं के नाम किन-किन कारणों से विलोपित किया गया है.

राजद प्रवक्ता ने कहा कि जब चुनाव आयोग खुद यह स्वीकार कर चुका है कि लाखों नाम हटाए गये हैं और श्रेणीवार आंकड़ा उपलब्ध है.तो फिर यह स्पष्ट विवरण देने में देरी क्यों? उन्होंने सवाल किया कि आखिर किनका नाम मृत घोषित, विस्थापित, डुप्लीकेट या पता अज्ञात जैसे कारणों से हटाया गया – यह जानकारी सार्वजनिक क्यों नहीं किया जा रहा है?

आयोग की पारदर्शिता पर सवाल

गगन के अनुसार चुनाव आयोग द्वारा अब तक जो सूची राजनीतिक दलों को दिया गया है वह अधूरी है. उसमें केवल नाम हटाए जाने की सूचना है. लेकिन हटाए जाने का कारण नहीं दर्शाया गया है.इससे मतदाता सूची में पारदर्शिता की मांग और भी मजबूत हो गया है.

बार-बार रखी गई मांग, फिर भी नहीं मिली जानकारी

राजद की ओर से यह मांग पहले भी कई बार उठाया गया है.1 अगस्त को इंडिया गठबंधन ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर यह मांग किया था. इससे पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी प्रेस कॉन्फ्रेंस और मुलाकातों के जरिए यह विषय उठा चुके हैं.वहीं 5 अगस्त को राजद प्रदेश अध्यक्ष मंगनीलाल मंडल ने भी इस मांग को दोहराते हुए एक पत्र (पत्रांक 170-15.8.25) भेजा था.

गगन का आरोप है कि इसके जवाब में चुनाव आयोग ने आज (6 अगस्त) जो पत्र (B1-3-45/2025-2886) भेजा है, उसमें सिर्फ पुरानी बातें दोहया गया है. , जबकि बुनियादी सवालों का कोई उत्तर नहीं दिया गया है.

कितनों ने दस्तावेज जमा किए – यह भी बना सवाल

कितनों ने दस्तावेज जमा किए – यह भी बना सवाल
राजद प्रवक्ता ने आयोग से यह भी जानकारी मांगा है कि प्रारूप मतदाता सूची में जिन मतदाताओं के नाम शामिल हैं.उनमें से कितनों ने निर्धारित दस्तावेज जमा किया गया है.उनका कहना है कि आयोग की ओर से प्रतिदिन जारी बुलेटिन में भी इस आंकड़े का उल्लेख किया जाना चाहिये.

लाखों और नाम विलोपित होने की आशंका

चित्तरंजन गगन ने चिंता जताते हुए कहा कि आयोग के मौजूदा रवैये से लगता है कि यह सिलसिला यहीं नहीं रुकेगा.उन्होंने आशंका जताई कि 65 लाख के अलावा डेढ़ से दो करोड़ मतदाताओं के नाम भी आगे चलकर दस्तावेजों के अभाव में सूची से हटा दिए जाएंगे.वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में नए नाम भी जोड़े जाने की योजना है.

निष्कर्ष

राजद का यह आरोप चुनाव आयोग की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर एक बड़ी बहस को जन्म देता है. जब लोकतंत्र का सबसे बड़ा आधार मतदाता सूची ही संदेह के घेरे में आ जाए तो सवाल उठना लाजमी है. अब देखना होगा कि आयोग इन आरोपों और मांगों का कैसे जवाब देता है. और क्या जनता को सच में यह जानने का अधिकार मिलेगा कि किन कारणों से उन्हें मतदाता सूची से बाहर किया गया.

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