मोदी सरकार ट्रंप के झूठ पर चुप क्यों? मल्लिकार्जुन खड़गे का तीखा हमला

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Ajit Kumar

दुनियाभारत
मोदी सरकार ट्रंप के झूठ पर चुप क्यों? मल्लिकार्जुन खड़गे का तीखा हमला

विपक्ष की आवाज, खड़गे बोले ,भारत की गरिमा से समझौता नहीं होना चाहिए”

तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली,30 जुलाई :राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार पर एक बार फिर तीखा प्रहार किया है. इस बार मामला जुड़ा है अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस विवादित बयान से जिसमें उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीज़फायर का श्रेय खुद को दिया है.

खड़गे ने इस बयान को न सिर्फ झूठा बताया है बल्कि यह भी आरोप लगाया कि मोदी सरकार में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह ट्रंप के इस झूठ का विरोध कर सके.अपने X (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर खड़गे ने लिखा है कि,

मैंने कल ही कहा था संसद में मेरा भाषण समाप्त होने तक ट्रंप का CEASEFIRE वाला दावा 30 दफ़ा हो जाएगा!

पर मोदी जी में हिम्मत नहीं है कि वो ये बोल पाएँ कि ट्रंप झूठ बोल रहें हैं. और हम इसको सहन नहीं करेंगे.

We shall not tolerate such nonsense — ऐसा बोलने की इनकी हिम्मत नहीं है.

क्या कहा था डोनाल्ड ट्रंप ने?

हाल ही में अमेरिका में एक चुनावी रैली के दौरान ट्रंप ने दावा किया था कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करवाने में अहम भूमिका निभाया है. उन्होंने यहां तक कहा कि अगर वह नहीं होते तो दोनों देश अब तक युद्ध में उलझ चुके होते.”यह दावा सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ और भारत में राजनीतिक गलियारों में भूचाल सा आ गया.

विपक्ष का सवाल: विदेश नीति पर भी ‘मन की बात’ कब?

विपक्ष का कहना है कि मोदी सरकार देश की विदेश नीति को लेकर पारदर्शी नहीं है. खड़गे ने संसद में भी सवाल उठाया कि जब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को लेकर झूठे दावे किए जाते हैं. तो प्रधानमंत्री की रणनीतिक चुप्पी क्यों रहती है?

उन्होंने यह भी कहा कि,
जब बात देश की प्रतिष्ठा की हो तो सरकार की चुप्पी डर और दबाव का संकेत देती है. न कि परिपक्वता का.

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विदेश मंत्रालय की भूमिका पर भी सवाल

अब तक भारत सरकार या विदेश मंत्रालय की ओर से ट्रंप के इस बयान पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है. इस पर खड़गे का कहना है कि जब देश की संप्रभुता और रणनीतिक मामलों पर कोई विदेशी नेता गलत बयान दे. तो मौन रहना आत्मसमर्पण जैसा है.

राजनीति या राष्ट्रनीति?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि खड़गे का यह बयान केवल सरकार की आलोचना नहीं. बल्कि उस नीति की कमी को उजागर करता है.जहां भारत की सॉवरेन इमेज को बचाने के लिए स्पष्ट और सख्त प्रतिक्रिया ज़रूरी होता है.

निष्कर्ष:

खड़गे का बयान केवल एक विपक्षी नेता की नाराज़गी नहीं है. बल्कि यह उस व्यापक भावना को दर्शाता है कि भारत को अपनी विदेश नीति पर अधिक सशक्त और स्पष्ट रुख अपनाना चाहिए.खासकर तब जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हमारे बारे में झूठी बातें कहा जायें.

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