माउंटेन मैन को नमन: राजद कार्यालय में दशरथ मांझी को दी गई श्रद्धांजलि

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Ajit Kumar

बिहार
माउंटेन मैन को नमन: राजद कार्यालय में दशरथ मांझी को दी गई श्रद्धांजलि

दशरथ मांझी: सिर्फ एक नाम नहीं, सामाजिक क्रांति का प्रतीक

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 17 अगस्त 2025 – जब जुनून और जिद इंसान के भीतर एक आग बनकर जलता है. तो वह पहाड़ों को भी चीर सकता है. ऐसा ही एक नाम है – दशरथ मांझी, जिन्हें आज पूरी दुनिया उन्हें “माउंटेन मैन” के नाम से जानती है. प्रेम और संघर्ष की कहानी को खुद की हथौड़ी-छैनी से गढ़ने वाले मांझी ने साबित कर दिया कि एक साधारण इंसान भी असाधारण इतिहास लिख सकता है.

दशरथ मांझी: सिर्फ एक नाम नहीं, सामाजिक क्रांति का प्रतीक

आज, उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर राष्ट्रीय जनता दल ने पटना स्थित अपने राज्य कार्यालय में उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनके जीवन और योगदान को याद किया. न केवल उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. बल्कि उनके साहसिक कार्यों से प्रेरणा लेकर समाज में बदलाव के संकल्प भी लिया गया है .

आइए, आगे जानते हैं कि कैसे राजद नेताओं और कार्यकर्ताओं ने इस प्रेरणादायी अवसर को एक सामाजिक संदेश में बदला…

राजद कार्यालय में दशरथ मांझी को दी गई श्रद्धांजलि

राजद कार्यालय में दशरथ मांझी को दी गई श्रद्धांजलि

राजधानी पटना स्थित राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्य कार्यालय, 02 वीरचंद पटेल पथ में आज “माउंटेन मैन” के नाम से प्रसिद्ध दशरथ मांझी की पुण्यतिथि को भावपूर्ण तरीके से मनाई गई है. इस अवसर पर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, पदाधिकारियों और सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने मांझी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये. कार्यक्रम की अध्यक्षता राजद के राष्ट्रीय महासचिव श्री बीनू यादव ने किया .

पहाड़ को हराने वाला व्यक्ति आज भी देता है जीने की ताकत: नेताओं की भावुक अभिव्यक्ति

दशरथ मांझी की कहानी किसी परिकथा से कम नहीं है —गया के एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने प्रेम, जुनून और सामाजिक बदलाव के लिए जिस दृढ़ संकल्प का परिचय दिया है. वह आज भी लोगों को प्रेरणा देता है.
राजद नेताओं ने मांझी के साहस को सलाम करते हुए कहा कि, जो व्यक्ति अकेले हाथों से पहाड़ काट सकता है. वो समाज में बदलाव की सबसे बड़ी मिसाल बन सकता है.

श्री बीनू यादव ने कहा कि ,मांझी जी ने साबित किया है कि जुनून के आगे पहाड़ भी झुक जाते हैं. उनका जीवन आज की युवा पीढ़ी के लिए दीपस्तंभ है.

दशरथ मांझी: सिर्फ एक नाम नहीं, सामाजिक क्रांति का प्रतीक

दशरथ मांझी: सिर्फ एक नाम नहीं, सामाजिक क्रांति का प्रतीक

कार्यक्रम में वक्ताओं ने दो टूक कहा कि दशरथ मांझी सिर्फ एक व्यक्ति नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं. उन्होंने अपने अकेले संघर्ष से यह दिखा दिया कि सिस्टम से लड़ाई लड़ने के लिए सत्ता नहीं, साहस चाहिये.
उनके द्वारा 22 वर्षों तक लगातार हथौड़ी और छैनी से पहाड़ काटकर बनाया गया रास्ता—आज भी संघर्ष और समर्पण की जीवित मिसाल है.

राजद ने इस मौके पर संकल्प लिया कि वह मांझी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए समाज के वंचित, शोषित और उपेक्षित वर्गों के अधिकारों की लड़ाई को और मजबूती से लड़ेगा.

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राजद नेताओं ने कहा – मांझी की प्रेरणा को गांव-गांव पहुंचाएंगे

इस पुण्यतिथि समारोह में राजद के कई प्रमुख चेहरे शामिल हुये :प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, महासचिव संजय यादव, मुकुंद सिंह, मदन शर्मा, अरुण कुमार, निर्भय अंबेडकर, महेंद्र प्रसाद विद्यार्थी, तंजीम अहमद, पूजा यादव, अरशद अली, बच्चा कुमार सिंह, सीताराम यादव, भीम कुमार मांझी समेत कई अन्य नेता मौजूद रहे.

सभी ने एक स्वर में कहा कि दशरथ मांझी के विचारों और उनकी जीवनी को राज्य के कोने-कोने तक पहुंचाया जाएगा ताकि हर नागरिक यह समझ सके कि परिवर्तन लाने के लिए एक अकेला इंसान भी काफी होता है.

संदेश साफ है: असंभव कुछ नहीं, मांझी जैसे लोग भारत की असली ताक़त हैं

राजद ने अपने इस आयोजन के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया कि पार्टी उन जड़ों से जुड़ी है जो जमीन से उठकर समाज को बदलने की ताक़त रखती हैं.
दशरथ मांझी जैसे साधारण व्यक्ति की असाधारण उपलब्धि यह बताता है कि अगर जज़्बा हो तो कोई भी बाधा बड़ी नहीं होती.

कार्यक्रम के समापन पर सभी कार्यकर्ताओं ने मांझी के पदचिह्नों पर चलने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का संकल्प लिया.

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