मेरा मंत्रिमंडल छीना, विधायक खरीदे, फिर भी मुझे BJP का बताया जा रहा है!:मुकेश सहनी

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Ajit Kumar

बिहार
मेरा मंत्रिमंडल छीना, विधायक खरीदे, फिर भी मुझे BJP का बताया जा रहा है!:मुकेश सहनी

BJP से दूरी के बावजूद, लोग मुझे उसी के साथ जोड़ रहे हैं!

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,13 जुलाई :बिहार की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गया है. विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी नेसोशल मीडिया पर एक भावुक और तीखा बयान देते हुए भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर एक गंभीर आरोप लगाया हैं.उन्होंने कहा कि मेरा मंत्रिमंडल छीना गया, उनके विधायकों को तोड़ने की कोशिश हुआ फिर भी मीडिया और राजनीतिक विरोधी उन्हें भाजपा का समर्थक बताने में लगा हुआ है.

मुकेश सहनी की X पोस्ट ने मचाई सनसनी
मुकेश सहनी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X हैंडल @sonofmallah से एक पोस्ट करते हुए लिखा की :

“BJP ने मेरा मंत्रिमंडल छीना, विधायक खरीदे, फिर भी मुझे BJP के साथ जोड़ा जा रहा है! वंचितों और पिछड़ों के हक की आवाज उठाते हैं तो हम पर आरोप लगते हैं, चुप रहें तो हमारा हक छीन लिया जाता है.”

मुकेश सहनी का यह बयान सिर्फ राजनीतिक आरोप नहीं है बल्कि एक सामाजिक और जातीय संघर्ष की एक झलक भी दिखाई देता है. सहनी हमेशा से निषाद, मल्लाह और अन्य वंचित समुदायों के आवाज बनकर उभरे हैं.और इस पोस्ट में उन्होंने साफ किया कि उनकी लड़ाई किसी पार्टी से नहीं है उनकी लड़ाई तो सामाजिक न्याय के लिए है.

क्या है पृष्ठभूमि?

मुकेश सहनी बिहार के राजनीति में एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने मल्लाह और पिछड़े वर्गों को संगठित करने का कोशिश किया है.2020 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने NDA के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा और मंत्री पद भी हासिल किया लेकिन कुछ ही महीनों बाद बीजेपी ने उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया और उनके पार्टी के विधायकों को भी तोड़ लिया गया.

इसके बाद वीआईपी पार्टी का ग्राफ भले ही विधानसभा में गिर गया हो लेकिन सहनी ने जनसंपर्क और सोशल मीडिया के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन बनाये रखा.उनका आरोप है कि BJP ने उन्हें रणनीति के तहत सत्ता से बाहर किया और अब उन्हें ‘छल’ कर बदनाम भी किया जा रहा है.

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वंचितों की राजनीति और सहनी का संघर्ष

मुकेश सहनी ने खुद को “मल्लाह का बेटा” कहकर पिछड़े वर्गों की राजनीति के अब प्रतीक बन चुके हैं. उनका दावा है कि वे जो भी बोलते हैं वह वंचित समुदायों के हक की बात होता है लेकिन राजनीतिक ताकतें उन्हें चुप कराना चाहती हैं.

मुकेश सहनी कहते हैं कि,
जब हम बोलते हैं, तब हमें विद्रोही कहा जाता है. जब हम चुप रहते हैं, तब हमारा सब कुछ छीन लिया जाता है.”

यह बयान न सिर्फ भाजपा के खिलाफ है बल्कि उन सभी राजनीतिक ताकतों पर कटाक्ष है जो सिर्फ चुनावी फायदे के लिए पिछड़े वर्गों को इस्तेमाल करता है.

क्या यह चुनावी रणनीति है?

राजनीतिक विश्लेषकों का यह मानना है कि यह बयान 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वीआईपी पार्टी की एक नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है.अब भाजपा और जदयू के गठजोड़ से बाहर है अभी मुकेश सहनी इंडिया महागठबंधन के साथ है.

सोशल मीडिया पर मिला समर्थन
मुकेश सहनी का यह पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.कई लोग इसे एक साहसिक कदम बता रहे हैं तो वहीं कुछ लोग इसे एक चुनावी स्टंट कह रहे हैं.लेकिन एक बात तय है कि यह बयान आने वाले हफ्तों में बिहार की राजनीति को और गरमाने वाला है.

निष्कर्ष

वीआईपी के प्रमुख मुकेश सहनी ने एक बार फिर स्पष्ट कर दिया है कि उनकी लड़ाई सत्ता से नहीं है चाहे उन्हें सत्ता से बेदखल किया जाए या बदनाम करने की कोशिश हो, मुकेश सहनी वंचितों की आवाज बने रहने का दावा कर रहे हैं. अब देखना होगा कि भाजपा इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और उनका यह बयान बिहार की राजनीति पर कितना असर डालता है.यह आने वाला समय ही बताएगा.

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