अब चुप रहना गुनाह होगा – उठो, सड़कों पर आओ!
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 29 अगस्त 2025 — बिहार की राजधानी में ज़िंदा जलाई गई एक छात्रा और संदिग्ध हालात में मरे दो मासूमों की चीखें अब पूरे राज्य में गूंज रही हैं. पर जिनकी जिम्मेदारी थी उन्हें बचाने की, वे ही अब न्याय की माँग करने वालों पर लाठियाँ चला रहे हैं. भाकपा(माले) ने इन घटनाओं पर बिहार सरकार और प्रशासन को खुली चुनौती दी है – अब जनता चुप नहीं बैठेगी, सत्ता की नींद तोड़नी होगी!
पटना के स्कूल में छात्रा को ज़िंदा जलाया गया – यह हत्या नहीं, समाज की आत्मा पर हमला है!
चितकोहरा के कन्या मध्य विद्यालय में जो हुआ, वह किसी बुरे सपने से कम नहीं है. एक छात्रा को स्कूल के बाथरूम में बंद कर उस पर केरोसिन डाला गया और आग लगा दी गई. जब दरवाज़ा तोड़ा गया, तब तक वह ज़िंदगी और मौत के बीच झुलस चुकी थी. अस्पताल ले जाते वक्त उसने दम तोड़ दिया था.
सवाल उठता है कि : क्या यह कोई व्यक्तिगत दुश्मनी थी? या फिर नफरत और सत्ता की चुप्पी से पैदा हुआ राक्षस?
शिक्षक और स्कूल प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है. और पूरे इलाके में दहशत का माहौल है.लेकिन सरकार की ओर से संवेदना की जगह खामोशी और लीपापोती?
इंद्रपुरी में दो मासूमों की संदिग्ध मौत – इंसाफ माँगने पर 48 नागरिकों पर मुकदमे!
पटना का ही इंद्रपुरी मोहल्ला भी सदमे में है. जहाँ दो बच्चों की रहस्यमय मौत ने सबको झकझोर कर रख दिया है. स्थानीय लोग जब निष्पक्ष जांच की माँग को लेकर आगे आए, तो उन्हें मिला – पुलिस का डंडा और थाने के नोटिस!
48 लोगों पर फर्जी मुकदमे
गिरफ्तारियाँ और दमन
परिवारों के साथ कोई न्याय नहीं
यह कैसा लोकतंत्र है जहाँ इंसाफ माँगना अपराध बन गया है?
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भाजपा-जदयू सरकार के संरक्षण में पल रहे दरिंदे – और जनता को ही अपराधी बना दिया गया है!
भाकपा(माले) के राज्य सचिव कुणाल ने सीधे शब्दों में कहा कि – यह सरकार बेटियों की सुरक्षा के नाम पर घड़ियाली आँसू बहाती है. लेकिन जब वही बेटियाँ जलती हैं तो ये सत्ता मौन साध लेती है.
सरकार की दोहरी नीति सामने है
अपराधियों को बचाओ
आवाज़ उठाने वालों को कुचल दो
कुणाल ने कहा कि यह महज़ प्रशासनिक विफलता नहीं बल्कि सत्ता का आपराधिक चरित्र है. जो अब पूरी तरह से उजागर हो चुका है.
भाकपा(माले) की 4 बड़ी माँगें – नहीं तो सड़कों पर होगा निर्णायक आंदोलन
- चितकोहरा हत्याकांड के दोषी शिक्षक अनिल कुमार और स्कूल प्रिंसिपल की तुरंत गिरफ्तारी और कड़ी सज़ा हो.
- इंद्रपुरी में बच्चों की मौत की उच्चस्तरीय न्यायिक जांच कराई जाए और सभी फर्जी मुकदमे वापस लिए जाएं.
- महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा के लिए ठोस, जमीनी कदम उठाए जाएं – सिर्फ़ घोषणाएं नहीं.
- पुलिसिया दमन और प्रशासनिक तानाशाही पर तुरंत रोक लगाई जाए – जिम्मेदार अधिकारियों को बर्खास्त किया जाए.
अब नहीं उठे तो देर हो जाएगी – जनता से भाकपा(माले) की अपील
भाकपा(माले) ने पटना और पूरे बिहार की जनता से आह्वान किया है कि –
अब चुप रहना खतरनाक है. जब शिक्षक जैसे पदों पर बैठे लोग दरिंदगी पर उतर आएँ और सरकार उन्हें बचाए, तो यह पूरे समाज के लिए चेतावनी है.बेटियों की चीखें सड़कों तक पहुँचनी चाहिए – अन्यथा यह आग आपके घर तक भी पहुँच सकती है.
इसके साथ ही कुणाल ने भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा कांग्रेस मुख्यालय पर की गई हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि –
भाजपा का चेहरा अब खुलेआम गुंडागर्दी और तानाशाही का प्रतीक बन चुका है. लोकतंत्र को बचाना है तो इस सरकार को उखाड़ फेंकना ही होगा.
यह कोई छोटी घटना नहीं, यह बिगुल है – उठो, संघर्ष करो!
पटना की सड़कों पर अब आक्रोश उतर चुका है. बेटियाँ, बच्चे, नागरिक – सभी सवाल कर रहे हैं.
क्या आप तैयार हैं आवाज़ उठाने के लिए?
क्या आप चुप रहेंगे जब आपके ही बच्चे सुरक्षित नहीं?
यह सिर्फ़ राजनीति नहीं, ज़िंदगी और न्याय की लड़ाई है.
यह सरकार को जवाबदेह बनाने का वक्त है.
यह आंदोलन अब हर गली, हर गाँव और हर दिल में होना चाहिए.

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