राहुल गांधी ने खोला चुनावी घोटाले का राज

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Ajit Kumar

बिहार
राहुल गांधी ने खोला चुनावी घोटाले का राज लोकतंत्र पर उठे गंभीर सवाल: दीपंकर भट्टाचार्य

लोकतंत्र पर उठे गंभीर सवाल: दीपंकर भट्टाचार्य

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 8 अगस्त : लेफ्ट नेता और माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने आज एक अहम बयान जारी करते हुए कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में 2024 के आम चुनाव के दौरान हुई संगठित चुनावी धांधली के पुख्ता सबूत देश के सामने रखे हैं. उन्होंने मांग किया कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले पर तत्परता से संज्ञान लेना चाहिये और दोषियों को कठोर सज़ा दिलवाना चाहिये.साथ ही उन्होंने बिहार में चल रहे विशेष पुनरीक्षण (SIR) अभियान को रोकने का भी मांग किया है. जिसे उन्होंने संभावित धांधली का ज़रिया बताया.

बेंगलुरु एक मिसाल नहीं पैटर्न का हिस्सा

दीपंकर भट्टाचार्य का कहना है कि महादेवपुरा में जो कुछ हुआ है. वह किसी एक क्षेत्र की एकाकी घटना नहीं है.बल्कि एक सुनियोजित पैटर्न का हिस्सा है.उन्होंने आरोप लगाया है कि देश के विभिन्न हिस्सों में मतदाता सूचियों के साथ हेराफेरी कर चुनावी परिणामों को प्रभावित किया गया है.अगर मोदी सरकार तीसरी बार सत्ता में इस तरह की गड़बड़ियों के आधार पर आया है. तो पूरे चुनाव की वैधता पर सवाल उठना स्वाभाविक है.

चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल

माले महासचिव ने चुनाव आयोग की कार्यशैली पर भी तीखा प्रहार किया है. उन्होंने कहा कि आयोग उच्चस्तरीय जांच शुरू करने के बजाय राहुल गांधी को डराने-धमकाने में लगा है.राहुल गांधी से एक ऐसा शपथ पत्र भरवाने की कोशिश हो रहा है.जिसका इस मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है.यह लोकतंत्र को कमजोर करने वाली मानसिकता का संकेत है.

1 लाख से ज़्यादा फर्जी नामों का खुलासा

महादेवपुरा में मतदाता सूची में एक लाख से अधिक संदिग्ध नामों का मामला सामने आया है.भट्टाचार्य ने बताया कि यह कोई स्थानीय या मामूली आपत्ति का मामला नहीं है बल्कि एक बड़ा घोटाला है.जिससे पूरे संसदीय क्षेत्र के चुनाव परिणाम प्रभावित हुआ हैं.

सूचियों की पारदर्शिता ज़रूरी

भट्टाचार्य ने मांग किया है कि चुनाव आयोग को अब मतदाता सूचियों को मशीन-रीडेबल फ़ॉर्मेट (जैसे Excel या CSV) में सार्वजनिक करना चाहिये ताकि विश्लेषण और जांच की प्रक्रिया पारदर्शी हो. बिहार में चल रहे SIR अभियान का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वहां भी हटाए गए नामों और उनके कारणों की स्पष्ट सूची नहीं दिया जा रहा है. जिससे भविष्य में इसी तरह की गड़बड़ी की आशंका और बढ़ गया है.

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रिकॉर्ड नष्ट करने के नियम पर भी उठे सवाल

दीपंकर भट्टाचार्य ने यह भी कहा कि मतदान से जुड़ा वीडियो फुटेज या अन्य ज़रूरी रिकॉर्ड 45 दिन में नष्ट कर देने का नियम पूरी तरह बदलना चाहिये .जब सामने धांधली के ठोस प्रमाण हों. तो सिर्फ़ दावे-आपत्तियों की 30 दिन की समयसीमा की औपचारिकता दिखाकर मामले को टालना. लोकतंत्र के साथ अन्याय है.

अब चुप रहने का समय नहीं

माले महासचिव ने कहा कि अब न तो सुप्रीम कोर्ट और न ही जनता इस तरह की चुनावी धोखाधड़ी पर चुप रह सकता है.उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना लोकतंत्र की आधारशिला है. और इसकी रक्षा के लिए सभी जिम्मेदार संस्थाओं को तुरंत और प्रभावी कार्रवाई करना चाहिये.

लेखक का निष्कर्ष:

2024 के चुनाव को लेकर विपक्ष की आपत्तियां अब नए तथ्यों के साथ सामने आ रहा हैं. अगर राहुल गांधी के द्वारा पेश किया गया सही साबित होता हैं.तो यह भारतीय चुनावी प्रणाली के लिए एक गंभीर चेतावनी है. ऐसे में सवाल सिर्फ़ किसी एक नेता या पार्टी का नहीं है बल्कि पूरे लोकतांत्रिक ढांचे की साख का है.

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