जनपक्षधर पत्रकारिता को सलाम:अरुण रंजन नहीं रहे

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Ajit Kumar

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भाकपा (माले) ने दी श्रद्धांजलि, बुझ गया एक उजाला

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 27 जून:प्रगतिशील पत्रकारिता के एक मजबूत स्तंभ और जनआंदोलनों की आवाज़ रहे वरिष्ठ पत्रकार अरुण रंजन का 74 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनके निधन पर भाकपा (माले) ने गहरा शोक प्रकट किया है.पार्टी के राज्य सचिव कामरेड कुणाल ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि अरुण रंजन सिर्फ पत्रकार नहीं, बल्कि जनसंघर्षों के एक जीवंत दस्तावेज थे.

अरुण रंजन उन विरले पत्रकारों में थे जिन्होंने पत्रकारिता को सत्ता के गलियारों से खींचकर जनता के बीच लाया. वे बाँझी (सिंहभूम), बेलछी, पारसबीघा, पिपरा और बजीतपुर (रोहतास) जैसे भीषण जनसंहारों की निर्भीक रिपोर्टिंग के लिए जाने जाते हैं. रणवीर सेना और सामंती शक्तियों के अत्याचारों को उजागर करने में वे कभी नहीं डरे.

उनकी लेखनी में सत्ता से असहमति और आमजन के प्रति गहरी प्रतिबद्धता हमेशा दिखाई दी. पुलिस दमन और सामंती वर्चस्व के विरुद्ध उनका तेवर साफ-साफ झलकता था. वे न केवल रिपोर्टर थे, बल्कि कई बार IPF के साथ आंदोलनों में कंधे से कंधा मिलाकर सड़कों पर भी उतरे.

पटना के कदमकुआं निवासी अरुण रंजन सरल, संवेदनशील और सौम्य व्यक्तित्व के धनी थे.उन्होंने हमेशा हाशिये पर खड़े लोगों की पीड़ा को अपने शब्दों में जगह दी और व्यवस्था की चुप्पी को तोड़ने का काम किया.

भाकपा (माले) ने उन्हें सच्चे जनपक्षधर पत्रकार की संज्ञा देते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है और उनके परिजनों व शुभचिंतकों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है.

अरुण रंजन की पत्रकारिता हमेशा याद रखी जाएगी — एक सच्ची आवाज़ जो कभी खामोश नहीं हुई, अब हमारे बीच नहीं रही.

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