एक जन-आंदोलन की पुकार जो दिल्ली की दीवारें हिला रही है
तीसरा पक्ष ब्यूरो नई दिल्ली, 11 अगस्त 2025 – लोकतंत्र की दीवारें दरक रही हैं, और विपक्ष ने बजा दिया है संघर्ष का बिगुल,देश के राजनीतिक मंच पर एक बार फिर घमासान मच गया है.सत्ता के गलियारों में बढ़ती तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ अब विपक्ष खुलकर मैदान में उतर आया है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार पर तीखा हमला करते हुए न सिर्फ लोकतंत्र पर मंडराते खतरे को उजागर किया है बल्कि इसे जनता के अधिकारों और संविधान की आत्मा को बचाने की अंतिम लड़ाई करार दिया है.

उनका संदेश केवल एक ट्वीट नहीं, बल्कि एक जन-आंदोलन की गूंज है. जो अब संसद से लेकर सड़कों तक सुनाई दे रहा है.विपक्षी INDIA गठबंधन अब आर-पार की लड़ाई के मूड में है.और इस बार निशाना सिर्फ सरकार नहीं बल्कि उसकी नीतियों की बुनियाद है.
क्या लोकतंत्र की आवाज़ सच में दबाया जा रहा है?
क्या जनता के वोट का अधिकार अब सिर्फ दिखावा बन चुका है?
क्या विपक्ष अब सिर्फ सवाल नहीं बल्कि जवाब भी देने आया है?
आइए, आगे जानते हैं विस्तार से — कि आखिर मल्लिकार्जुन खड़गे की हुंकार ने कैसे सत्ताधारी दल की नींदें उड़ा दिया है.और क्यों यह बयान एक नए राजनीतिक तूफान की दस्तक है.
लोकतंत्र की रक्षा की लड़ाई: विपक्ष का सरकार पर तीखा प्रहार
अपने सोशल मीडिया पोस्ट में खड़गे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह सिर्फ एक राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि देश की जनता के मतदान अधिकारों की रक्षा और संविधान की मर्यादा को बचाने का संघर्ष है. उन्होंने लिखा कि ,भाजपा की कायराना तानाशाही नहीं चलेगी! ये जनता के वोट के अधिकार को बचाने की लड़ाई है। ये लोकतंत्र को बचाने का संघर्ष है।”
खड़गे का यह बयान उस समय आया है जब विपक्षी दलों का INDIA गठबंधन केंद्र की भाजपा सरकार पर संविधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग और लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचलने के आरोप लगा रहा है. विपक्ष का दावा है कि सरकार संवैधानिक मर्यादाओं की अनदेखी कर विपक्षी नेताओं और संगठनों को निशाना बना रहा है.
उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन इन “साज़िशों” को बेनकाब करने के लिए प्रतिबद्ध है और संविधान के संरक्षण की दिशा में एकजुट होकर संघर्ष करता रहेगा.खड़गे ने यह भी स्पष्ट किया कि यह आंदोलन केवल सत्ता परिवर्तन के लिए नहीं बल्कि लोकतंत्र की आत्मा को जीवित रखने के लिए है.
भाजपा की कायराना तानाशाही नहीं चलेगी! – खड़गे की हुंकार से संसद तक सन्नाटा
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भाजपा सरकार पर ऐसा शब्द बाण चलाया है. जिसने सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दिया है. आज अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट में खड़गे ने भाजपा की नीतियों को “कायराना तानाशाही” करार देते हुए कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक विरोध नहीं है बल्कि भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने का महासंग्राम है.
यह बयान मात्र एक ट्वीट नहीं था — यह चेतावनी थीा उस चिंगारी की जो अब शोला बनकर उठ रहा है.
ये वोट की नहीं, जनता की आवाज़ दबाने की साज़िश है!
खड़गे का सीधा आरोप है कि भाजपा सरकार देश के नागरिकों के सबसे बुनियादी अधिकार — मतदान का अधिकार — को दबाने की योजना पर काम कर रहा है.उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यह संघर्ष चुनाव जीतने का नहीं चुनावों को बचाने का है.विपक्ष का दावा है कि सत्ता पक्ष लोकतंत्र की आत्मा को कुचल रहा है — चाहे वह चुनाव आयोग में दखल हो विपक्षी नेताओं पर एजेंसियों की छापेमारी हो या मीडिया की स्वतंत्रता पर अंकुश.
ये भी पढ़े :राहुल गांधी ने उठाई पारदर्शी डिजिटल मतदाता सूची की मांग
ये भी पढ़े :चुनाव आयोग बना सत्ता का हथियार? प्रियंका गांधी के 5 सवालों से मचा बवाल
INDIA गठबंधन की हुंकार: अब साज़िशें बेनकाब होंगी
INDIA गठबंधन अब चुप नहीं है. खड़गे ने यह स्पष्ट कर दिया है कि भाजपा की “संविधान को तहस-नहस करने वाली चालों” को हर मोर्चे पर चुनौती दिया जायेगा.उन्होंने कहा कि यह लड़ाई संसद से सड़क तक लड़ा जायेगा. हर राज्य, हर गांव, हर गली में — जनता को सच बताया जाएगा.और जो पर्दे के पीछे छिपा है.उसको भी सामने लाया जायेगा.
ये लोकतंत्र को बचाने की आखिरी लड़ाई है – विपक्ष का देशव्यापी आह्वान
खड़गे का बयान सिर्फ एक राजनीतिक प्रतिक्रिया नहीं है बल्कि एक देशव्यापी आह्वान है.उन्होंने लोकतंत्र-प्रेमियों, युवाओं, छात्रों, किसानों और श्रमिकों से एकजुट होने की अपील किया है. उनका संदेश साफ है — अब चुप रहना गुनाह होगा.
देश के कोने-कोने में जनसभाएं, पदयात्राएं और सोशल मीडिया अभियान तेज़ी से शुरू हो चुका हैं.विपक्ष अब सरकार को बिना जवाब दिए नहीं जाने देगा.
सत्ता पक्ष सन्न, जनता व्याकुल – क्या देश एक और जनांदोलन की ओर बढ़ रहा है?
विपक्ष के तेवर देखकर सत्ता पक्ष असहज नजर आने लगा है.भाजपा ने अब तक खड़गे के इस तीखे बयान पर कोई सीधा जवाब नहीं दिया है. लेकिन अंदरखाने में बेचैनी साफ दिख रहा है.
जनता के बीच भी यह सवाल गूंजने लगा है कि — क्या वास्तव में हमारे लोकतंत्र पर खतरा मंडरा रहा है? क्या प्रशासनिक संस्थाएं अब सत्ता का हथियार बन चुका हैं?
अगर विपक्ष अपनी रणनीति को सही दिशा में आगे बढ़ाता है.तो यह एक नया जनांदोलन बन सकता है — एक ऐसा आंदोलन जो न सिर्फ सरकार को बल्कि पूरे व्यवस्था को झकझोर कर रख दे.
निष्कर्ष: क्या लोकतंत्र की लौ बुझाई जा रही है, या अब भड़क उठेगी आग?
मल्लिकार्जुन खड़गे का बयान महज विरोध की भाषा नहीं है. यह एक ऐतिहासिक चेतावनी है.उस दौर के खिलाफ जहां सत्ता की भूख लोकतंत्र की हत्या कर सकता है. आने वाले दिन यह तय करेंगा कि क्या यह हुंकार किसी परिवर्तन का संकेत है. या फिर यह भी सियासत के शोर में यह भी खो जाएगा.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.