वोटर लिस्ट से नाम गायब कर लोकतंत्र पर कुठाराघात!–तेजस्वी का चुनाव आयोग पर हमला

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kmSudha

बिहार
वोटर लिस्ट से नाम गायब कर लोकतंत्र पर कुठाराघात!–तेजस्वी का चुनाव आयोग पर हमला

“11 दस्तावेज, 25 दिन और 8 करोड़ वोटर: क्या ये पुनरीक्षण या वोट कटवाने की चाल है?”

तीसरा पक्ष डेस्क,पटना: राजद नेता और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने ,01 जुलाई 2025 मंगलवार को पटना में कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों के वरिष्ठ नेताओं के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता की. इस दौरान उन्होंने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि “लोकतंत्र की जननी बिहार से ही लोकतंत्र खत्म करने की कोशिशें हो रही हैं.”

तेजस्वी प्रसाद यादव ने चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए इसे “लोकतंत्र समाप्त करने की साजिश” करार दिया. तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ साझा मंच से मतदाता पुनरीक्षण अभियान को लेकर केन्द्र सरकार और चुनाव आयोग की मंशा पर गहरी चिंता जताई.

“चुनाव आयोग विपक्ष को समय क्यों नहीं दे रहा?”

चुनाव आयोग विपक्ष को समय क्यों नहीं दे रहा?

तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष द्वारा लगातार चुनाव आयोग से मिलने का प्रयास किया गया, लेकिन आयोग की ओर से कोई समय नहीं दिया गया. उन्होंने यह भी कहा कि आयोग खुद भ्रम की स्थिति में है और हर दिन अपने ही आदेशों को पलट रहा है.

उन्होंने कहा:“हमने बार-बार समय मांगा, सर्वदलीय बैठक की मांग की, लेकिन चुनाव आयोग चुप है और हर दिन अपने ही निर्देश बदल रहा है. 25 दिनों में 8 करोड़ वोटरों तक कैसे पहुंचेंगे, इसका कोई जवाब नहीं है.”

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11 दस्तावेजों की अनिवार्यता गरीबों के खिलाफ साजिश!

तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग द्वारा मतदाता पुनरीक्षण के लिए मांगे गए 11 दस्तावेजों पर सवाल उठाते हुए कहा कि ये दस्तावेज बिहार के गरीब, दलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा, आदिवासी और अल्पसंख्यक समाज के अधिकांश लोगों के पास नहीं हैं.

तेजस्वी यादव ने आयोग द्वारा मांगे जा रहे 11 दस्तावेजों की सूची पर सवाल उठाया और कहा कि: “सरकार को बताना चाहिए कि इन दस्तावेजों को लेकर कितने प्रतिशत लोगों के पास प्रमाण उपलब्ध हैं. क्या एक मनरेगा कार्ड, आधार या राशन कार्ड पर्याप्त नहीं है?” उन्होंने पूछा “बिहार में लाखों लोग ऐसे हैं जो गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं. उनके पास न जन्म प्रमाण पत्र है, न आवासीय, जाति या जमीन का कागज. ऐसे में क्या उन्हें मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा?”

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बिहार से बाहर रोजी-रोटी के लिए गए लोगों का क्या होगा?

बिहार के 3 करोड़ से अधिक लोग अन्य राज्यों में काम करते हैं. तेजस्वी ने आशंका जताई कि पुनरीक्षण के नाम पर इन्हें वोटर लिस्ट से बाहर किया जा सकता है. उन्होंने कहा: “बीएलओ के तीन बार आने पर मतदाता को शारीरिक रूप से मौजूद रहना होगा.

तेजस्वी ने पूछा: “बीएलओ घर पर तीन बार आएंगे और उस समय मतदाता को मौजूद रहना होगा।.जो बाहर हैं, उनकी स्थिति का क्या? क्या उनका नाम काट दिया जाएगा?”

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“वोट कटे तो राशन-पेंशन भी कटेगा?”
चुनाव आयोग विपक्ष को समय क्यों नहीं दे रहा?

तेजस्वी यादव ने यह सवाल भी उठाया कि अगर लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए, तो क्या उनके राशन, पेंशन और छात्रवृत्ति जैसी योजनाएं भी बंद कर दी जाएंगी? उन्होंने कहा कि मतदाता सूची से नाम हटाना नागरिकता पर भी सवाल खड़ा कर सकता है.

“ये साजिश है वोट छीनने की, और लोकतंत्र को कमजोर करने की.”

तेजस्वी यादव ने आशंका जताई कि यदि लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटा दिए गए, तो भविष्य में उन्हें सरकारी योजनाओं से भी वंचित किया जा सकता है. उन्होंने कहा:

“वोटर लिस्ट से नाम हटाना केवल राजनीतिक अधिकार नहीं छीनता, यह नागरिकता पर हमला है। राशन, पेंशन और स्कॉलरशिप तक बंद की जा सकती है.”

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कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम ने भी उठाए सवाल

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष श्री राजेश राम ने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव इसी मतदाता सूची के आधार पर हुए, तो आज अचानक उसी सूची को अवैध ठहराना किस नीयत को दर्शाता है?

उन्होंने कहा कि “यह सब कुछ केन्द्र सरकार के इशारे पर किया जा रहा है, और यह पुनरीक्षण नहीं, राजनीतिक छंटनी है,”

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एनडीए की चुप्पी और केंद्र की भूमिका पर सवाल

तेजस्वी ने एनडीए नेताओं की चुप्पी पर भी तंज कसा और कहा कि: “जब सबसे अधिक प्रभावित दलित, पिछड़ा, अल्पसंख्यक समाज होगा, तब सत्तापक्ष के नेता क्यों चुप हैं? क्या यह चुप्पी इस साजिश में साझेदार होने का संकेत है?”

विपक्ष एकजुट, लोकतंत्र बचाने की अपील!

संवाददाता सम्मेलन में कांग्रेस और राजद के तमाम बड़े नेता शामिल रहे. डॉ. शकील अहमद खान, अब्दुलबारी सिद्दिकी, जयप्रकाश नारायण यादव, एजाज अहमद, संजय यादव, शक्ति सिंह यादव, डॉ. अनवर आलम और अन्य नेताओं ने एक स्वर में चुनाव आयोग से पारदर्शिता की मांग की और जनता से सजग रहने की अपील की.

निष्कर्ष:

यह साफ है कि विपक्ष मतदाता पुनरीक्षण को केवल एक प्रशासनिक कार्य नहीं, बल्कि एक राजनीतिक रणनीति मान रहा है जिसका उद्देश्य चुनिंदा समुदायों और वर्गों को वोट देने के अधिकार से वंचित करना है. बिहार विधान सभा चुनाव के पहले विपक्ष का लोकतंत्र के इस संकट काल में सवाल बड़ा है – क्या यह वास्तव में “मतदाता सुधार” है या “मतदाता बहिष्कार”?

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