चुनाव आयोग की भूमिका पर राजद का बड़ा हमला
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना,3 अगस्त :बिहार की राजनीति में एक बार फिर चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगा हैं.राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव से जुड़ी मतदाता सूची में हुई गड़बड़ी को गंभीर साजिश बताया है.उन्होंने आरोप लगाया है कि यह चूक मात्र तकनीकी नहीं है बल्कि भाजपा-जदयू की मिलीभगत का नतीजा है.आयोग पर परिवार को तोड़कर दिखाने और एसआईआर के नाम पर मतदाताओं के साथ धोखा करने का आरोप लगाया गया है.आइए, आगे समझते हैं पूरा मामला विस्तार से…
एक ही पते पर दो पहचानें, ये मज़ाक नहीं साजिश है: एजाज अहमद ने खोला मोर्चा
बिहार की सियासत में एक बार फिर भूचाल आया हुआ है. इस बार मुद्दा है, मतदाता सूची में हुई गंभीर गड़बड़ियों का और सीधे-सीधे सवाल उठ रहा हैं नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के नाम पर.
राजद प्रवक्ता एजाज अहमद ने प्रेस को संबोधित करते हुए साफ शब्दों में कहा कि तेजस्वी यादव के नाम के साथ जो किया गया है. वो महज गलती नहीं है बल्कि एक, गहरी साजिश है.
मतदाता सूची में तेजस्वी यादव का नाम जिस मकान संख्या में जोड़ा गया है. उसी पते पर नरेश राम नामक व्यक्ति का नाम भी दर्ज है. जबकि परिवार के अन्य सदस्य – माता-पिता सहित – उसी पते पर दर्ज हैं. तेजस्वी जी का नाम परिवार से अलग क्यों?
यह रिश्ता क्या कहलाता है?: भाजपा-जदयू और चुनाव आयोग की नज़दीकियों पर सवाल
एजाज अहमद ने भाजपा और जदयू पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब भी चुनाव आयोग से कोई चूक होता है.इन दोनों दलों के प्रवक्ता आयोग का बचाव करते दिखाई देते है.
उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि,भाजपा-जदयू और चुनाव आयोग के बीच जो संबंध दिख रहा हैं. वो सवाल खड़ा कर रहा हैं – ये रिश्ता क्या कहलाता है?
जब विपक्ष के नेता के नाम को ही इस तरह से तोड़ा-मरोड़ा जा सकता है. तो आम जनता के नामों के साथ क्या हो रहा होगा. इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है.
SC के निर्देशों की अवहेलना, आयोग खुद के बयान से मुकरा?
चुनाव आयोग ने माननीय सुप्रीम कोर्ट में यह हलफनामा दिया था कि एसआईआर प्रणाली के माध्यम से एक ही परिवार के सदस्यों को एक ही पते पर लाया जायेगा.
लेकिन तेजस्वी यादव के मामले में आयोग ने उसी हलफनामे का उल्लंघन करते हुए उनका नाम परिवार से अलग दर्ज किया है – वो भी ऐसे मकान नंबर पर जहां पहले से कोई और मतदाता दर्ज है.
एजाज अहमद ने कहा कि, यह कोई साधारण त्रुटि नहीं है बल्कि जानबूझकर की गई कार्रवाई है – एक राजनीतिक साजिश, जिसका उद्देश्य तेजस्वी जी की छवि को धूमिल करना है.
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हड़बड़ी में जारी की गई सूची, या साजिश की पटकथा?
राजद प्रवक्ता ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर किस दबाव में चुनाव आयोग इतनी हड़बड़ी में सूची जारी कर रहा है?
उन्होंने कहा कि जब संस्थाएं राजनीतिक दलों के इशारे पर चलने लगती हैं तो लोकतंत्र की जड़ें हिलने लगता हैं. तेजस्वी जी के साथ जो हुआ वह देश के हर नागरिक के साथ भी हो सकता है.
क्या आयोग को जनता की विश्वसनीयता की कोई चिंता नहीं? या फिर यह सब एक सोची-समझी पटकथा है. जिसे चुनाव के पहले अंजाम दिया जा रहा है?
चुनाव आयोग नहीं रहे तटस्थ, लोकतंत्र खतरे में: राजद का ऐलान – करेंगे बड़ा आंदोलन
एजाज अहमद ने इस मुद्दे को चुनावी धांधली का संकेत मानते हुए साफ कर दिया कि राजद अब चुप नहीं बैठेगी.उन्होंने ऐलान किया कि इस साजिश का कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर जवाब दिया जाएगा.
चुनाव आयोग यदि निष्पक्ष नहीं रहा. तो यह देश के लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा है. हम इस मुद्दे को विधानसभा से लेकर सड़क तक और कोर्ट से लेकर जन आंदोलन तक ले जाएंगे.
उन्होंने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई सिर्फ तेजस्वी यादव की नहीं है बल्कि हर उस मतदाता की है जो अपने लोकतांत्रिक अधिकार को सुरक्षित देखना चाहता है.
निष्कर्ष:
तेजस्वी यादव के नाम पर हुई यह कथित गड़बड़ी एक गंभीर प्रश्नचिन्ह है.क्या भारत का चुनाव आयोग अब तटस्थ नहीं रहा?
क्या सरकारी मशीनरी सत्ता पक्ष की सहूलियत के लिए लोकतंत्र की नींव को ही चुनौती दे रही है?
यह विवाद अभी थमने वाला नहीं है आने वाले दिनों में यह मामला और तूल पकड़ेगा – और शायद बिहार की राजनीति की दिशा भी बदल दे.

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