तेजस्वी यादव का सियासी वार: झूठ की फैक्ट्री चला रही है सरकार!

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Ajit Kumar

बिहार
तेजस्वी यादव का सियासी वार: झूठ की फैक्ट्री चला रही है सरकार!

क्या है, झूठ की फैक्ट्री, बयान की पूरी पृष्ठभूमि? जानिए पूरा विवाद

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 24 अगस्त 2025 – राजनीति के मैदान में जब शब्दों के बाण चलाया जाता हैं. तो उसका असर सियासत के ज़मीन तक गूंजता हैं. कुछ ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला जब बिहार के तेजतर्रार नेता तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर अपने तेवर दिखाये. सत्ता पक्ष पर, जुमलों की दुकान चलाने का आरोप लगाने के बाद दर्ज हुई FIR का जवाब उन्होंने जिस अंदाज़ में दिया है उसने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दिया है.

तेजस्वी की यह बात महज एक प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उनके आत्मविश्वास, जनता से जुड़ाव और दूरदर्शी राजनीति की सीधी झलक हैऔर राजनीतिक रणनीति का खुला ऐलान है. उन्होंने न केवल सत्ता पक्ष को चुनौती दिया है. बल्कि पूरे देश के युवाओं और खासकर बिहार के लोगों को एक संदेश भी दिया है कि – हम डरने वालों में से नहीं हैं!

तेजस्वी ने अपने पोस्ट में लिखा है कि ,

जुमलों की दुकान कहने पर FIR करने वालों, ये दुकान ही नहीं बल्कि झूठ बोलने की फैक्ट्री, मैन्युफैक्चरर, होलसेलर, डिस्ट्रीब्यूटर और सुपर बाजार है.
उन्होंने आगे लिखा कि वे डरने वालों में से नहीं हैं और चुनौती दी कि अगर हिम्मत है तो देश के हर राज्य के थानों में उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाए.

तेजस्वी ने स्पष्ट रूप से कहा कि , हम बिहारी हैं, ठेठ बिहारी. तुम्हारी गीदड़ भभकियों से डरने वाले नहीं हैं.
उनके इस बयान को लेकर सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रहा हैं.जहां समर्थक उनकी बेबाकी की सराहना कर रहे हैं तो विरोधी इसे राजनीतिक उकसावे की रणनीति बता रहे हैं.

क्या है विवाद की पृष्ठभूमि?

हाल ही में तेजस्वी यादव ने सत्तारूढ़ पार्टी पर ,जुमलों की दुकान चलाने का आरोप लगाया था. जिसके बाद कुछ समर्थकों की ओर से उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाया गया था.तेजस्वी ने अब उसी बात का जवाब देते हुए सीधे शब्दों में अपनी बात रखा है.

आइये, आगे जानते हैं विस्तार से कि क्या है तेजस्वी यादव का पूरा बयान, क्यों मच गया है राजनीतिक घमासान, और क्या इसका असर आने वाले चुनावों पर पड़ेगा…

बिहार के राजनीति एक बार फिर गर्माया हुआ है. राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने केंद्र की सरकार और उसके समर्थकों पर तीखा हमला बोला है. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक ऐसा बयान जारी किया है, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दिया है.

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जुमलों की दुकान नहीं, ये तो झूठ की फैक्ट्री है – तेजस्वी का करारा प्रहार

तेजस्वी यादव ने X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा है कि,
जुमलों की दुकान कहने पर FIR करने वालों, ये दुकान ही नहीं बल्कि झूठ बोलने की फैक्ट्री, मैन्युफैक्चरर, होलसेलर, डिस्ट्रीब्यूटर और सुपर बाजार है.
तेजस्वी के इस बयान से साफ है कि वे किसी भी तरह के डर या दबाव में आने को तैयार नहीं हैं. उनका यह बयान उन एफआईआरों के जवाब में आया है.जो हाल ही में उनके,जुमलों की दुकान वाले बयान के बाद दर्ज किया गया था.

हम बिहारी हैं, ठेठ बिहारी – डरना हमें आता नहीं

तेजस्वी ने इस पोस्ट में आगे लिखा है कि,
हिम्मत है तो देश के हर राज्य के थाने में केस दर्ज करो. तुम लोग सबको अपने जैसा डरपोक समझते हो.हम बिहारी हैं, ठेठ बिहारी.
तेजस्वी का यह तेवर न सिर्फ उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है. बल्कि यह संदेश भी देता है कि वे किसी भी राजनीतिक दबाव से डरने वाले नहीं हैं.

राजनीतिक लड़ाई अब सोशल मीडिया पर

बिहार समेत पूरे देश में चुनावी समीकरण बदलते नजर आ रहा हैं और सोशल मीडिया अब सियासी जंग का नया मैदान बन चुका है.तेजस्वी यादव जैसे नेता बेबाकी से अपनी राय रख रहे हैं.और सोशल मीडिया पर उनकी बातों को हजारों ,लाखों लोग सुन भी रहे हैं. इस बयान से यह भी साफ है कि तेजस्वी आने वाले चुनाव में सीधे और आक्रामक तेवर अपनाने को तैयार हैं.

FIR दर्ज करने वालों को खुली चुनौती – सबसे बड़ा वोट चोर कौन?

तेजस्वी ने सत्ताधारी दल पर वोट चोरी का आरोप लगाते हुए कहा है कि ,
सुनो वोट चोरों, तेजस्वी बिहार का लाल है. हम डरने वाले नहीं है, तुम्हारी गीदड़ भभकियों से.
यह बयान सत्ता पक्ष के लिए न केवल सीधी चुनौती है. बल्कि आने वाले समय में और अधिक तीखे बयानों की शुरुआत भी हो सकता है.

क्या तेजस्वी का बयान बनेगा अगला चुनावी मुद्दा?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ पलटवार नहीं है. बल्कि यह एक रणनीतिक कदम है.वे खुद को एक मजबूत, स्पष्ट और बेबाक नेता के रूप में स्थापित करना चाहते हैं जो जनता की भावनाओं को सीधा संबोधित करता है.

निष्कर्ष

तेजस्वी यादव का यह बयान सिर्फ शब्दों की जंग नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नए मोड़ की शुरुआत है. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह बयानबाज़ी किस दिशा में जाती है और क्या यह चुनावी रणनीति का हिस्सा है या जनता के गुस्से की असल आवाज.

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