क्या अब सिर्फ अमीर ही डॉक्टर बनेंगे? SC आरक्षण पर कोर्ट का झटका
तीसरा पक्ष ब्यूरो लखनऊ,31 अगस्त 2025 — उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में अनुसूचित जाति (SC) छात्रों के लिए विशेष आरक्षण खत्म करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर अब सियासी बयानबाज़ी तेज हो गई है.भीम आर्मी प्रमुख और आज़ाद समाज पार्टी के नेता चंद्रशेखर आज़ाद ने कोर्ट के फैसले की तीखी आलोचना करते हुए इसे, संविधान और सामाजिक न्याय की आत्मा के खिलाफ बताया है.
X (पूर्व ट्विटर) पर अपने आधिकारिक हैंडल @BhimArmyChief से जारी बयान में आज़ाद ने कहा कि पूर्ववर्ती यूपी सरकार द्वारा प्रदेश के 44 सरकारी/स्वायत्त मेडिकल कॉलेजों में से केवल 4 कॉलेजों — कन्नौज, अंबेडकर नगर, जालौन और सहारनपुर — में 340 सीटों पर एक विशेष आरक्षण फॉर्मूला लागू किया गया था.इसका उद्देश्य था कि हाशिए पर पड़े समाज के छात्रों को डॉक्टर बनने का समान अवसर मिल सके.
लेकिन अब, हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ द्वारा इस विशेष आरक्षण को रद्द करना, उनके अनुसार, SC छात्रों के संवैधानिक अधिकारों पर सीधा हमला है.
आरक्षण कोई भीख नहीं, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय का मुआवज़ा है– चंद्रशेखर आज़ाद, X पोस्ट में कहा.
क्या था मामला?
पूर्व सरकार ने विशेष ग्रांट कॉम्पोनेंट के तहत कुछ मेडिकल कॉलेजों में SC छात्रों को अतिरिक्त आरक्षण देने का प्रावधान किया था.यह आरक्षण उन छात्रों के लिए था. जो सामान्य सीटों पर प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे थे लेकिन प्रतिभाशाली थे. अब, कोर्ट ने इस व्यवस्था को असंवैधानिक मानते हुए रद्द कर दिया है.
SC छात्रों के लिए नई लड़ाई का ऐलान
आज़ाद ने ऐलान किया कि यह लड़ाई सिर्फ मेडिकल सीटों की नहीं, बल्कि समानता और न्याय के लिए है.उन्होंने यह भी कहा कि इस फैसले को उच्च न्यायालय की डबल बेंच और जरूरत पड़ने पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी.
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UP सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग
आजाद समाज पार्टी ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की है कि वह अगर वाकई अनुसूचित जाति समाज की हितैषी है.तो इस फैसले के खिलाफ तुरंत सुप्रीम
कोर्ट में अपील करे. चंद्रशेखर आज़ाद ने यह भी चेताया कि अगर सरकार इस मुद्दे पर चुप रही तो SC समाज को उनका, असली चेहरा समझ आ जाएगा.
यह फैसला संविधान के खिलाफ, सामाजिक न्याय की हत्या है
चंद्रशेखर आज़ाद ने दो टूक कहा कि यह सिर्फ एक आरक्षण खत्म करने का मामला नहीं है.यह फैसला बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा दिए गए अधिकारों की अवहेलना है.
उन्होंने कहा:
यह सिर्फ एक परीक्षा या कॉलेज की सीट नहीं है.यह समानता, न्याय और संविधान की आत्मा की लड़ाई है. हम इसे चुपचाप स्वीकार नहीं करेंगे.
द्रशेखर आज़ाद ने @CMOfficeUP को सीधी चुनौती दी है
अगर आप सच में अनुसूचित जाति समाज के हितैषी हैं. तो तुरंत इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करें. वरना समाज को आपका असली चेहरा दिख जाएगा.
उन्होंने कहा कि सरकार की चुप्पी उनके इरादों को बेनकाब करती है. आज़ाद समाज पार्टी ने इसे बाबा साहेब अंबेडकर की आत्मा के खिलाफ काम बताया और चेतावनी दी कि अगर न्याय नहीं मिला, तो आंदोलन देशव्यापी होगा.
निष्कर्ष: ये सिर्फ आरक्षण नहीं, आत्मसम्मान की लड़ाई है
आज जब समाज के वंचित तबकों को एक बार फिर से पीछे धकेलने की कोशिश हो रही है, तो ज़रूरी है कि हर संवेदनशील नागरिक इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाए।
आरक्षण कोई तिजोरी में रखा गया ‘फेवर’ नहीं, बल्कि ऐतिहासिक अन्याय का लोकतांत्रिक जवाब है
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.


















