हाशिए पर खड़े वर्गों की आवाज बुलंद
तीसरा पक्ष ब्यूरो शेखपुरा, बिहार – 21 अगस्त 2025:बिहार की राजनीति में हाशिए पर खड़े समुदायों की भागीदारी को लेकर जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से निकाला जा रहा है वोटअधिकार यात्रा ने अपने चौथे दिन शेखपुरा जिले में दस्तक दिया. इस चरण में आशा कार्यकर्ता, स्कूल रसोइया और अन्य जनसंगठनों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में इस यात्रा में शामिल हुये.

भाकपा माले के नेत्री शशि यादव ने इस मौके पर लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि,
अब वक़्त आ गया है कि वे लोग सत्ता में आएं, जो ज़मीन से जुड़े मुद्दों को उठाएं और आमजन की बात करें.
यात्रा के दौरान स्थानीय कार्यकर्ताओं ने अपने मांग-पत्र सौंपे, जिनमें आशा कर्मियों के लिए नियमित वेतन, रसोइयों के स्थायीकरण, और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन जैसी प्रमुख मांगें शामिल था .
जो हमारी बात करेगा, वही बिहार पर राज करेगा
सभा में उपस्थित जनसमूह ने नारे को इतनी मजबूती से दोहराया कि मानो यह उनकी सामूहिक चेतना की पुकार हो–
“जो हमारी बात करेगा, वही बिहार पर राज करेगा”
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इस नारे ने अभियान को न केवल एक जनांदोलन का रूप दिया है. बल्कि यह स्पष्ट संकेत भी दिया है कि अगला चुनाव मुद्दों और अधिकारों के आधार पर लड़ा जाएगा.
शशि यादव ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर इस यात्रा की तस्वीरें और जानकारी साझा करते हुए लिखा है कि,
वोटअधिकार यात्रा अब लोगों की उम्मीद बन चुकी है. हम हर पंचायत तक जाएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि जनता की आवाज विधानसभा तक पहुंचे.
लोकतांत्रिक भागीदारी को मजबूत करने की पहल
इस यात्रा को बिहार के विभिन्न जिलों में मिल रहा समर्थन यह दर्शाता है कि आमजन अब सिर्फ वादों से नहीं, बल्कि हक की राजनीति से बदलाव चाहते हैं.
खासतौर पर महिलाएं और कामकाजी वर्ग इस अभियान से खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर रहे हैं.
निष्कर्ष
वोटअधिकार यात्रा सिर्फ एक राजनीतिक अभियान नहीं बल्कि उन वर्गों की आवाज़ बन चुका है. जिन्हें लंबे समय से नजरअंदाज किया गया है. शेखपुरा में आशा कार्यकर्ता, विद्यालय रसोइया और आमजन की भागीदारी यह दिखाता है कि बिहार की जनता अब सजग और मुद्दों पर आधारित राजनीति चाहता है.
जो हमारी बात करेगा, वही बिहार पर राज करेगा, जैसे नारे यह साफ संकेत देता हैं कि लोग अब वादों से नहीं अधिकारों की लड़ाई से जुड़े नेताओं का साथ देंगे. शशि यादव की यह पहल एक नई राजनीतिक सोच की ओर इशारा करती है – जहां सत्ता का रास्ता जनहित से होकर गुजरता है.

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