बिहार में जीविका महिलाओं के लिए कर्ज माफी और रोजगार की मांग
बिहार में जीविका समूह की डेढ़ करोड़ महिलाओं के लिए कर्ज माफी और रोजगार की मांग को ऐपवा ने उठाया.माइक्रोफाइनेंस कर्ज के जाल से परिवार तबाह, आत्महत्याएं बढ़ीं. डबल इंजन सरकार की उदासीनता और महिलाओं पर जबरन कार्यक्रमों में शामिल करने का दबाव.ऐपवा ने एनडीए की असंवेदनशीलता की निंदा की, मांग की कि प्रधानमंत्री बिहार दौरे पर कर्ज माफी और रोजगार योजनाएं घोषित करें.
कर्ज के जाल में फंसी महिलाएं
तीसरा पक्ष ब्यूरो : पटना, 28 मई को ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन (ऐपवा) की महासचिव मीना तिवारी ने बिहार में माइक्रोफाइनेंस और अन्य कर्जों से मुक्ति की मांग को लेकर सरकार की उदासीनता पर सवाल उठाए.जीविका समूह की करीब डेढ़ करोड़ महिलाएं लंबे समय से कर्ज माफी और रोजगार की मांग कर रही हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया.
आत्महत्याओं का कारण बन रहा कर्ज
माइक्रोफाइनेंस कंपनियों के कर्ज के जाल में फंसकर कई परिवारों को सामूहिक आत्महत्या जैसी त्रासदियों का सामना करना पड़ा है.यह कर्ज इतना भारी है कि महिलाएं इससे उबर नहीं पा रही हैं, जिससे उनके परिवार पूरी तरह बर्बाद हो रहे हैं.
महिलाओं की मांग
महिलाओं ने स्पष्ट रूप से मांग की है कि सरकार उन्हें कर्ज से मुक्ति दिलाए और उनकी आजीविका के लिए सस्ते ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराए.लेकिन सरकार इन मांगों के प्रति उदासीन बनी हुई है.
जबरन कार्यक्रमों में शामिल करने का दबाव
प्रधानमंत्री के 29-30 मई 2025 को बिहार दौरे के दौरान इन महिलाओं को जबरन सरकारी कार्यक्रमों में शामिल करने का दबाव बनाया जा रहा है, जो उनकी समस्याओं की अनदेखी का एक और उदाहरण है.
एनडीए सरकार की असंवेदनशीलता की निंदा
ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वीमेन्स एसोसिएशन (ऐपवा) ने एनडीए सरकार के असंवेदनशील रवैये की कड़ी आलोचना की है. जीविका समूह की महिलाओं को उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनके लिए कर्ज माफी की घोषणा करेंगे, लेकिन इसके बजाय उन पर और अधिक दबाव डाला जा रहा है.
जीविका कार्यकर्ताओं पर अनुचित दबाव
हाल ही में सरकार ने जीविका कार्यकर्ताओं को उनका बकाया भुगतान देने से मना कर दिया था और कहा था कि वे महिला समूहों से ही पैसा वसूल करें. लंबे संघर्ष के बाद आंशिक भुगतान मिला, लेकिन अब इन्हीं कार्यकर्ताओं को प्रधानमंत्री के 29-30 मई 2025 के बिहार दौरे के आयोजनों में जबरन काम करने और समूह की महिलाओं को लाने का दबाव बनाया जा रहा है.
सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग
ऐपवा का कहना है कि यह सब दर्शाता है कि सरकार और प्रधानमंत्री के मन में महिलाओं के प्रति सम्मान का अभाव है. सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग कर इस तरह के आयोजन करवाना अनुचित और अलोकतांत्रिक है.
ऐपवा की मांग
ऐपवा ने मांग की है कि प्रधानमंत्री अपने बिहार दौरे पर जीविका समूह की महिलाओं के लिए कर्ज माफी की घोषणा करें और उनकी आजीविका के लिए ठोस रोजगार योजनाएं प्रस्तुत करें.

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