जनता का दिल, सत्ता का खेल: बिहार 2025 में कौन चुराएगा CM का ताज?

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kmSudha

बिहारतीसरा पक्ष आलेख

तीसरा पक्ष ब्यूरो : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी अपने चरम पर है, लेकिन सवाल वही पुराना है,पर उत्साह नया है कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? नीतीश कुमार का अनुभव, तेजस्वी यादव का जोश, या फिर प्रशांत किशोर जैसे नए चेहरे की हवा? बिहार की सियासत इस बार रणभूमि है, जहां हर नेता जनता का दिल जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रही है.तो आइए, इस सियासी जंग के रंग, रणनीति और रणबांकुरों की कहानी को करीब से समझते है.

नीतीश का अनुभव: पुराना खिलाड़ी, नई चाल?

नीतीश कुमार, बिहार के सियासी शहंशाह है.जिन्होंने दशकों तक इस राज्य की कमान संभाले है. उनकी प्रगति यात्रा और एनडीए की एकजुटता उनकी ताकत है. हाल ही में नीतीश ने पश्चिमी चंपारण से अपनी 15वीं प्रगति यात्रा शुरू किया था, जिसका मकसद था जनता से सीधा संवाद और विकास के वादे हैं.सी वोटर सर्वे के अनुसार 15-18.4% लोग उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. लेकिन सवाल यह है की क्या उनकी सेहत और उम्र को लेकर उठते सवाल उनकी राह रोक पाएंगे? बीजेपी के समर्थन के बावजूद, पार्टी के भीतर नीतीश की जगह नए चेहरों को तलाशने की सुगबुगाहट भी सुनाई दे रहा है.

जनता की जुबान: नीतीश जी ने बिहार को बदला है , लेकिन अब नई पीढ़ी का भी मौका मिलना चाहिए.
-पटना के एक युवा मतदाता ने कहा

तेजस्वी का जोश: युवा तूफान या अधूरी उड़ान?

तेजस्वी यादव, राजद के युवा शहजादे है इस बार बिहार के सियासत में तूफान लाने के लिये तैयार हैं. 36-40.6% लोग उन्हें बिहार का अगला मुख्यमंत्री के रूप देखना चाहते हैं, जैसा कि सी वोटर सर्वे में सामने आया है. तेजस्वी के वादे—नौकरी, आवास, और सामाजिक न्याय—युवाओं और यादव-मुस्लिम वोट बैंक को खूब लुभा रहे हैं. उनके रैलियों में उमड़ती हुई भीड़ और सोशल मीडिया पर वायरल नारे “नौकरी दो, वोट लो” उनकी ताकत और बढ़ते लोकप्रियता को दिखता है. लेकिन महागठबंधन में कांग्रेस के साथ सीट बंटवारे का पेंच और आंतरिक असहमति क्या उनकी राह में रोड़ा बनेगी? यह भी अपने आप में एक सवाल है.

तेजस्वी का तंज: “बिहार की जनता ने मेरी ताजपोशी कर दी है, अब सत्ता की बारी है!”

प्रशांत किशोर: नया सूरज या सिर्फ चमक?

जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर इस बार बिहार की सियासत में नया रंग भर रहे हैं। 17% लोगों ने उन्हें CM के लिए पसंद किया। उनकी रणनीति है—सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ना और 40 सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारना। प्रशांत की सभाओं में युवा और महिलाएं खूब जुट रही हैं, जो उनके ‘नए बिहार’ के वादे से प्रभावित हैं। लेकिन क्या वो नीतीश और तेजस्वी जैसे दिग्गजों को टक्कर दे पाएंगे, या उनकी पार्टी सिर्फ वोट काटने तक सीमित रहेगी?

PK का नारा: न बायें, न दायें, सिर्फ बिहार की बात !
—जन सुराज की रैली, पटना

गठबंधन का खेल: कुर्सी की चाल कौन जीतेगा?

बिहार के सियासत में गठबंधन का रोल हमेशा से अहम रहा है. एनडीए (बीजेपी+जेडीयू+लोजपा-रामविलास) में नीतीश को समर्थन मिल रहा है, लेकिन बीजेपी के कुछ नेता सम्राट चौधरी जैसे चेहरे को आगे लाने की बात कर रहे हैं. उधर, महागठबंधन (राजद+कांग्रेस+वाम दल) में तेजस्वी को CM चेहरा बनाने पर सहमति नहीं बन पा रही. कांग्रेस ज्यादा सीटें चाहती है, जबकि राजद ज्याद सीट देने को तैयार नहीं.

जातिगत समीकरण भी इस जंग में निर्णायक साबित होंगे. बिहार में 26% ओबीसी, 26% ईबीसी, 14% यादव, और 16% मुस्लिम वोटर हैं. नीतीश का कुर्मी-कुशवाहा आधार और तेजस्वी का यादव-मुस्लिम गठजोड़ अपनी-अपनी ताकत बिहार में दिखा रहा है. बीजेपी भी ओबीसी और ईबीसी वोटरों को साधने के लिए विश्वकर्मा योजना जैसे कदम उठा रही है.

नए चेहरे, नई हवा: क्या होगा असर?

इस बार बिहार में कई नए दल मैदान में हैं.चिराग पासवान (लोजपा-रामविलास), उपेंद्र कुशवाहा (राष्ट्रीय लोक मोर्चा), और भी अन्य दल जो नये है वह भी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. खासकर शिवदीप लांडे, जिन्हें बिहार का ‘सिंघम’ कहा जाता है, सभी सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा कर रहे हैं.लेकिन क्या ये नए चेहरे बिहार की सियासत में उलटफेर कर पाएंगे, या सिर्फ शोर बनकर रह जाएंगे?

जनता की पुकार: बिहार क्या चाहता है?

बिहार के जनता इस बार विकास, नौकरी, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर वोट करेगी.बिहार के युवा मतदाता तेजस्वी के नौकरी के वादों से प्रभावित हैं, जबकि पुरानी पीढ़ी नीतीश के विकास कार्यों को याद करता है. सोशल मीडिया पर बिहार चुनाव 2025 को लेकर खूब चर्चा हो रहा है, जहां लोग अपने मनपसंद CM के लिए खुलकर बोल रहे हैं. एक यूजर ने लिखा,की – बिहार को अब बदलाव चाहिए, पुराने चेहरों से काम नहीं चलेगा !

सियासत का शेर: जनता के दिल में कौन?

बिहार के सियासत में शायरी का तड़का हमेशा से रहा है. नेताओं की रैलियों में शेर-ओ-शायरी से जनता का जोश दोगुना हो जाता है. तेजस्वी की रैली में एक समर्थक ने कहा की : कौन कहता है आसमान में छेद नहीं हो सकता, तेजस्वी के बातों में वो दम है, जो बिहार को नई उड़ान दे सकता !

नीतीश के समर्थक भी पीछे नहीं :
नितीश कुमार के समर्थक भी पीछे नहीं रहे उसने भी कहा की “हम भी दरिया हैं, हमें अपना हुनर मालूम है, नीतीश के साथ बिहार का रास्ता साफ़ है !

2025 का रण: क्या होगा नतीजा?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के गहमागहमी में जनता का दिल और सत्ता का खेल एक-दूसरे से टकरा रहा हैं. नीतीश का अनुभव, तेजस्वी का जोश, या प्रशांत किशोर की नई हवा—कौन बिहार की गद्दी पर काबिज होगा? यह फैसला बिहार की 14 करोड़ जनता के हाथ में है. तो आप किसे देखना चाहते हैं बिहार के अगले CM के तौर पर? अपनी राय हमें बताएं, और इस सियासी जंग का हिस्सा बनें

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