ट्रम्प का अनोखा स्वागत: अबू धाबी में अल-अय्याला नृत्य

| BY

kmSudha

दुनियातीसरा पक्ष आलेख

ट्रंप का ऐसा स्वागत सांस्कृतिक कूटनीति का एक उदाहरण के साथ विवादों को भी जन्म दिया है ?

तीसरा पक्ष डेस्क:डोनाल्ड ट्रंप के हाल के खाड़ी देशों की यात्रा में संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) दौरे के दौरान अबू धाबी में उनका स्वागत एक अनोखे और आकर्षक अंदाज में हुआ, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा. स्वागत के दौरान सफेद परिधानों में सजी महिलाओं ने अपने लंबे बालों को लयबद्ध तरीके से लहराते हुए पारंपरिक नृत्य ‘अल-अय्याला’ के जरिए ट्रंप का अभिवादन किया. यह नजारा इतना अनूठा था कि सोशल मीडिया पर इसका वीडियो तेजी से वायरल हो गया, लेकिन साथ ही इसने कुछ विवादों को भी जन्म दिया. आइए, इस अनोखे स्वागत की कहानी और इसके पीछे की सांस्कृतिक परंपरा को समझते हैं.

अल-अय्याला: यूएई की सांस्कृतिक धरोहर

Untitled design 36 तीसरा पक्ष

अल-अय्याला, जिसे कभी-कभी ‘खलीजी डांस’ या ‘हेयर डांस’ भी कहा जाता है, संयुक्त अरब अमीरात और खाड़ी क्षेत्र की एक पारंपरिक नृत्य शैली है. इस नृत्य को यूनेस्को ने 2014 में अपनी सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल किया था, जो इसकी वैश्विक महत्ता को दर्शाता है. यह नृत्य सामुदायिक एकता, उत्सव के साथ ही मेहमाननवाजी का भी प्रतीक समझा जाता है.
इसमें महिलाएं और पुरुष दोनों भाग ले सकते हैं, लेकिन ट्रंप के स्वागत में महिलाओं ने इसे प्रस्तुत किया. महिलाएं नृत्य के दौरान सफेद या रंगीन परिधानों में ढोल की थाप और पारंपरिक संगीत की धुन पर अपने बालों को तालबद्ध तरीके से लहराती हैं. यह नृत्य न केवल शारीरिक गतिविधि है, बल्कि सांस्कृतिक गौरव और आतिथ्य का प्रदर्शन भी है.

ट्रंप का स्वागत: एक यादगार पल

जब डोनाल्ड ट्रंप अबू धाबी के कसर अल वतन प्रेसिडेंशियल पैलेस पहुंचे, तो यूएई के राष्ट्रपति शेख मोहम्मद बिन जायद अल नहयान ने उनका व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया. इस दौरान अल-अय्याला नृत्य प्रस्तुत किया गया, जिसमें महिलाएं दो पंक्तियों में खड़ी होकर अपने बालों को लहराते हुए नृत्य करती नजर आईं. यह दृश्य इतना प्रभावशाली था कि ट्रंप ने भी इसकी तारीफ की, और यह वीडियो सोशल मीडिया पर लाखों लोगों तक पहुंचा.
इस स्वागत ने न केवल यूएई की मेहमाननवाजी को दर्शाया, बल्कि यह भी दिखाया कि कैसे एक पारंपरिक कला आधुनिक कूटनीति का हिस्सा बन सकती है. यह नृत्य यूएई की सांस्कृतिक पहचान को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित करने का एक शानदार तरीका था.

विवाद: परंपरा या अतिशयोक्ति?

हालांकि, ट्रंप का इस तरह का स्वागत ने कुछ विवाद भी खड़े किए हैं. कुछ सोशल मीडिया यूजर्स ने इस नृत्य को इस्लामी मान्यताओं के विपरीत बताया, क्योंकि यूएई जैसे मुस्लिम देश में महिलाओं का खुले बालों के साथ नृत्य करना असामान्य घटना माना जाता है. कुछ ने इसे ‘भूतिया’ या ‘अटपटा’ भी बताया.

एक यूजर ने सोशल मीडिया X पर वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा:अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का UAE का पारंपरिक नृत्य अल अय्याला से स्वागत. इस नृत्य में महिलाएं मेहमान के स्वागत में अपने बाल लहराती हैं. जिस धर्म में महिलाओं के लिए बुर्का और हिजाब अनिवार्य है, महिलाएं बाल खुले नहीं रखतीं. वहां मेहमान के सामने इस तरह बाल लहराना अटपटा लग रहा है!

दूसरी ओर, समर्थकों का कहना है कि अल-अय्याला एक सांस्कृतिक अभिव्यक्ति है, न कि धार्मिक प्रथा. यह नृत्य सदियों से खाड़ी क्षेत्र की परंपरा का हिस्सा रहा है और इसे सामुदायिक उत्सवों और आतिथ्य के लिए किया जाता है. कुछ यूजर्स ने इस बात पर जोर दिया कि यह स्वागत यूएई की उदार और समावेशी संस्कृति को दर्शाता है, जहां परंपरा और आधुनिकता इन दोनों का प्रभावशाली मेल देखने को मिलता है.

सांस्कृतिक कूटनीति का एक अनोखा उदाहरण

संयुक्त अरब अमीरात ने अबू धाबी में ट्रंप का इस तरह का भव्य स्वागत के जरिए इस्लामिक वर्ल्ड के साथ साथ पूरी दुनिया के सामने सांस्कृतिक कूटनीति का एक अनूठा उदाहरण पेश किया है. कहा जा सकता है कि ट्रंप का यह स्वागत न केवल एक सांस्कृतिक प्रदर्शन था, बल्कि यह कूटनीति का भी एक हिस्सा था. यूएई और अमेरिका के बीच मजबूत राजनयिक संबंध हैं, और इस तरह के आयोजन दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देते हैं. अल-अय्याला जैसे पारंपरिक नृत्य के माध्यम से यूएई ने अपनी समृद्ध विरासत को वैश्विक मंच पर प्रदर्शित किया, जिसने न केवल ट्रंप, बल्कि दुनिया भर के दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया.

और अंत में

अबू धाबी में डोनाल्ड ट्रंप का अल-अय्याला नृत्य के साथ स्वागत एक ऐसा पल था, जिसने सांस्कृतिक समृद्धि, मेहमाननवाजी और कूटनीति का अनूठा संगम प्रस्तुत किया. हालांकि, इसने कुछ लोगों के लिए सवाल भी खड़े किए, लेकिन यह यूएई की उस पहचान को रेखांकित करता है, जो परंपरा और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाए रखती है. यह घटना हमें याद दिलाती है कि सांस्कृतिक प्रदर्शन न केवल कला का हिस्सा हैं, बल्कि वे वैश्विक एकता और समझ को बढ़ावा देने का भी एक माध्यम हो सकते हैं.

नोट: यह विश्लेषण तीसरा पक्ष टीम द्वारा उपलब्ध जानकारी और विभिन्न समाचार स्रोतों पर आधारित है. अगर आप किसी विशेष पहलू पर सुझाव या संदेश देना चाहते हैं, तो कृपया Message Box में कमेंट कर बताएं!

Leave a Comment