जनरल अनिल चौहान का सिंगापुर में बयान: क्यों उठ रहे हैं सवाल?

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kmSudha

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जनरल अनिल चौहान का सिंगापुर में बयान: क्यों उठ रहे हैं सवाल?

सिंगापुर में शांग्री-ला डायलॉग सुरक्षा सम्मेलन के दौरान ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू ऐसा क्या था?

तीसरा पक्ष डेस्क: भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने हाल ही में शनिवार को सिंगापुर में आयोजित 22वें शांग्री-ला डायलॉग (Shangri-La Dialogue in Singapore) में एक बयान दिया, जिसने देश में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है. ब्लूमबर्ग को दिए एक इंटरव्यू में उनसे पूछा गया कि क्या भारत-पाकिस्तान संघर्ष के दौरान भारतीय लड़ाकू विमान गिराए गए थे. उनके जवाब ने न केवल सैन्य रणनीति पर प्रकाश डाला, बल्कि विपक्ष और सोशल मीडिया पर सवालों का तूफान भी खड़ा कर दिया.

बयान का सार को समझिए

जनरल चौहान ने कहा, “महत्वपूर्ण यह नहीं है कि लड़ाकू विमान गिरे, बल्कि महत्वपूर्ण यह है कि वे क्यों गिरे और हमने उनसे क्या सीखा।” उन्होंने आगे जोड़ा, “हमने अपनी गलतियों को समझा, उन्हें सुधारा, और लंबी दूरी के लक्ष्यों पर सटीक हमले किए।” यह बयान ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत को हुए नुकसान के संदर्भ में था, जिसे लेकर जनरल चौहान ने पहली बार खुलकर स्वीकार करते संभवतः दिख रहे हैं कि कुछ लड़ाकू विमान क्षतिग्रस्त हुए थे. हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान के इस दावे को खारिज कर दिया कि छह भारतीय विमान, जिनमें चार राफेल शामिल थे, मार गिराए गए.

क्यों उठ रहे हैं सवाल?

जनरल चौहान का यह बयान अस्पष्ट माना गया, जिसके कारण कई सवाल उठने लगे हैं. विपक्षी नेताओं और सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स ने इसे सरकार द्वारा तथ्यों को छिपाने की कोशिश के रूप में देखा. एक एक्स पोस्ट में लिखा गया, “मोदी सरकार क्या छिपा रही है?” विपक्ष का कहना है कि जनरल चौहान का जवाब स्पष्ट नहीं है और यह स्पष्टता की कमी को दर्शाता है, जिससे जनता में संदेह पैदा हुआ है। दूसरी ओर, कुछ लोगों ने उनके बयान को सैन्य रणनीति की गहराई और गलतियों से सीखने की प्रक्रिया पर जोर देने वाला भी माना है.

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ऑपरेशन सिंदूर और सूचना वॉर

जनरल चौहान ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान फर्जी खबरों से निपटने में 15% समय खर्च होने की बात भी कही. उन्होंने सूचना युद्ध (information warfare) के लिए एक विशेष शाखा की आवश्यकता पर बल दिया. यह बयान भारत की रणनीति को सुचना वॉर पर आधारित रखने और गलत सूचनाओं का मुकाबला करने की जरूरत को बल प्रदान करता है. इसके अलावा, उन्होंने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर आड़े हाथों लिया, यह कहते हुए कि “भारत को पाकिस्तान से हर बार धोखा मिला है”.

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जनरल चौहान का नेतृत्व

जनरल अनिल चौहान, जो 2022 में देश के दूसरे CDS बने, को जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में आतंकवाद विरोधी अभियानों का व्यापक अनुभव है. उनके नेतृत्व में भारतीय सशस्त्र बलों ने ऑपरेशन सिंदूर में साहस और रणनीतिक कौशल का परिचय दिया. उनके बयान को 7 मई को शुरू हुए इस संघर्ष पर अब तक की सबसे स्पष्ट टिप्पणी माना जा रहा है.

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निष्कर्ष

जनरल अनिल चौहान का सिंगापुर में दिया गया बयान न केवल भारत की सैन्य रणनीति को दर्शाता है, बल्कि सूचना युद्ध और रणनीतिक पारदर्शिता के महत्व को भी उजागर करता है. हालांकि, उनके जवाब की अस्पष्टता ने विपक्ष और जनता के बीच सवाल खड़े किए हैं. क्या यह बयान भारत की सैन्य ताकत को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है, या इसमें कुछ छिपाया जा रहा है? यह सवाल समय के साथ ही स्पष्ट होगा.

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