मुजफ्फरपुर रेप पीड़िता की PMCH में मौत: लापरवाही या सिस्टम की नाकामी?

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kmSudha

बिहारतीसरा पक्ष आलेख
मुजफ्फरपुर रेप पीड़िता की PMCH में मौत: लापरवाही या सिस्टम की नाकामी?

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना 2 जून :बिहार के मुजफ्फरपुर से पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में रेफर की गई 11 वर्षीय रेप पीड़िता की इलाज में देरी होने के कारण हुई मौत ने एक बार फिर बिहार के स्वास्थ्य विभाग और नीतीश सरकार की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. इस दर्दनाक घटना ने न केवल चिकित्सा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया है, बल्कि समाज में बढ़ती असंवेदनशीलता और प्रशासनिक लापरवाही को भी सामने लाया है. इस घटना से पहले यूट्यूबर मनीष कश्यप के साथ PMCH में हुई मारपीट की घटना ने भी सुर्खियां बटोरी थीं, और अब यह नया मामला बिहार की स्वास्थ्य सेवाओं और कानून-व्यवस्था की पोल खोल रहा है.

घटना का विवरण

घटना का विवरण:मुजफ्फरपुर रेप पीड़िता की मौत: लापरवाही, सिस्टम फेल या नीतीश सरकार की संवेदनहीनता?

26 मई 2025 को मुजफ्फरपुर के कुढ़नी थाना क्षेत्र में एक 11 साल की दलित नाबालिग बच्ची के साथ मछली बेचने वाले एक व्यक्ति ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए न केवल बलात्कार किया, बल्कि उसका गला काटकर और पेट व सीने को चीरकर हत्या का प्रयास किया .बच्ची को गंभीर हालत में पहले मुजफ्फरपुर के SKMCH में भर्ती किया गया, लेकिन स्थिति बिगड़ने पर उसे PMCH रेफर किया गया. परिजनों का आरोप है कि PMCH में बच्ची को 8-9 घंटे तक बेड नहीं मिला, और वह एंबुलेंस में तड़पती रही. जब तक उसे भर्ती किया गया, तब तक उसकी हालत इतनी गंभीर हो चुकी थी कि रविवार सुबह उसने दम तोड़ दिया.

पीड़िता के चाचा ने बताया कि SKMCH से हमें कहा गया कि PMCH में बेहतर इलाज होगा, लेकिन यहाँ आने के बाद हमें इधर-उधर दौड़ाया गया.ऑक्सीजन खत्म होने की बात पर भी हमें कहा गया कि 2000 रुपये दो, तब सिलेंडर मिलेगा.हम गरीब लोग इतना पैसा कहाँ से लाएँ?” इस बयान ने अस्पताल प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर किया है.

मनीष कश्यप और PMCH की मारपीट की घटना

मनीष कश्यप और PMCH की मारपीट की घटना

स त्रासदी से पहले PMCH में यूट्यूबर और बीजेपी नेता मनीष कश्यप के साथ हुई मारपीट की घटना ने भी अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाया था. मनीष ने आरोप लगाया था कि पीड़िता को भर्ती कराने की कोशिश के दौरान उनके साथ डॉक्टरों और कर्मचारियों ने दुर्व्यवहार किया. उन्होंने कहा कि मेरी इज्जत के साथ खिलवाड़ किया गया है.अगर सरकारी अस्पताल में इस तरह लोगों को मारा जाएगा, तो गरीब कहाँ जाएँगे?” मनीष ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह इस घटना के लिए जिम्मेदार हैं और उनकी “बददुआ” उन्हें ले डूबेगी.

सियासी घमासान और सरकार पर आरोप

सियासी घमासान और सरकार पर आरोप

इस घटना ने बिहार की सियासत को गरमा दिया है. विपक्षी दलों, विशेष रूप से कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (RJD), ने नीतीश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे पर तीखा हमला बोला है. कांग्रेस नेता राजेश राठौड़ ने कहा, “यह सिर्फ मेडिकल लापरवाही नहीं, बल्कि सरकार की सहभागिता और संवेदनहीनता का प्रतीक है. आरजेडी ने स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफे की मांग की है, वहीं लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा “ऐसी शासन व्यवस्था पर शर्म आती है, धिक्कार है ऐसी शासन व्यवस्था पर जहाँ बेटियों की अस्मत लूटी जा रही है ,जहाँ बेटियों की आबरू से खिलवाड़ हो रहा है और उन्हें उचित इलाज तक नहीं मिल पा रहा है.

कांग्रेस ने पटना के इनकम टैक्स चौराहे पर प्रदर्शन कर नीतीश सरकार के खिलाफ नारेबाजी की और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की.दूसरी ओर, बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल ने भी इस घटना पर शर्मिंदगी जताते हुए कहा, “जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और लापरवाही बरतने वालों को सजा मिलनी चाहिए.

PMCH प्रशासन का बचाव

PMCH प्रशासन का बचाव

PMCH के प्रभारी अधीक्षक डॉ. अभिजीत ठाकुर ने लापरवाही के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बच्ची की स्थिति अत्यंत गंभीर थी और डॉक्टरों ने उसे बचाने की पूरी कोशिश की.उन्होंने बताया कि बच्ची को 5 घंटे बाद वेंटिलेटर सपोर्ट दिया गया, लेकिन ENT विभाग में ICU की कमी के कारण उसे गायनी ICU में शिफ्ट करना पड़ा. हालांकि, परिजनों और विपक्ष का कहना है कि अगर समय पर बेड और ऑक्सीजन उपलब्ध होता, तो बच्ची की जान बचाई जा सकती थी.

सिस्टम की नाकामी या व्यक्तिगत लापरवाही?

यह घटना केवल एक अस्पताल की लापरवाही तक सीमित नहीं है, बल्कि यह बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून-व्यवस्था की बदहाली को दर्शाती है.मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 3 मई 2025 को PMCH को दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा हाईटेक अस्पताल बताकर इसका उद्घाटन किया था, जिसमें 1117 बेड की व्यवस्था की गई थी. फिर भी, एक नाबालिग रेप पीड़िता को घंटों बेड नहीं मिला, यह सवाल उठाता है कि क्या यह सिस्टम की नाकामी है या व्यक्तिगत लापरवाही?

सिस्टम की नाकामी या व्यक्तिगत लापरवाही?

बिहार में बलात्कार और गैंगरेप की बढ़ती घटनाओं के बीच, पुलिस और अस्पतालों की संवेदनहीनता ने पीड़ितों के प्रति समाज के विश्वास को डगमगाया है. मनीष कश्यप जैसे लोगों का गुस्सा और विपक्ष का प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि जनता अब और चुप नहीं रहेगी.

निष्कर्ष

मुजफ्फरपुर रेप पीड़िता की मौत न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह बिहार की स्वास्थ्य और प्रशासनिक व्यवस्था पर एक गहरा धब्बा है. नीतीश सरकार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को इस घटना की जवाबदेही लेनी होगी. यह समय है कि सरकार केवल वादों और उद्घाटनों से आगे बढ़कर ठोस कदम उठाए, ताकि ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों. समाज को भी यह सोचने की जरूरत है कि हमारी बेटियों की सुरक्षा और सम्मान के लिए हमें कब तक सिस्टम की नाकामी का इंतजार करना होगा?इस लेख या न्यूज़ का मुख्य फोकस कीवर्ड है और सहायक कीवर्ड्स: क्या है और साथ में टाइटल और मेटा डिस्क्रिप्शन भी लिखे

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