विदेशी वकीलों के लिए भारत में नए दरवाजे: मुख्य न्यायाधीश ने सराहा

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Advocate Ajit Kumar

भारतदुनिया
विदेशी वकीलों के लिए भारत में नए दरवाजे: मुख्य न्यायाधीश ने सराहा

BCI के फैसले पर मुख्य न्यायाधीश का समर्थन, गैर-मुकदमेबाजी कार्यों को हरी झंडी

तीसरा पक्ष डेस्क,नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर.गवई ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के उस ऐतिहासिक निर्णय की प्रशंसा की है, जिसमें विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को भारत में गैर-मुकदमेबाजी कार्यों और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में हिस्सा लेने की अनुमति प्रदान की गई है. उन्होंने इस कदम को भारतीय मध्यस्थता तंत्र को वैश्विक स्तर पर और अधिक सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल बताया. यह बयान उन्होंने 5 जून 2025 को लंदन में Indian Council of Arbitration (ICA) द्वारा आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता सम्मेलन(International Conference on Arbitrating Indo-UK Disputes) में दिया.

भारतीय मध्यस्थता को वैश्विक पहचान

मुख्य न्यायाधीश गवई ने अपने संबोधन में कहा, “यह निर्णय भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित करने में सहायक होगा.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि विदेशी कानूनी विशेषज्ञों की भागीदारी से भारतीय मध्यस्थता प्रणाली में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ेगी, जिससे वैश्विक निवेशकों का भारत में विश्वास और मजबूत होगा.

उन्होंने आगे अपने सम्बोधन में कहा कि भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच संबंध केवल ऐतिहासिक नहीं हैं, बल्कि यह एक जीवंत और गतिशील साझेदारी है, जो व्यापार, निवेश और कानूनी ढांचे पर आधारित है. मध्यस्थता, इस साझेदारी को और सशक्त बनाने का एक महत्वपूर्ण साधन है. यह एक ऐसा तंत्र है जो न केवल विवादों का समाधान करता है, बल्कि पक्षों के बीच विश्वास और सहयोग को भी बढ़ावा देता है.

विदेशी वकीलों के लिए नए अवसर

भारतीय बार काउंसिल (BCI) के हाल के निर्णय का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय बार काउंसिल (BCI) ने 14 मई 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसके तहत विदेशी वकीलों और कानूनी फर्मों को भारत में गैर-मुकदमेबाजी और अंतरराष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता में काम करने की अनुमति दी गई है. यह कदम भारत को वैश्विक मध्यस्थता के नक्शे पर और मजबूती से स्थापित करेगा. यह न केवल वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने में मदद करेगा, बल्कि भारतीय कानूनी पेशेवरों को भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर प्रदान करेगा.

बीसीआई के 14 मई 2025 को जारी नियमों के तहत, विदेशी वकील अब भारत में गैर-मुकदमेबाजी कार्यों, जैसे कॉरपोरेट परामर्श, अनुबंध प्रारूपण, और मध्यस्थता से संबंधित सेवाओं में योगदान दे सकेंगे। हालांकि, उन्हें भारतीय अदालतों में मुकदमों की पैरवी करने की अनुमति नहीं होगी। यह कदम भारतीय कानूनी प्रणाली को वैश्विक मानकों के साथ जोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

भारतीय वकीलों को मिलेगा लाभ

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला भारत को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए एक आकर्षक गंतव्य के रूप में उभारेगा. साथ ही, यह भारतीय वकीलों को विदेशी विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करने और अपनी क्षमताओं को निखारने का अवसर प्रदान करेगा. BCI ने यह भी सुनिश्चित किया है कि विदेशी वकीलों को भारत में कार्य करने के लिए सख्त नियमों का पालन करना होगा, ताकि स्थानीय कानूनी पेशेवरों के हितों की रक्षा हो.

भविष्य के लिए और कदम

मुख्य न्यायाधीश ने इस अवसर पर कहा कि भारत को वैश्विक मध्यस्थता के क्षेत्र में अग्रणी बनाने के लिए और सुधारों की आवश्यकता है. उन्होंने कानूनी समुदाय और सरकार से इस दिशा में संयुक्त प्रयास करने का आग्रह किया. यह निर्णय भारतीय कानूनी क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत है, जो देश को वैश्वीकरण के दौर में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा.

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