लाखों किसानों की जमीन, रोजी-रोटी और पर्यावरण पर सीधा हमला
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 3 अक्टूबर 2025 – भागलपुर जिले के पीरपैंती में प्रस्तावित अडाणी पावर प्रोजेक्ट इन दिनों विवादों के घेरे में है.सरकार इसे विकास का मॉडल बताती है, लेकिन स्थानीय किसानों और मजदूरों के लिए यह प्रोजेक्ट विनाश का सौदा साबित हो रहा है.भाकपा-माले महासचिव का. दीपंकर भट्टाचार्य ने 2 अक्टूबर को पीरपैंती का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और स्पष्ट कहा कि यह प्रोजेक्ट लोगों की जमीन, रोजगार और पर्यावरण पर सीधा हमला है.
किसानों की जमीन पर अतिक्रमण
जांच दल के मुताबिक, 2010 में एनटीपीसी के नाम पर सात पंचायतों की जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हुआ था .लेकिन अचानक 15 साल बाद यह जमीन अडाणी समूह को सौंप दिया गया . किसानों का कहना है कि उन्होंने जमीन बिहार सरकार को दी थी, किसी निजी कंपनी को नहीं.
दीपंकर भट्टाचार्य का आरोप है कि इस जमीन पर सिर्फ 1 रुपये सालाना लीज रेट पर 1050 एकड़ उपजाऊ भूमि अडाणी को दी जा रही है. यह जमीन आम के बगीचों से घिरी है, जिससे लाखों फलदार पेड़ काट दिए जाएंगे. यह फैसला न सिर्फ किसानों की रोजी-रोटी पर हमला है, बल्कि इलाके की जैव विविधता और पर्यावरण को भी खत्म कर देगा.
मुआवजे में घोटाला
किसानों ने मुआवजे में भारी अनियमितताओं का आरोप लगाया है.
एक ही खाता और खेसरा की जमीन पर अलग-अलग दर से मुआवजा दिया गया.
जिन किसानों ने जमीन खरीदी थी लेकिन कागज पूरे नहीं कर पाए, उन्हें मुआवजा नहीं मिला.
कई गरीब किसानों को अब तक कोई मुआवजा नहीं दिया गया.
कमालपुर टोले के करीब 64 घर विस्थापित होंगे, जिनका कहना है कि इतने कम मुआवजे से वे कहीं जमीन नहीं खरीद सकते.उनकी मांग है कि सरकार उन्हें जमीन के बदले जमीन और मकान बनाकर दे.
आजीविका पर संकट
पीरपैंती क्षेत्र में मौजूद आम के बगीचे लाखों लोगों को साल में 7 महीने रोजगार देता हैं. मजदूर, किसान, फल विक्रेता और बागान से जुड़ा पूरा नेटवर्क इससे आजीविका पाता है.अगर यह प्रोजेक्ट लागू हुआ तो इतने बड़े पैमाने पर रोजगार छिन जाएगा और लोग बेरोजगारी तथा विस्थापन की मार झेलेंगे.
दीपंकर भट्टाचार्य ने सवाल उठाया –
“अडाणी का पावर प्रोजेक्ट नया रोजगार नहीं देगा, बल्कि मौजूदा रोजगार छीन लेगा और पूरे इलाके की हवा, पानी और जमीन को जहरीला बना देगा.
ये भी पढ़े :पीएम मोदी की वर्चुअल मीटिंग पर एजाज अहमद का कटाक्ष
ये भी पढ़े :भारत रत्न जननायक कर्पूरी ठाकुर स्मृति सभा कक्ष का शिलान्यास
पर्यावरण और स्वास्थ्य पर खतरा
पीरपैंती के लोगों का डर निराधार नहीं है. कहलगांव एनटीपीसी और झारखंड के गोड्डा पावर प्रोजेक्ट इसका उदाहरण हैं. वहां स्थानीय लोगों को रोजगार नहीं मिला, बल्कि प्रदूषण, बीमारी और पर्यावरणीय विनाश झेलना पड़ा.
गोड्डा पावर प्लांट में कोयला ऑस्ट्रेलिया से आता है और बिजली बांग्लादेश जाता है.नतीजतन, स्थानीय जनता को न तो बिजली का फायदा मिलता है और न ही रोजगार.यही स्थिति पीरपैंती में भी बनने वाली है.
किसानों पर दबाव और दमन
रिपोर्ट के मुताबिक, स्थानीय भाजपा विधायक और प्रशासन किसानों पर विरोध न करने का दबाव डाल रहे हैं.विरोध करने वाले किसानों को जेल भेजा जा रहा है.यहां तक कि उद्घाटन के दिन मुखिया दीपक सिंह को जेल में डाल दिया गया था और कई लोगों को नजरबंद किया गया.
गंगा कटाव पीड़ितों की व्यथा
पीरपैंती दौरे के दौरान गंगा कटाव पीड़ितों ने भी अपनी समस्याएं बताईं.
रानी दियारा गांव के करीब 12 वार्ड गंगा में बह गए.
लोग पिछले 10 साल से रेलवे जमीन पर रह रहे हैं.
अब तक उनका स्थायी पुनर्वास नहीं हुआ है.
कई परिवारों के नाम मतदाता सूची से काट दिए गए हैं.
दीपंकर भट्टाचार्य ने सरकार से मांग किया कि इन लोगों को तुरंत पुनर्वास दिया जाए.
निष्कर्ष
पीरपैंती में अडाणी पावर प्रोजेक्ट का सच यही है कि यह विकास नहीं, विनाश का सौदा है.किसानों की जमीन, आम के बगीचे और स्थानीय लोगों की आजीविका छीनकर कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने की साजिश हो रही है.
यह मुद्दा सिर्फ जमीन और मुआवजे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सवाल है कि बिहार और झारखंड जैसे राज्यों का भविष्य किस दिशा में जाएगा – लोकहित में या कॉरपोरेट हित में.
कुछ सवाल :
Q1. पीरपैंती अडाणी पावर प्रोजेक्ट कहां बन रहा है?
उतर– भागलपुर जिले के पीरपैंती प्रखंड में, सुंदरपुर और कमालपुर गांवों के पास.
Q2. किसानों की मुख्य मांग क्या है?
उतर– जमीन के बदले जमीन, उचित मुआवजा और पुनर्वास.
Q3. प्रोजेक्ट से कितने लोग प्रभावित होंगे?
उतर– हजारों किसान, मजदूर और बागानों पर निर्भर लाखों लोग.
Q4. पर्यावरण को क्या नुकसान होगा?
उतर– लाखों आम के पेड़ काटे जाएंगे, प्रदूषण बढ़ेगा और हवा-पानी जहरीले होंगे.
Q5. क्या लोगों को रोजगार मिलेगा?
उतर– विशेषज्ञों और किसानों का कहना है कि नया रोजगार नहीं मिलेगा, बल्कि मौजूदा रोजगार खत्म हो जाएगा.
मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.



















