चुनावी प्रक्रिया में सुधार की ज़रूरत क्यों है?
तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना: भारत में लोकतंत्र की मजबूती संवैधानिक संस्थाओं की निष्पक्षता और पारदर्शिता पर टिकी है. परंतु राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने संवैधानिक संस्थाओं, विशेष रूप से भारत के चुनाव आयोग के कामकाज पर गंभीर सवाल उठाए हैं.राजद ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से चुनाव आयोग के कार्यकलाप संदेह के घेरे में रहे हैं.राजद) द्वारा उठाए गए सवालों ने चुनाव आयोग की भूमिका को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है.
चुनावी हेरफेर के आरोप
राजद ने विशेष रूप से 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए दावा किया है कि कुछ सीटों पर राजद के उन उम्मीदवारों को, जिन्हें शुरू में विजेता घोषित किया गया था, बाद में सत्ताधारी गठबंधन और चुनाव आयोग की कथित सांठगांठ के कारण हार का सामना करना पड़ा.राजद ने कहा, “ऐसी कार्रवाइयां चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लगाती हैं.पार्टी का आरोप है कि यह सब चुनाव आयोग और सत्ताधारी गठबंधन के बीच मिलीभगत का परिणाम था.
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लोकतांत्रिक संस्थाओं पर बढ़ते संदेह
राजद ने आरोप लगाया कि 2020 के बिहार चुनाव में चुनाव आयोग के फैसलों ने सत्ताधारी गठबंधन का पक्ष लिया, जिससे इस संस्था की निष्पक्षता पर संदेह पैदा हुआ. इन आरोपों ने भारत की चुनावी प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर नई बहस छेड़ दिया है.राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह आरोप केवल एक चुनावी हार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दर्शाता है कि देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को लेकर विपक्षी दलों की चिंताएं कितनी गहरी हैं.राजद के बयान को अन्य विपक्षी दलों का भी समर्थन मिल रहा है, जो प्रमुख संस्थाओं की स्वतंत्रता पर सवाल उठा रहे हैं.यह मुद्दा अब सिर्फ एक दल का नहीं रहा; अन्य विपक्षी पार्टियाँ भी इस पर एकजुट होती दिख रही हैं.
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राजद की मांगें: चुनावी सुधार और जवाबदेही
राजद ने चुनावी प्रक्रिया में जनता का विश्वास बहाल करने के लिए तत्काल सुधारों की मांग किया है.पार्टी ने नागरिकों और राजनीतिक हितधारकों से संवैधानिक संस्थाओं से अधिक जवाबदेही की मांग करने का आह्वान किया.राजद ने कहा, “लोकतंत्र निष्पक्ष और पारदर्शी चुनावों पर टिका होता है.इस मोर्चे पर कोई समझौता जनादेश के साथ विश्वासघात है. उनका मानना है कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव ही लोकतंत्र की आत्मा हैं और यदि इन पर सवाल खड़े होते हैं, तो वह पूरे जनादेश की वैधता पर प्रश्नचिन्ह लगा देता है.
चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर राजद के इन आरोपों ने भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूत करने और स्वतंत्र संस्थाओं की भूमिका पर चर्चा को और तेज कर दिया है

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