सशक्त बेटियाँ: पोशाक ने आत्मविश्वास, साइकिल ने रास्ता दिया

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Ajit Kumar

बिहार
सशक्त बेटियाँ: पोशाक ने आत्मविश्वास, साइकिल ने रास्ता दिया

पोशाक में गरिमा, पहियों में प्रेरणा – बेटियों की शिक्षा को नई उड़ान

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना:बिहार में बेटियों की शिक्षा को नया आयाम देने वाली दो ऐतिहासिक योजनाएँ है पहला मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना और दूसरा है मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना – आज प्रदेश की लाखों छात्राओं के जीवन में बदलाव ला रही हैं. ये योजनाएं न सिर्फ शिक्षा तक पहुंच को आसान बना रही हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक मजबूत कदम साबित हो रही हैं.

पोशाक योजना: आत्मसम्मान और उपस्थिति दोनों में इजाफा

मुख्यमंत्री बालिका पोशाक योजना के तहत छात्राओं को स्कूल ड्रेस के लिए आर्थिक सहायता प्रदान किया जाता है, जिससे वे स्वच्छ और गरिमापूर्ण परिधान में स्कूल आ सकें. इससे स्कूलों में उनकी उपस्थिति बढ़ी है और आत्मविश्वास में भी अच्छा खासा इजाफा भी हुआ है. अब बेटियाँ स्कूल जाने में झिझक महसूस नहीं करतीं है. वे गर्व से अपने सपनों को आकार देने के लिए निकल पड़ती हैं.

साइकिल योजना: दूरी नहीं रही अब रुकावट

वहीं, मुख्यमंत्री बालिका साइकिल योजना ने दूर-दराज के इलाकों में रहने वाली छात्राओं के लिए स्कूल तक की दूरी को आसान बना दिया है. अब बेटियाँ निर्भीक होकर साइकिल से स्कूल पहुँच रही हैं. समय की बचत हो रही है और साथ ही शारीरिक रूप से भी वे अधिक सक्रिय हो रही हैं. इस योजना ने बालिकाओं को सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उनकी सोच को भी पंख दिए हैं.

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शिक्षा के साथ आत्मनिर्भरता की ओर कदम

इन दोनों योजनाओं का असर केवल कक्षा तक सीमित नहीं है. पोशाक और साइकिल के माध्यम से बेटियों में आत्मनिर्भरता की भावना पैदा हो रही है. वे अब अपनी पढ़ाई को लेकर ज्यादा गंभीर हैं, और आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक या प्रशासनिक अधिकारी बनने का सपना देखने लगी हैं.

सरकार की दूरदृष्टि, बेटियों का सुनहरा भविष्य

बिहार सरकार की इन पहलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जब नीतियाँ ज़मीन से जुड़ी हों और लक्ष्य स्पष्ट हो, तो बदलाव असंभव नहीं होता.पोशाक और साइकिल की यह जोड़ी केवल सरकारी योजनाएं नहीं, बल्कि बेटियों के सपनों की रफ्तार बन चुकी है.

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