प्रधानमंत्री का बिहार दौरा: चुनाव आए, तो फिर याद आया बिहार? – राजद ने उठाए सवाल

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Ajit Kumar

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प्रधानमंत्री का बिहार दौरा: चुनाव के समय ही क्यों होती है याद? – राजद ने उठाए सवाल

चुनाव के समय ही क्यों याद आता है बिहार?

तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना : प्रधानमंत्री का बिहार दौरा एक बार फिर सवालों के घेरे में है. दिनांक 28 मई के एक प्रकाशनार्थ में राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने आरोप लगाया है कि चुनाव के समय बिहार को केवल एक इवेंट शो की तरह पेश किया जाता है. उन्होंने पूछा – जब सरकार का कार्यकाल चलता है, तब बिहार की उपेक्षा क्यों होती है?

वादे बहुत, नतीजे शून्य – प्रधानमंत्री के पुराने दौरे का हिसाब कौन देगा?

प्रधानमंत्री के वादे सिर्फ घोषणाओं तक सीमित रह जाते हैं.चित्तरंजन गगन ने याद दिलाया कि 27 फरवरी 2023 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुद विधानसभा में कहा था कि बिहार के हिस्से की राशि भी केंद्र नहीं दे रहा.

आरा की सभा 2015: जब बिहार की बोली लगी थी

राजद ने पूछा कि 2015 की आरा सभा में जो वादे किए गए, उनका क्या हुआ? तब प्रधानमंत्री ने बिहार के लिए विशेष पैकेज और विकास योजनाओं की घोषणा किये थे. लेकिन आज तक उन पर अमल नहीं हुआ.

विशेष राज्य का दर्जा और स्पेशल पैकेज कब मिलेगा?

बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग वर्षों से उठ रही है. क्या इस बार प्रधानमंत्री इसकी घोषणा करेंगे?
स्पेशल पैकेज बिहार की जरूरत है, मगर बार-बार सिर्फ जुमलों की बारिश होती है.

पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय दर्जा – अब भी इंतज़ार जारी

नीतीश कुमार ने सार्वजनिक मंच से पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा देने की मांग किये थे. अब जनता जानना चाहती है कि क्या प्रधानमंत्री इस बार इसका ऐलान करेंगे?

11 साल बनाम गुजरात मॉडल – बिहार को क्या मिला?

राजद प्रवक्ता ने पूछा:
11 वर्षों के शासन में प्रधानमंत्री जी ने बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए क्या पहल की?
जबकि बिहार की आबादी और क्षेत्रफल गुजरात से अधिक है, फिर भी हर विकास मानक पर बिहार क्यों पीछे है?

जनता जानती है: यह सिर्फ इवेंट शो है

बिहार की जनता अब प्रधानमंत्री का बिहार दौरा एक इवेंट शो के रूप में देखती है. चित्तरंजन गगन ने कहा कि लोगों का भरोसा अब इन दौरों पर नहीं रहा.अब बिहार के लोग समझ गए हैं – ये सिर्फ इवेंट शो है
चित्तरंजन गगन ने कहा कि बिहार के लोगों में अब इन दौरों को लेकर कोई उत्साह नहीं बचा है.
अब ये दौरे लोगों को इवेंट शो जैसे लगते हैं – वादे होंगे, घोषणाएं होंगी, फिर सब भूल जाएंगे.
बिहार की जनता अब समझदार हो चुकी है.

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