जनता से मांगी न्याय की सजा
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 18 सितंबर 2025 –बिहार की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है. राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने अपनी चल रही बिहार अधिकार यात्रा के दौरान सत्ता पर सीधा हमला बोलते हुए बेरोजगारी के मुद्दे को चुनावी बहस के केंद्र में ला दिया है. मोकामा में आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर आज लाखों युवा बेरोजगार हैं.तो इसकी सबसे बड़ी जिम्मेदारी मौजूदा सत्ता की है और इस अपराध की सजा जनता ही तय करेगी. तेजस्वी का यह बयान उनके आधिकारिक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल @yadavtejashwi से साझा किया गया है.

बिहार अधिकार यात्रा का मकसद
तेजस्वी यादव ने अपनी यात्रा की शुरुआत 16 सितंबर 2025 को की थी.यह यात्रा बिहार के अलग-अलग जिलों से होकर गुजर रही है, जिसमें वे बेरोजगारी, किसानों की समस्याएं, महिलाओं की सुरक्षा, अपराध, महंगाई और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर लोगों से सीधे संवाद कर रहे हैं.
मोकामा से पहले वे बख्तियारपुर और बाढ़ में भी सभाएं कर चुके हैं. इन कार्यक्रमों में उन्होंने 20 वर्षों से सत्ता में काबिज एनडीए सरकार पर आरोप लगाया कि उसने बिहार के युवाओं को नौकरी, बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं और बुनियादी ढांचा देने में पूरी तरह विफलता दिखाई है.तेजस्वी का दावा है कि अब जनता जाग चुकी है और सत्ता परिवर्तन की मांग पूरे राज्य में तेज हो रही है.
बेरोजगारी पर बड़ा हमला
बिहार में बेरोजगारी दर लंबे समय से राष्ट्रीय औसत से कहीं अधिक रही है.सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में यह दर 25% से भी ऊपर है, जबकि शहरी इलाकों में भी स्थिति चिंताजनक है.
तेजस्वी ने सभा के दौरान सवाल उठाया कि –
राज्य में फैक्टरियां और उद्योग क्यों नहीं लगाए गए? युवा पढ़ाई पूरी करने के बाद पलायन क्यों करने को मजबूर हैं? बिहार अब भी सबसे गरीब राज्यों में क्यों गिना जाता है?
उन्होंने जनता से वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनी, तो किसी भी डिग्रीधारी युवा को रोजगार के लिए बिहार से बाहर नहीं जाना पड़ेगा.
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नीतीश कुमार और केंद्र पर निशाना
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को आड़े हाथों लेते हुए उन्हें ,धोखेबाज मंत्री तक कहा. उनका आरोप है कि नीतीश उनकी योजनाओं की नकल करते हैं और जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं. साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी तंज कसा कि सरकार घुसपैठ जैसे मुद्दों पर ध्यान भटकाती है, ताकि बेरोजगारी और महंगाई पर कोई चर्चा न हो.

सत्ताधारी दल का पलटवार
एनडीए की ओर से तेजस्वी के आरोपों को बेबुनियाद बताया गया है. सत्ता पक्ष का कहना है कि 2020 से अब तक 7.24 लाख सरकारी नौकरियां दी गई हैं और 2025 में अतिरिक्त 5 लाख नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू होगी, हालांकि, तेजस्वी ने इसे झूठा प्रचार करार दिया और कहा कि हकीकत में युवाओं के सपनों और भविष्य से खिलवाड़ हो रहा है.
जनता की प्रतिक्रिया
युवाओं की तरफ से तेजस्वी को सोशल मीडिया पर काफी समर्थन मिल रहा है.कई छात्रों ने अपनी परेशानियां साझा कीं, बताते हुए कि बिहार में उच्च शिक्षा के अवसर बेहद सीमित हैं.राज्य में प्रति एक लाख की आबादी पर केवल सात कॉलेज हैं और 200 से अधिक ब्लॉकों में आज भी डिग्री कॉलेज की सुविधा नहीं है.
वहीं दूसरी ओर, सत्ता समर्थक लोग एनडीए की योजनाओं को गिनाकर सरकार का बचाव कर रहे हैं. इस वजह से बहस और भी तेज हो गई है.
राजनीतिक महत्व
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह यात्रा विधानसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्ष को मजबूत करने की रणनीति का हिस्सा है. दिलचस्प बात यह है कि हाल ही में राहुल गांधी ने वोटर अधिकार यात्रा पूरी की थी, लेकिन तेजस्वी ने अपनी यात्रा को स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित कर इसे अलग पहचान देने की कोशिश की है.
उनके पोस्ट – काँप रही है कुर्सी, हाँफ रही है सत्ता, इस सरकार से मुक्ति माँग रही है जनता – तेजी से वायरल हो रहे हैं और यह साफ संकेत है कि वे खुद को बिहार के युवाओं का असली प्रतिनिधि बनाना चाहते हैं.
निष्कर्ष
तेजस्वी यादव की बिहार अधिकार यात्रा ने बेरोजगारी के मुद्दे को राजनीतिक विमर्श के केंद्र में ला दिया है. युवा वर्ग के बीच उनकी अपील लगातार बढ़ रही है और यह तय है कि आने वाले चुनावों में यह मुद्दा निर्णायक साबित हो सकता है. अगर सरकार ने समय रहते समाधान नहीं निकाला, तो जनता वाकई, सजा, तय करने के मूड में नजर आ रही है.
यह पूरा घटनाक्रम दर्शाता है कि बिहार की राजनीति अब बेरोजगारी बनाम विकास के इर्द-गिर्द घूमने लगी है और तेजस्वी यादव इस बहस के सबसे प्रमुख चेहरा बनकर उभरे हैं.

मेरा नाम रंजीत कुमार है और मैं समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर (एम.ए.) हूँ. मैं महत्वपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक मुद्दों पर गहन एवं विचारोत्तेजक लेखन में रुचि रखता हूँ। समाज में व्याप्त जटिल विषयों को सरल, शोध-आधारित तथा पठनीय शैली में प्रस्तुत करना मेरा मुख्य उद्देश्य है.
लेखन के अलावा, मूझे अकादमिक शोध पढ़ने, सामुदायिक संवाद में भाग लेने तथा समसामयिक सामाजिक-राजनीतिक घटनाक्रमों पर चर्चा करने में गहरी दिलचस्पी है.