तेलंगाना फैक्ट्री हादसा: 10 बिहारी मजदूरों की दर्दनाक मौत

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Ajit Kumar

भारत
तेलंगाना फैक्ट्री हादसा: 10 बिहारी मजदूरों की दर्दनाक मौत

सरकार पर आंकड़े छिपाने का आरोप, भाकपा-माले की जांच

तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 6 जुलाई:तेलंगाना के संगारेड्डी जिले में स्थित केमिकल निर्माण इकाई सिंघाची इंडस्ट्री लिमिटेड में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है. इस दर्दनाक हादसे में अब तक 40 से अधिक मजदूरों की मौत की पुष्टि अभी तक हुई है, जिनमें बिहार के 10 प्रवासी मजदूर भी शामिल हैं.मृतकों में से 9 की पहचान हो चुकी है जबकि एक अभी भी लापता है, जिसकी मौत की आशंका जताई जा रही है.

इस त्रासदी के बाद सरकार की भूमिका पर कई गंभीर सवाल उठने लगे हैं.भाकपा-माले की एक उच्चस्तरीय जांच टीम ने 5 जुलाई को घटनास्थल का दौरा किया और वहां की जो स्थिति देखी, उसने सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दिया है.पटना में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी सांसद का. राजाराम सिंह और पूर्व विधायक का. मनोज मंजिल ने आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य सरकारें मृतकों की वास्तविक संख्या छिपा रही हैं और प्रवासी मजदूरों की मौत को सामान्य घटना की तरह लिया जा रहा है.

जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

भाकपा-माले की टीम के अनुसार, हादसे के वक्त फैक्ट्री में 143 मजदूर काम कर रहे थे, जिनमें से 114 विस्फोट की चपेट में आए। बिहार के कम-से-कम 10 मजदूरों की मौके पर ही मौत हो गई, जिनमें से कुछ की तो पहचान तक मुश्किल हो गई क्योंकि वे पूरी तरह जल चुके थे.

बिहार के मृतक मजदूरों की सूची इस प्रकार है:

  • शशिभूषण कुमार – उम्र-25 वर्ष, पिता-बिहारीरवानी, ग्राम-डिलियाँ, कोआथ, जिला-रोहतास
  • लक्ष्मी मुखिया – उम्र-29 वर्ष, पिता-भिखारी मुखिया, ग्राम-बाथ, पोस्ट-आधारपुर, जिला-दरभंगा
  • राज कुमार – उम्र-30 वर्ष, पिता-इंद्रदेव साहू, ग्राम-तानपुरा, जिला-नवादा
  • नागा पासवान – उम्र-29 वर्ष, पिता-बालेश्वर पासवान, ग्राम-किरियावां, जिला-रोहतास
  • दिलीप गोसांई – उम्र-52 वर्ष, पिता-राम गोसांई, ग्राम-अमरथा, जिला-रोहतास,बिहार
  • दिलीप कुमार – उम्र-20 वर्ष, पिता-शिवजी पासवान, ग्राम-अमरथा, जिला-रोहतास,बिहार
  • तस्लीम्मुद्दीन अंसारी – उम्र-56 वर्ष, पिता-रहमुद्दीन,ग्राम-दांवा, जिला-भोजपुर, बिहार
  • शम्भू राम – उम्र-52 वर्ष,पिता-कृत राम, ग्राम-अकरुआं, जिला-भोजपुर
  • मुनमुन चौधरी – उम्र-48 वर्ष, पिता-क्रिस बिहारी चैधरी, ग्राम-आरा,जिला-भोजपुर
  • शिवजी बिंद –उम्र -30 वर्ष, पिता-शम्भू बिंद,ग्राम-करजांवा, ब्लॉक -चैनपुर, भभुआ, बिहार – लापता

सरकारी रवैया संवेदनहीन

जांच टीम ने कहा कि घटनास्थल पर बिहार भवन के कुछ अधिकारी तो पहुंचे, लेकिन राज्य सरकार की ओर से कोई ठोस राहत या बचाव कदम नहीं उठाया गया। हादसे से साफ जाहिर है कि न तो फैक्ट्री में पर्याप्त सुरक्षा उपकरण थे और न ही आपातकालीन निकासी का कोई प्रबंध. भाकपा-माले ने केंद्र सरकार द्वारा श्रम कानूनों में की गई कटौती को इस हादसे के लिए जिम्मेदार ठहराया है.

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भाकपा-माले की प्रमुख मांगें

प्रत्येक मृतक के परिजन को ₹20 लाख मुआवजा दे बिहार सरकार.

मृत मजदूरों के परिजनों को स्थायी रोजगार मिले.

घटना की न्यायिक जांच हो, ताकि जिम्मेदारों को सजा मिल सके.

श्रम कानूनों में की गई कटौतियों को वापस लिया जाए.

प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा और आजीविका की गारंटी देने वाला राष्ट्रीय कानून बने.

प्रवासी आयुक्तों की नियुक्ति की जाए, जहां 1000 से अधिक बिहारी मजदूर काम करते हैं.

तेलंगाना सरकार द्वारा घोषित मुआवजा तत्काल दिया जाए, इसकी निगरानी की जाए.

बिहार से पलायन बना गंभीर सवाल

राजनीतिक नेतृत्व पर निशाना साधते हुए भाकपा-माले ने कहा कि भाजपा-जदयू शासन के बीते दो दशकों में बिहार से पलायन लगातार बढ़ा है. यह हादसा सिर्फ एक दुखद घटना नहीं, बल्कि उस सिस्टम की पोल खोलता है, जिसमें गरीब मजदूरों की जिंदगी की कोई कीमत नहीं है .

इस हादसे ने एक बार फिर प्रवासी मजदूरों की असुरक्षित जीवन-स्थितियों और सरकार की संवेदनहीनता को सामने ला दिया है. सवाल यह है कि क्या सरकारें इस बार सिर्फ मुआवजा देकर हाथ झाड़ लेंगी, या फिर वाकई कोई ठोस और न्यायपूर्ण कदम उठाया जाएगा?

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