अग्निपुष्प मौजूदा सत्ता के दमन के खिलाफ एकजुट प्रतिवाद की प्रेरणा: दीपंकर भट्टाचार्य

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Ajit Kumar

कला-साहित्य
अग्निपुष्प मौजूदा सत्ता के दमन के खिलाफ एकजुट प्रतिवाद की प्रेरणा: दीपंकर भट्टाचार्य

पत्रकार और मैथिली साहित्यकार अग्निपुष्प को श्रद्धांजलि सभा

तीसरा पक्ष ब्यूरो :पटना,आज 25 मई को हिंदी के चर्चित जनपक्षधर पत्रिका समकालीन जनमत के संस्थापक संपादक और बाबा नागार्जुन की आंदोलनकारी कविता की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले मशहूर पत्रकार महेंद्र झा, जिन्हें ‘अग्निपुष्प’ के नाम से जाना जाता था, उनकी याद में आज पटना में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया.

यह कार्यक्रम समकालीन जनमत और जन संस्कृति मंच की पटना इकाई ने मिलकर आयोजित किया गया. अलविदा साथी अग्निपुष्प’ नाम से हुई इस सभा में मैथिली और हिंदी के साहित्यकार, नाटककार, पत्रकार, भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य, केंद्रीय मुख्यालय प्रभारी प्रभात चौधरी, बिहार राज्य सचिव कुणाल, के. डी. यादव, समकालीन जनमत के संपादक के. के. पाण्डेय, विधान परिषद सदस्य शशि यादव और वरिष्ठ मैथिली नाटककार कुणाल समेत कई जानी-मानी हस्तियों ने हिस्सा लिया.

सभा में महेंद्र झा के जीवन और काम पर बात करते हुए कहा गया कि आज के समय में, जब असहमति की आवाजों को दबाया जा रहा है. उसको बेरहमी से कुचला जा रहा है. और अभिव्यक्ति के आजादी को छिना जा रहा है तब अग्निपुष्प जैसे निर्भीक और जनता के पक्ष में खड़े पत्रकार को याद करना बहुत जरूरी हो जाता है.

अग्निपुष्प क्रांतिकारी वामपंथ के विचारों, बौद्धिकता के प्रतीक: दीपंकर

भाकपा-माले के राष्ट्रीय महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य ने श्रद्धांजलि सभा में कहा कि अग्निपुष्प क्रांतिकारी वामपंथ के विचारों, बौद्धिकता और रचनात्मकता के बड़े प्रतीक थे। उनके विचार आज की सत्ता के दमन और साजिशों के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा और ताकत देगा.उन्होंने मुख्यधारा के मीडिया से हटकर जनता के लिए मीडिया बनाने की जो मेहनत किया है वह आज भी जनपक्षधर पत्रकारिता के लिए आज भी रास्ता दिखता है.

के. के. पाण्डेय ने अग्निपुष्प को जनपक्षधर पत्रकार और रचनाकार बताया. के. डी. यादव ने 1980 के किसान आंदोलनों में उनकी भूमिका को याद किया.शशि यादव ने महिला आंदोलनों में उनके योगदान पर बात किये.

सभा की शुरुआत में एक मिनट के मौन रखा गया और ‘कारवां चलता रहेगा’ शहीद गीतों से प्रस्तुति दिया गया. वरिष्ठ मैथिली नाटककार कुणाल ने छात्र जीवन में अग्निपुष्प के साथ बिताए पल और गलत व्यवस्था के खिलाफ उनकी लड़ाई को याद किया. वैद्यनाथ मिश्र, सरोज चौबे और अन्य वक्ताओं ने भी विचार रखे. प्रीति और पुनीत ने उनकी कविताएं पढ़ीं. सभा का संचालन राजेश कमल ने किया.

इस श्रद्धांजलि में मजदूर संगठन ऐक्टू के वरिष्ठ नेता आर.एन.ठाकुर के आर.एन. ठाकुर, पत्रकार प्रणव चौधरी, इप्टा के तनवीर अख्तर, समकालीन लोकयुद्ध के संतोष सहर, ग़ालिब खान, अंशुमान, प्रदीप झा और सैकड़ों बुद्धिजीवी, संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार और छात्र-युवा नेता मौजूद रहे.

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