नीतीश की विरासत से चिराग की चुनौती तक: बिहार की सियासी तस्वीर

| BY

Ajit Kumar

बिहारतीसरा पक्ष आलेख

तीसरा पक्ष डेस्क: बिहार के राजनीति सतरंज की खेल की तरह एक गेम चेंजर का रहा है. बिहार की राजनीति इतना रोमांचकारी रहा है कि यहां के राजनीति में हर मोड़ पर कुछ नया देखने को मिलता है. नीतीश कुमार जिसने बिहार को विकास और सुशासन का एक नया चेहरा दिया है, आज भी बिहार में सियासत के सबसे बड़े खिलाड़ी माने जाते है. दूसरी तरफ चिराग पासवान बिहार में नई पीढ़ी के नेता के रूप में उभर रहे है जो बिहार के युवाओ को और जातिगत समीकरणों को साधने की कोशिश में लगे हुये है.इस लेख में हम नीतिश कुमार के मजबूत विरासत और और चिराग पासवान के नई चनौतियों के बीच बिहार के पल पल बदलती सियासत के तस्वीर पर बात करेंगे, तो आइये समझते है.

Untitled design 61 तीसरा पक्ष

नीतीश की विरासत

सुशासन का ज़माना:नीतीश कुमार जब 2005 में सत्ता में आये तो उसने बिहार को तथाकथित “जंगलराज” के दलदल से बाहर निकाला और बिहार को विकास के पटरी पर चढ़ाया. उसने बिहार में सड़कें, बिजली, स्कूल-कॉलेज और अस्पतालों में काफी सुधार किया जो उनकी यह सबसे बड़ी कामयाबी रही.

ये भी पढ़ें :-कर्नल सोफिया के अपमान पर आक्रोश: आइसा-आर वाई ए ने BJP मंत्री विजय शाह का पुतला जलाया
ये भी पढ़ें :-भाजपा नेता अपने समर्थकों संग थामा राजद का दामन
ये भी पढ़ें :-तेजस्वी यादव ने केंद्रीय गृह मंत्री को लिखा पत्र

गठबंधन का खेल: बीजेपी और आरजेडी के साथ बार-बार गठबंधन बदलने की चालबाज़ी ने नीतीश कुमार को बिहार के सियासत का चाणक्य तो बनाया, लेकिन बिहार के लोगो ने उनके भरोसेमंदी पर सवाल भी खड़े किए है. लोगो का कहना है कि नीतीश कब पलटीमार देंगे कोई नहीं जनता है.

नेतृत्व का झंझट: नीतीश कुमार के बढ़ती उम्र और सेहत के चिंताओं ने ऐसा लगता है कि जेडीयू में अगले लीडर की तलाश की बातें शुरू कर दिया है. हलाकि,जेडीयू ने नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर अभी तक कोई नया चेहरा घोषित नहीं किया है.

Untitled design 62 तीसरा पक्ष

चिराग की चुनौती

युवाओं का चेहरा: चिराग पासवान ने “बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट” के नारे के साथ चिराग ने बिहार के युवाओं और दलित-पिछड़ा वर्ग के बीच अपनी जगह पक्का किया. इन लोगो के बिच अपना स्थान स्थापित किया.

2020 का धमाका: चिराग पासवान ने 2020 केचुनाव में नीतीश कुमार के खिलाफ बगावत कर चिराग ने जेडीयू को 43 सीटों तक समेटने में बड़ा रोल निभाया था.

मुख्यमंत्री की कुर्सी?: समर्थकों ने पोस्टरों में चिराग को बिहार का अगला मुख्यमंत्री के रूप में बताना शुरू कर दिया है, हालाँकि वो अभी नीतीश कुमार के नेतृत्व का साथ दे रहे हैं.

ये भी पढ़ें :- विक्रमगंज में पीएम मोदी की रैली की तैयारियां जोरों पर: डॉ. दिलीप जायसवाल
ये भी पढ़ें :- सुशील मोदी: भाजपा कार्यकर्ताओं के लिए प्रेरणा – डॉ. दिलीप जायसवाल

नीतीश बनाम चिराग

दोस्ती और टक्कर: 2020 में भिड़ंत के बाद, 2025 से पहले चिराग पासवान और नीतीश कुमार के बीच मुलाकात ने एनडीए की एकता का मैसेज दिया.

अंदरूनी तनाव: चिराग के बढ़ती लोकप्रियता और पोस्टरबाजी ने नीतीश के खेमे में हलचल मचा दिया है.

विपक्ष का दांव: दूसरी तरफ आरजेडी और कांग्रेस, चिराग और नीतीश के वोट बैंक को अपने पाले में लाने के लिये पूरी तरह से कोशिश में लगे हुये है.

भविष्य की राह

2025 के बिहार विधानसभा चुनाव सियासत का गेम-चेंजर साबित हो सकता है. नीतीश कुमार के पुरानी चालबाज़ी और चिराग के नई जोश भरी ताकत के बीच टक्कर होगा या फिर दोनों आपस में हाथ मिलायेगे यह सब बिहार विधान सभा 2025 का चुनावी तय करेगा. दूसरी ओर यह स्पष्ट है कि विपक्ष के चहल-पहल और जातिगत समीकरण इस सियासी ड्रामे को और मज़ेदार जरूर बना देगा.

निष्कर्ष

नीतीश कुमार की शासन और विरासत बिहार के विकास की एक मिसाल है, मगर चिराग पासवान की चुनौती नई पीढ़ी के बदलते सियासी तेवर को दिखता है. अब बिहार के जनता के सामने सवाल है कि —क्या बिहार के राजनीति में नीतीश कुमार का तजुर्बा चलेगा, या चिराग पासवान की नई सोच लहराएगी? ये सियासी जंग सिर्फ़ बिहार ही नहीं,वल्कि पूरे देश के राजनीति पर बड़ा असर डालेगा.

.

Leave a Comment