निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने बीजेपी को दी नसीहत, इलाहाबाद में हार की समीक्षा जरूरी
तीसरा पक्ष डेस्क, लखनऊ, 2 जून 2025: निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) को इलाहाबाद में हाल की दो महत्वपूर्ण सीटों की हार पर गंभीर आत्ममंथन करने की सलाह दी है. प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI) से बात करते हुए , संजय निषाद ने कहा कि बीजेपी ने भले ही कई क्षेत्रों में जीत हासिल की हो, लेकिन इलाहाबाद में इन हार के कारणों की गहन समीक्षा आवश्यक है.
निषाद ने जोर देकर कहा, “बीजेपी जीत सुनिश्चित करना चाहती है, और निषाद पार्टी जो समर्थन लाती है, उसकी तुलना कोई व्यक्ति नहीं कर सकता.” उन्होंने बीजेपी के व्यापक प्रदर्शन की सराहना की, लेकिन इलाहाबाद में हार को एक चेतावनी के रूप में देखने की बात कही. निषाद समुदाय के बीच अपनी मजबूत पकड़ के लिए जाने जाने वाले संजय निषाद ने यह भी संकेत दिया कि उनकी पार्टी का समर्थन बीजेपी की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
इलाहाबाद के दो महत्वपूर्ण लोकसभा सीट :
- इलाहाबाद लोकसभा सीट: इलाहाबाद (अब प्रयागराज) लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश का एक प्रमुख संसदीय क्षेत्र है, जो अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है. इस सीट के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं: मेजा, करछना, इलाहाबाद दक्षिण, बारा, और कोरांव, जिनमें से बारा और कोरांव अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं.
- 2024 में हार: 2024 के लोकसभा चुनाव में इलाहाबाद सीट पर बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा. समाजवादी पार्टी (सपा) ने इस सीट पर मजबूत प्रदर्शन किया, जिसके पीछे स्थानीय मुद्दों और सपा की रणनीति को श्रेय दिया जा रहा है. बीजेपी के लिए यह हार अप्रत्याशित थी, क्योंकि 2019 तक इस सीट पर उसका दबदबा रहा था.
- फूलपुर लोकसभा सीट: फूलपुर लोकसभा सीट भी इलाहाबाद जिले का हिस्सा है और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण रही है, क्योंकि यह भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की कर्मभूमि रही है. इस सीट पर भी बीजेपी का पहले मजबूत आधार था.
- 2024 में हार: 2024 के उपचुनाव में फूलपुर सीट बीजेपी के हाथ से निकल गई, जिसे समाजवादी पार्टी ने जीता. यह हार बीजेपी के लिए एक बड़ा झटका माना गया, क्योंकि यह सीट पहले उसके गढ़ का हिस्सा थी.
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राजनीतिक हलकों में चर्चा
इलाहाबाद की इन दो सीटों की हार ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है. विश्लेषकों का मानना है कि स्थानीय मुद्दों, मतदाता असंतोष, या संगठनात्मक कमियों ने बीजेपी के प्रदर्शन को प्रभावित किया हो सकता है. संजय निषाद ने बीजेपी नेतृत्व से आग्रह किया कि वे इन हार के कारणों का विश्लेषण करें और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए रणनीति में सुधार करें.
निषाद पार्टी और बीजेपी के बीच गठबंधन उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण रहा है, खासकर निषाद समुदाय के प्रभाव वाले क्षेत्रों में. संजय निषाद के इस बयान को गठबंधन की मजबूती या कमजोरी के साथ साथ बीजेपी के लिए एक रणनीतिक सलाह के रूप में देखा जा रहा है.
आगामी दिनों में बीजेपी इस हार से सबक लेकर अपनी रणनीति को और मजबूत करने की दिशा में काम कर सकती है. वहीं, निषाद पार्टी का यह बयान गठबंधन की एकता और सहयोग को और गहरा करने की दिशा में एक कदम माना जा रहा है.

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