बाबा कार्तिक उरांव फ्लाईओवर: रांची की नई उड़ान

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Ajit Kumar

झारखण्ड
बाबा कार्तिक उरांव फ्लाईओवर: रांची की नई उड़ान

हेमंत सोरेन का ड्रीम प्रोजेक्ट: विश्व पर्यावरण दिवस पर फ्लाईओवर का लोकार्पण

तीसरा पक्ष डेस्क,रांची : विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून 2025 के अवसर पर झारखंड की राजधानी रांची ने एक नई उपलब्धि हासिल की. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सिरमटोली चौक से राजेंद्र चौक होते हुए मेकॉन गोलचक्कर तक 2.34 किलोमीटर लंबे फोर-लेन एलिवेटेड फ्लाईओवर सह रेलवे ओवरब्रिज (ROB) का उद्घाटन किया. इस फ्लाईओवर का नाम झारखंड के महान सपूत बाबा कार्तिक उरांव के नाम पर रखा गया है, जो उनके योगदान और समर्पण को सम्मानित करने का प्रतीक है।

एक ऐतिहासिक कदम

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यह फ्लाईओवर न केवल रांची की यातायात व्यवस्था को सुगम बनाएगा, बल्कि आधुनिक तकनीक और इंजीनियरिंग का एक उत्कृष्ट नमूना भी है. 132 मीटर लंबा एक्सट्रा-डोज्ड केबल-स्टे ब्रिज और 42 मीटर ऊंचे चार पायलन इसकी भव्यता को दर्शाते हैं. माइक्रो पाइल्स और प्रीकास्ट गर्डर्स जैसी उन्नत तकनीकों के उपयोग ने इसे सुरक्षित और टिकाऊ बनाया है. सबसे उल्लेखनीय है कि इस परियोजना में शून्य दुर्घटना का रिकॉर्ड कायम रहा, जो निर्माण में सुरक्षा और समर्पण का प्रतीक है.

जाम से मुक्ति, समय की बचत

सिरमटोली चौक से राजेंद्र चौक तक की यात्रा, जो पहले आधे घंटे से अधिक लेती थी, अब इस फ्लाईओवर के कारण मात्र 5 मिनट में पूरी होगी. यह फ्लाईओवर राजेंद्र चौक और सुजाता चौक को जोड़ता है, जिससे मुख्य सड़कों पर यातायात का 40% डायवर्जन होगा. इससे रांचीवासियों को जाम से राहत मिलेगी और उनकी रोजमर्रा की यात्रा सुगम होगी.

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बाबा कार्तिक उरांव को सम्मान

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने इस फ्लाईओवर का नाम बाबा कार्तिक उरांव के नाम पर रखने की घोषणा की, जो झारखंड के आदिवासी समुदाय के लिए एक प्रेरणास्रोत रहे हैं. यह कदम न केवल उनके योगदान को सम्मान देता है, बल्कि राज्य की सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत को भी मजबूती प्रदान करता है. उद्घाटन समारोह में कई गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति ने इस अवसर को और विशेष बना दिया.

पर्यावरण और विकास का संतुलन

विश्व पर्यावरण दिवस के दिन इस फ्लाईओवर का उद्घाटन पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन का संदेश देता है. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर नो-प्लास्टिक के संकल्प को एक जनांदोलन बनाने की अपील की. उन्होंने कहा, “हमें एक हरा-भरा झारखंड बनाना है, जो हमारी आने वाली पीढ़ियों, जीव-जंतुओं और पक्षियों के लिए सुरक्षित हो. यह तभी संभव है, जब समाज का हर व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे।”

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