बिहार में आरक्षण पर घमासान: तेजस्वी की चिट्ठी पर नीतीश की चुप्पी पर गरमाया सियासी माहौल

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Ajit Kumar

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बिहार में आरक्षण पर घमासान: तेजस्वी की चिट्ठी पर नीतीश की चुप्पी पर गरमाया सियासी माहौल

राजद का आरोप—जातीय जनगणना और आरक्षण पर सरकार की मंशा संदिग्ध

तीसरा पक्ष ब्यूरो,पटना:आज 9 जून को राजद के राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता प्रो. मनोज झा ने पटना स्थित पार्टी कार्यालय के कर्पूरी सभागार में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कहा कि बिहार में आरक्षण को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं.इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उनके साथ मंच पर राजद के वरिष्ठ नेता उदय नारायण चौधरी और साथ हि शक्ति सिंह यादव, प्रदेश प्रवक्ता एजाज अहमद, चितरंजन गगन, अरुण कुमार यादव और मदन शर्मा भी मौजूद थे.

उन्होंने बताया कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने 4 जून 2025 को बिहार के मुख्यमंत्री को एक चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में तेजस्वी ने 65% आरक्षण में की गई 16% की कटौती पर सवाल उठाए थे और मांग किया था कि बहुजन समाज को उसका पूरा हक मिलना चाहिये साथ ही, उन्होंने विधान सभा का विशेष सत्र बुलाने की भी अपील की थी ताकि आरक्षण की सीमा बढ़ाई जा सके.

लेकिन हैरानी की बात है कि अब तक उस चिट्ठी की कोई पावती रसीद तक नहीं मिली है. न कोई जवाब, न कोई प्रतिक्रिया। ऐसा लगता है जैसे बिहार सरकार चिट्ठियों का जवाब देने की जरूरत ही नहीं समझती.

प्रो. झा ने कहा कि यह सब इस बात का साफ संकेत है कि सरकार आरक्षण जैसे गंभीर मुद्दे को लेकर न तो गंभीर है और न ही पारदर्शी. ऐसा लगता है कि जानबूझकर अतिपिछड़ों, पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों के अधिकारों से उन्हें दूर रखा जा रहा है.उन्होंने इसे “बेईमानी” करार दिया और कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है.

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जातिगत जनगणना पर छल: आंकड़े क्यों छिपा रही है सरकार?:मनोज झा

प्रो. मनोज झा ने कहा कि पहलगाम की दुखद घटना के बाद ऐसा लग रहा है जैसे प्रधानमंत्री जी को अचानक याद आ गया कि जातिगत जनगणना की बहुजन समाज लंबे समय से मांग कर रहा है.उन्होंने तुरंत इसकी घोषणा कर दी, लेकिन अब असली चेहरा दिखने लगा है.भाजपा हमेशा से बहुजनों और आरक्षण की विरोधी रही है, और अब वही सोच फिर से साफ नजर आ रही है.

हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद जी तो पहले से कहते आ रहे हैं कि जो लोग गुरू गोलवलकर की ‘बंच ऑफ थॉट्स’ वाली विचारधारा पर राजनीति करते हैं, वो कभी भी आरक्षण या सामाजिक न्याय के लिए ईमानदार नहीं हो सकते. आज वही बात सच साबित हो रही है.

अब देखिए, जातियों की गिनती तो होगी लेकिन ओबीसी की जनसंख्या के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाएंगे.जबकि संविधान की धारा 340 ये कहती है कि ये आंकड़े आने चाहिए. जब आंकड़े ही सामने नहीं आएंगे तो निजी क्षेत्र में आरक्षण कैसे बढ़ेगा? सरकार को यह साफ करना चाहिए कि फिर योजना कैसे बनेगी?

नीति आयोग और बाकी संस्थाएं भी तो योजनाएं आंकड़ों के आधार पर ही बनाती हैं.बिना डेटा के न आरक्षण बढ़ेगा, न पिछड़े वर्गों का विकास हो पाएगा. तेजस्वी यादव, कांग्रेस, सपा, डीएमके जैसे और कई दल कह रहे हैं कि आंकड़ा जारी होने चाहये ताकि भविष्य की योजनाएं और आरक्षण व्यवस्था बेहतर हो सके.

लेकिन सवाल यह है कि केंद्र सरकार आंकड़े क्यों छिपा रही है? इससे साफ हो जाता है कि भाजपा और मोदी सरकार की मंशा बहुजनों, पिछड़ों और अतिपिछड़ों के हक में नहीं है. ये लोग सामाजिक न्याय की राह में रोड़े अटका रहे हैं.

जातीय जनगणना सिर्फ दिखावा, हक देने की नीयत नहीं: उदय नारायण चौधरी

जातीय जनगणना सिर्फ दिखावा, हक देने की नीयत नहीं: उदय नारायण चौधरी

राष्ट्रीय उपाध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने कहा कि जातीय जनगणना सिर्फ एक दिखावा बनकर रह गई है.सरकार की तरफ से इस पर अब तक कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है.जैसे ही जातीय जनगणना की बात उठती है, कुछ लोगों को बेचैनी होने लगती है.ये वही लोग हैं जो ‘बंच ऑफ थॉट्स’ और ‘मनुस्मृति’ जैसी सोच से चल रहे हैं.

देश में जातीय जनगणना की बातें तो खूब हो रही हैं, लेकिन असल में जो अधिकार लोगों को मिलने चाहिए, उस पर सरकार की नीयत साफ नहीं दिखती.जब सही आंकड़े ही सामने नहीं लाए जाएंगे, तो फिर हक और हिस्सेदारी कैसे तय होगी?

बिहार में तेजस्वी यादव के दबाव में आकर जातीय गणना तो करवा दी गई, लेकिन जो 65% आरक्षण का फायदा लोगों को मिलना चाहिए, वो भी नहीं मिल पा रहा है.इसकी वजह है भाजपा और नीतीश कुमार सरकार की नीयत – जो इस पूरे मुद्दे को लेकर गंभीर नहीं लगती.

आरक्षण पर कटौती: चुप क्यों हैं चिराग?

बिहार सरकार के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने तंज कसते हुए कहा कि अगर केंद्र सरकार ने बिहार के 65% आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल कर लिया होता, तो आज 16% आरक्षण का हक किसी से छीना नहीं जा रहा होता.
उन्होंने चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए पूछा कि जो खुद बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का नारा देते हैं, वो अब 16% आरक्षण की कटौती पर चुप क्यों हैं? क्या दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और आदिवासियों से उनका हक छीनने वाली सरकार सच में इन वर्गों के साथ न्याय कर रही है? इस पर सरकार को साफ-साफ जवाब देना चाहिए.

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