नकली रिपोर्ट का एक्स-रे! बीमार जनता, कौन जिम्मेदार?

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Ajit Kumar

भारत
नकली रिपोर्ट का एक्स-रे! बीमार जनता, कौन जिम्मेदार?

योगी राज में ‘नकली इलाज’? अखिलेश का तीखा वार

तीसरा पक्ष ब्यूरो :लखनऊ, 11 जून,उत्तर प्रदेश की राजनीति एक बार फिर गरमाई हुई है, और इस बार मुद्दा है – “नकली एक्स-रे रिपोर्ट्स”. समाजवादी पार्टी (एसपी) प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं में झूठी और नकली एक्स-रे रिपोर्ट्स के सहारे इलाज किया जा रहा है. उन्होंने इसे बीजेपी के शासन की एक और “कागजी उपलब्धि” करार दिया है.

बीजेपी के कुशासन का एक्स-रे!

अपने आधिकारिक x हैंडल पर एक तीखा पोस्ट साझा करते हुए अखिलेश यादव ने लिखा:

ये है बीजेपी के कुशासन का एक्स-रे! इनके विकास और निवेश की तरह इनकी जांच और इलाज भी कागजी ही है.यह गंभीर जांच का विषय है कि कहीं ये असंभव कागजी एक्स-रे किसी और के मूल एक्स-रे की फोटोकॉपी तो नहीं, जिसे किसी और का बताकर केवल कागजी खानापूर्ति की जा रही हो और गलत चिकित्सा-उपचार भी किया जा रहा हो.उन्होंने तत्काल और गहन जांच की मांग की ताकि एक सच्ची रिपोर्ट सामने लाई जा सके.

पारदर्शी जांच की मांग

पारदर्शी जांच की मांग

एसपी प्रमुख ने स्वास्थ्य सेवाओं में कथित गड़बड़ियों की गहन जांच की मांग करते हुए इसे जनता के जीवन और विश्वास से जुड़ा मुद्दा बताया.उन्होंने यह भी चेताया कि अगर यह आरोप सही साबित होते हैं, तो यह न सिर्फ चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन है, बल्कि करोड़ों लोगों के स्वास्थ्य को भी जोखिम में डाल सकता है.

हालांकि अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में किसी विशेष घटना या अस्पताल का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके बयान ने उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में व्यापक मुद्दों की ओर ध्यान खींचा है.“कागजी एक्स-रे” और “फोटोकॉपी का दुरुपयोग” जैसे शब्दों का उपयोग चिकित्सा निदान में प्रामाणिकता और जवाबदेही को लेकर चिंताओं को दर्शाता है, जिसका सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.यादव ने अपनी पोस्ट में किसी एक अस्पताल या जिले का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन संकेत दिया कि यह समस्या प्रदेशव्यापी हो सकती है

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राजनीतिक रंग: आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति

बीजेपी की तरफ से इस आरोप पर अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. हालांकि, इतिहास गवाह है कि अखिलेश यादव के आरोपों पर बीजेपी अक्सर उन्हें “राजनीतिक स्टंट” करार देती रही है.
यह पहली बार नहीं है जब अखिलेश यादव ने बीजेपी पर शासन से जुड़े मुद्दों पर निशाना साधा है. हाल के महीनों में, उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं में पेपर लीक, पुलिस भर्ती घोटालों और मुठभेड़ों को लेकर पार्टी की आलोचना की है, और बीजेपी पर संस्थागत अखंडता को कमजोर करने का आरोप लगाया है. एक्स-रे मालप्रैक्टिस पर उनकी ताजा टिप्पणी बीजेपी के शासन मॉडल पर सवाल उठाने वाली उनकी आरोपों की श्रृंखला में एक और कड़ी है.

उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं: पुराने सवाल, नया विवाद

उत्तर प्रदेश की जनसंख्या देश में सबसे अधिक है, और राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं पहले से ही दबाव में हैं.विशेषज्ञों ने पहले भी अलर्ट किया है – स्वास्थ्य केंद्रों में प्रशिक्षित स्टाफ की कमी, खराब उपकरण, भ्रष्टाचार और निगरानी की कमी जैसी समस्याएं लंबे समय से हैं.

यदि “फोटोकॉपी एक्स-रे” और नकली रिपोर्ट्स के आरोप सही पाए जाते हैं, तो इसका असर न केवल मरीजों के इलाज पर पड़ेगा, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों की साख पर भी गहरा असर डालेगा.

अखिलेश यादव का पोस्ट इन मुद्दों पर फिर से जांच को बढ़ावा दे सकता है, और संभवतः अधिकारियों को सिस्टम में मौजूद खामियों को दूर करने के लिए प्रेरित कर सकता है.

आगे क्या?

आगे यह देखना बाकी है कि क्या यह विवाद एक और राजनीतिक तू-तू मैं-मैं बनकर रह जाएगा या राज्य सरकार किसी स्वतंत्र जांच आयोग की घोषणा कर जनता के विश्वास को बहाल करने का प्रयास करेगी.राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर यह आरोप सिर्फ विपक्ष की आलोचना नहीं है – यह एक अवसर भी है कि उत्तर प्रदेश सरकार अपने तंत्र का “एक्स-रे” खुद करे!

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