महागठबंधन ने जताया कड़ा विरोध, NRC की आशंका
तीसरा पक्ष ब्यूरो पटना, 25 जून :बिहार में भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रस्तावित ‘विशेष सघन पुनरीक्षण’ प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक हलकों में विरोध तेज हो गया है. बुधवार को पटना में आयोजित एक अहम बैठक में भाकपा-माले और महागठबंधन के अन्य दलों ने इस प्रक्रिया पर कड़ा ऐतराज जताया और इसे तत्काल प्रभाव से वापस लेने की मांग की.
मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के साथ हुई बैठक में महागठबंधन के प्रतिनिधियों ने इस पुनरीक्षण को एनआरसी जैसी प्रक्रिया करार दिया, जिससे प्रदेश के वंचित और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लाखों लोगों के मतदाता सूची से बाहर होने की आशंका जताई गई.
विवाद की जड़ में चुनाव आयोग की वह नई गाइडलाइन है, जिसमें 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के बीच जन्मे किसी व्यक्ति को माता या पिता में से किसी एक की नागरिकता का प्रमाण देना अनिवार्य किया गया है. वहीं 2 जुलाई 2004 के बाद जन्मे लोगों को माता-पिता दोनों के भारतीय नागरिक होने के सबूत देने होंगे।इस पूरी प्रक्रिया को महज एक महीने के भीतर पूरा करने की समयसीमा तय की गई है.
महागठबंधन दलों ने सवाल उठाया कि जब राज्य में विधानसभा चुनाव की घोषणा में केवल दो महीने बचे हैं, तब इतनी जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया की शुरुआत करने की क्या आवश्यकता है? उनका आरोप था कि यह कवायद मतदाता सूची से बड़े पैमाने पर नाम हटाने की एक रणनीति हो सकती है.
बैठक के बाद मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि वे इस बैठक में व्यक्त की गई चिंताओं और सुझावों को भारत निर्वाचन आयोग तक पहुंचाएंगे.
बिहार में चुनावी सरगर्मी के बीच मतदाता सूची पुनरीक्षण का यह मुद्दा एक बड़े राजनीतिक विवाद का रूप ले चुका है. आगामी दिनों में इस पर आयोग की प्रतिक्रिया और राजनीतिक दलों की रणनीति पर सबकी नजरें टिकी रहेंगी.

I am a blogger and social media influencer. I have about 5 years experience in digital media and news blogging.